गंगा और योग की ओर दुनिया आकर्षित : चिदानन्द सरस्वती

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परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन की शुरुआत कैलिफोर्निया, अमेरिका से आए गुरुशब्द सिंह खालसा के द्वारा कुण्डलिनी योग के अभ्यास के साथ हुई।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 101 देशों से आये योग जिज्ञासु शामिल है। इस महोत्सव में 70 से अधिक पूज्य संतो, योगाचार्यो एवं योग विशेषज्ञों द्वारा योग विधा के 150 विभिन्न आयामों का अभ्यास कराया जा रहा है। शनिवार को योग की शुरूआत कैलिफोर्निया, अमेरिका से आये गुरूशब्द सिंह खालसा के द्वारा कुण्डलिनी योग के अभ्यास के साथ हुई।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि ’गंगा की तरह ही योग की अनवरत धारा प्रवाहित करना योग महोत्सव का उद्देश्य है। जो सफलता की ओर बढ़ रहा है। गंगा और योग दोनो की ओर दुनिया के लोग आकर्षित हो रहे है अतः गंगा के तट पर योग सम्पन्न होना शाश्वत शान्ति, विश्व बन्धुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम की ओर अग्र्रसर होने की प्रक्रिया है।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशिका साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि ’दुनिया के सभी जल स्रोत माँ गंगा से जुड़े हिए हैं। सभी नदियां समुद्र में मिलती है जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है। जल ही जीवन है जिस प्रकार योग हमें आपस में जोड़ता है उसी प्रकार जल भी हमें जोड़ता है। जिस प्रकार योग सभी के लिये है उसी प्रकार गंगा भी। हमने शान्ति के लिए योग करने का संकल्प लिया है। हमें महसुस करना चाहिए की बहुत से लोग पर्याप्त जल के अभाव में मौत के मुंह में समा जाते है। अत जल की रक्षा के लिये मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
महोत्सव में प्रातः कालीन अन्य कक्षाओं का शुभारम्भ आनन्द मेहरोत्रा द्वारा हार्ट आफ कम्पैशन, डाॅ इन्दू शर्मा द्वारा पारम्परिक हठ योग एवं सूर्यनमस्कार, कोलम्बिया दक्षिण अमेरिका से पधारे स्वामी बी ए परमाद्वैती द्वारा ’इनबाउण्ड योग’ एवं संन्दीप देसाई द्वारा ’टाई-ची’ के अभ्यास के साथ हुआ। इसके अतिरिक्त बाली इन्डोनेशिया से डाॅ. आंड्रिया पेज ने स्वास्थ्य की बुनियाद पर परिचर्चा की जबकि हवाई द्वीप अमेरिका से आयी आनन्द्रा जार्ज ने गंगा के तट पर संगीतमय ध्यान कराया साथ ही सूर्योदय नाद योग का भी अभ्यास करावाया।
गोल्डन ब्रिज योग के संस्थापक गुरूमुख कौर खालसा एवं न्यूयार्क के जीवमुक्ति योग के योगाचार्य जूल्फ फेबर ने विभिन्न प्रकार के आसनों का अभ्यास कराया। अष्टांग एवं हठ योग विशेषज्ञ भारत शेट्टी ने ’न हटत न भलथ’ अर्थात दबाव रहित अभ्यास को परिभाषित करते हुए कहा कि आसन के दौरान प्रत्येक क्षण को श्वास क्रिया के साथ जोड़ो; अपने परिवेश में विद्यमान योगिक ऊर्जा का आनन्द लो। अनवरत रूप से प्रवाहमान गंगा की अविरल धारा एवं हिमालय से प्राप्त सतत आनन्द से स्वयं को जोड़कर उसे आत्मसात करो।