केन्द्र सरकार मानव आधार कार्ड की तर्ज पर देशभर के 166 चिड़ियाघरों में मौजूद वन्यजीवों को भी विशिष्ट पहचान संख्या (यूआइडी) देने की तैयारी कर रही है। इस यूआईडी में जानवरों के नाम के साथ ही पूरी कुंडली केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) के पास होगी। इसके लिए सीजेडए ने कसरत तेज कर दी है। इसके तहत प्रथम चरण में बाघ, गैंडा जैसे संकटापन्न श्रेणी के जीवों को लिया गया है। उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक वन्यजीवों को पहचान संख्या से लैस कर दिया जाएगा।
देहरादून में चिड़ियाघरों के निदेशकों की वार्षिक बैठक में भाग लेने दून पहुंचे सीजेडए के सदस्य सचिव डॉ. डीएन सिंह ने बताया कि वैश्विक स्तर पर जानवरों की मार्किंग और पहचान की कवायद चल रही है। इस कड़ी में सीजेडए ने भी देश में पहल की है। चिड़ियाघरों में रहने वाले प्रत्येक जानवर को विशेष पहचान संख्या देने के साथ ही इनका बायोमीट्रिक तैयार किया जाएगा।
एक-एक जानवर का डेटा सीजेडए के पास उपलब्ध रहेगा। इससे इनके मैनेजमेंट में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि जैनेटिक बायोडायवर्सिटी के मद्देनजर सभी जानवरों के बाकायदा नाम रखने के साथ ही उनकी पूरी कुंडली तैयार की जाएगी। यह कार्य पूरा होने पर जानवरों की मैटिंग एक से दूसरे चिड़ियाघर के जानवरों के साथ कराई जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि चिड़ियाघरों के जानवरों पर पहचान के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं। डॉ. सिंह के अनुसार सांप, बाघ, गुलदार, गैंडा जैसे जानवरों के शरीर में चिप लगाई जाएंगी, जबकि हिरन आदि के कानों पर टैग लगेगा। वहीं पक्षियों के पैरों पर रिंग लगाई जाएंगी।
उन्होंने बताया कि देशभर में मौजूद पालतू हाथियों पर चिप लगाने का कार्य तीन साल पहले पूरा हो चुका है। इसका डेटा सीजेडए के पास उपलब्ध है। जाहिर है, इससे यह पता चल जाता है कि कौन सा हाथी कब और कहां मूवमेंट कर रहा है। चिड़ियाघरों के जानवरों पर चिप, टैग व रिंग लगने से उनके मूवमेंट पर भी नजर रहेगी।
चिड़ियाघरों के निदेशकों की वार्षिक बैठक में भाग लेने दून आए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के भारत में प्रतिनिधि पीआर सिन्हा ने बताया कि विश्वभर में आईयूसीएन के 11 हजार से अधिक विशेषज्ञ अलग-अलग क्षेत्रों में शोध कर रहे हैं। इसके तहत जलवायु परिवर्तन से वन्यजीवों पर पड़ रहे असर का भी आंकलन किया जा रहा है। अब तक के नतीजों पर नजर दौड़ाएं तो गंभीर स्थिति सामने आई है। पर्यावास पर असर पड़ने से वन्यजीवों के व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि अभी इसका बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।