उत्तराखण्ड हाई कोर्ट: राज्यभर में प्लासटिक पर बैन को सरकार लागू करे

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    उत्तराखण्ड हाई कोर्ट में पांच निकायों के कूड़े निस्तारण के मामले में आज शहरी विकास सचिव डी.एस.गर्बियाल के व्यक्तिगत रूप में मौजूद होने के बाद न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुरिक्षत रख दिया है। आज न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए शहरी विकास सचिव से पूछा कि अभी तक प्रदेश में कूड़ा निस्तारण के लिए क्या कोई कार्य किये गए हैं? और कैसी योजनाएं बनाई गई है ? साथ ही न्यायालय ने सचिव को तत्काल पूरे प्रदेश में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी करने को भी कहा है।

    सी.के.शर्मा,अधिवक्ता याचिकाकर्ता
    सी.के.शर्मा,अधिवक्ता याचिकाकर्ता

    मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी पूरन चंद जोशी ने जनहित याचिका दायर कर न्यायालय से कहा था कि 2013 में केंद्र सरकार द्धारा कुमाऊं के पाचं निकाय लालकुआं, भीमताल, काठगोदाम, किच्छा और रुद्रपुर में कूड़ा निस्तारण के लिए 34 करोड़ 88 लाख रूपये की धनराशि पारित की गई थी। जबकि 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक राज्य सरकार ने इस प्लान पर कोई भी कार्य नहीं किया है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ये भी कहा कि अगर 31 मार्च 2017 तक राज्य सरकार द्धारा प्लान का प्रथम कार्य का उपभोग प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को नहीं भेजा गया तो बाकी की बची धनराशि अवमुक्त नहीं कराई जाएगी जिससे प्लान पूर्ण रूप से बंद हो जायेगा। न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लेते हुए पिछली तारिख को सचिव शहरी विकास को न्यायालय में उपस्थित होने को कहा था। याची ने न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण पर्यावरण संरक्षण की मुहीम को भी झटका लगेगा और केंद्र आने वाले समय में कोई भी प्लान प्रदेश को नहीं देगा। आज हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका को पूरे प्रदेश के लिए अनिवार्य करते हुए सचिव शहरी विकास को प्रदेश भर में प्लास्टिक पर तत्काल प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी करने को कहा है। साथ में न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुरिक्षत रख लिया है।