संस्कृति: फिर मनेगा मसूरी में हिमालयी सभ्यता का जश्न

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एक बार फिर मसूरी का मशहूर वुडस्टॉक स्कूल मेजबान बनेगा मसूरी माउनटेन फेस्टिवल का। ये आयोजन 15 मार्च को शुरु होगा और 17 मार्च को खत्म होगा। इस तीन दिन के फेस्टिवल में हिमालयन संस्कृति को नवरस की पौराणिक भारतीय संस्कृति के झरोखे से दिखाया जाता है। पौराणिक भारतीय शास्त्रों में श्रृंगार, करुणा, अद्भुत, शांत, हास्य, वीर, भय विभत्स और रुद्र जैसे नौ रस कह गये हैं।

इन नौ रसों को में दंत कथाओं, शेरपाओं के जीवन, लेह में किये जा रहे संरक्षण, मणिपुर की ढोल परंपरा, पारंपरिक चिकित्सा, पारंपरिक निर्माण शैली और स्कूल के छात्रों द्वारा की गई कैंपिंग के ज़रिये दिखाया जायेगा। इस कार्यक्रम का खांचा, कला संयोजक अनूप शाह के साथ मिलकर तैयार किया गया है।

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इस फेस्टिवल के पीछे स्टीफन ऑल्टर की सोच रही है। वो कहते हैं कि, “2005 में जब इस फेस्टिवल की शुरुआत की गयी थी तो मकसद था मसूरी में साहित्य और लेखन का उत्सव मनाना। लेकिन इतने सालों के सफर में हमने अपने आप को हिमालयन सभ्यता को दिखाने वाले एक प्लेटफॉर्म के रूप में ढाल लिया है। इस सबके बीच में मकसद पहाड़ी संस्कृति, सभ्यता, इतिहास का जश्न मनाने का ही है।

इस फेस्टिवल की शुरुआत सर्बियन निर्देशक गोरान पैसकलविच की फिल्म ‘देवभूमि: लैंड् ऑफ गॉड्स’ की स्क्रीनिंग और इसके बाद सवालों जवाब के सेशन से होगी। इसमें फिल्म के निर्देशक गोरान और मुख्य अभिनेता विक्टर बैनर्जी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा फेस्टिवल में हिस्सा लेने वालों में शेखर पाठक, परतेंबा शेरपा, लोकेश ओहरी, जॉन कीय, ध्रुव चंद्रा, अनुपम शाह, ऐंड्रू ऑल्टर जैसे जाने माने लेखक हिस्सा लेंगे।