चंपावत और रानीखेत में हार-जीत पर आज भी बना है मिथक

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उत्तराखण्ड के कई विधानसभा चुनावों में सीटों की हार-जीत पर सत्ता और सरकार का समीकरण आज भी मिथक बना हुआ है।उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखण्ड के कुमाऊं की रानीखेत और चम्पावत सीट पर ऐसा ही पिछले कई विधानसभाओं में मिथक देखने को मिला है। वैसे तो चुनाव में हार जीत वोटरों पर निर्भर करता है लेकिन चुनावी सियासत को देखें तो जिस पार्टी का उम्मीदवार रानीखेत से जीतता है, उस पार्टी की सत्ता से दूर रहती है। वहीं चम्पावत में जिस पार्टी की जीत मिलती है उस पार्टी की प्रदेश में सरकार बनती है।
वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में भाजपा के अजय भट्ट को जीत मिली थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार बन गयी। जबकि इससे पहले कांग्रेस के करण माहरा जुनाव जीते थे तो भाजपा की सरकार बनी थी। प्रदेश के चम्पावत विधानसभा का इतिहास इसके उलट है यहां 2002 और 2012 में कांग्रेस के हीमेश खर्कवाल जीते तो उनकी पार्टी सत्ता में आई लेकिन 2007 में भाजपा की बीना माहराना जीती तो उनकी पार्टी ने राज्य में अपना कार्यकाल पूरा किया।