गढ़वाल, कुमांऊ मंडलों में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

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उत्तराखंड विधानसभा के 69 सीटों पर चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा कांग्रेस के बीच इस बार गढ़वाल कुमाउं दोनों मंडल में लड़ाई बहुत दिलचस्प हो गयी है, कई अहम चेहरे और अहम सीटों पर दोनों दलों की प्रमुखों की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के दर्जनों विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ भरतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये और वे भाजपा के चुनाव चिन्ह पर अपना भाग्य भी अजमाये है। वहीं भाजपा से कई बागियों ने कांग्रेस का दामन थाम कर चुनाव मैदान में भाजपा के सामने संकट खड़ा कर दिये है। ऐसे में मुकाबला बहुत ही रोचक हो गया है।
कांग्रेस के स्टार प्रचाकर और उत्तराखण्ड में हरदा नाम से मसहूर मुख्यमंत्री हरीश रावत गढ़वाल और कुमाउं मंडल के दोनों जगहों से अपनी चुनावी पैतरा के तहत चुनाव लड़े है। जबकि विपक्ष का कहना है कि अपनी हार के देखते हुए दो सीटों का चयन किया है। वहीं राजनीतिक विषलेशकों का कहना है कि कांग्रेस के पक्ष में लहर बनाने के लिए सीएम ने ऐसा निर्णय लिया है।
लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस से भाजपा में आये सतपाल महाराज अपनी गहरी पैठ बना लिये है। भाजपा में उन्हें सीएम पद का दावेदार भी माना जा रहा है। यहीं कारण है कि भाजपा अपने पूर्व अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत का टिकर काट कर महाराज को गढ़वाल के चौबटाखाल सीट से चुनाव में मैदान में उतारा है। हालांकि तीरथ को संतुष्ठ करने के लिए पार्टी ने उन्हें संगठन में राष्ट्रीय सचिव बनाया है। अब देखना है तीरथ सतपाल महराज के लिए कितना काम करते है।
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भाजपा के सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर खिलाफ चुनाव लड़े है जिनकी प्रतिष्ठा दावं पर लगी है। हालांकि इसी सीट पर बीजेपी की बागी लक्ष्मी अग्रवाल और कांग्रेस के आयेन्द्र शर्मा दोनों निर्दलयी प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक कर सीट को हाट बना दिया है, जिससे चर्चा का बाजार गर्म है।
वहीं कुमाउं के रानीखेत से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के सामने फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी करन मेहरा से सीधी लड़ाई है। 2012 विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट 100 वोटों के कम अंतर से चुनाव जीत थे। इस बार बीजेपी के बागी प्रमोद नैनवाल के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ऐसे में अजय भट की प्रतिष्ठा दावं पर लगी हुयी है।
हमेशा सुर्खियों में रहने वाली कोटद्वार सीट इस बार भी लोगों के बीच कौतुहल बना हुआ है। यहां भी कांग्रेस के बागी हरक सिंह रावत भाजपा के चुनाव चिन्ह पर अपना किस्मत अजमाये है। इससे पहले 2102 में पूर्व सीएम और पौड़ी गढ़वाल के सांसद बसी खण्डूरी की चुनाव हार गये थे जिससे भाजपा कांग्रेस से एक सीट से पीछे हो गयी थी और सरकार से हाथ धाना पड़ा था।
वहीं कांग्रेस से भाजपा में आयी केदारनाथ की विधायक शौला रानी रावत बीजेपी से तो,कांग्रेस से मनोज रावत है। इन दोंनों प्रत्याशियों को सीटी टक्कर कांग्रेस के बागी कुलदीप रावत और भाजपा के बागी आशा नौटियाल से है।
हालांकि कांग्रेस से भाजपा में आये नरेन्द्र नगर से सुबोध उनियाल, देहरादून के रायपुर से उमेश शर्मा काउ, रूड़की से प्रदीप पत्रा की अपनी पकड़ मजबूत बनाये हुये है। हालांकि रूड़की सीट पर भाजपा के बागी सुरेश चैन कांग्रेस से ताल ठोके है जिससे सीटी टक्कर है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहगुणा के पुत्र सौरव बहुगुणा अपने पिता के सीट पर सितारगंज से चुनाव लड़े है।