जानिए भूमि घोटालें की बारीकियां

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नैनीताल ऊधमसिंह नगर के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद पर पर 2012 से अब दस एसएएलओ के पद पर दस अफसरों की तैनाती हो चुकी है। जानकारी के अनुसार 13 जून 2012 को अशोक कुमार जोशी की एसएएलओ के पद पर नियुक्ति हुई जो 22 अक्टूबर 2013 तक तैनात रहे। 23 अक्टूबर को कार्यभार संभाला शिवचरण द्विवेदी ने, जो दो जनवरी 2014 तक तैनात रहे। इसके बाद दो जनवरी को ही मोहम्मद नासिर ने कार्यभार संभाला। उनका 18 जनवरी तक ही रहा। 19 जनवरी को यह कार्यभार चंद्र सिंह ने संभाला। 13 जुलाई 2014 को उनका तबादला हो गया। उसके बाद 14 जुलाई तीर्थपाल को कार्यभार सौंपा गया। वह 22 अगस्त तक एसएएलओ के पद पर रहे। इला गिरी का कार्यकाल 23 अगस्त 2014 से 25 नवंबर 2014 तक रहा। उसके बाद चंद्र सिंह मर्तोलिया ने 21 दिसंबर को कार्यभार संभाला और वह आठ जनवरी 2015 तक तैनात रहे। नौ जनवरी 2015 को कार्यभार संभाला अनिल कुमार शुक्ला ने जो 17 जनवरी 2016 तक तैनात रहे। 18 जनवरी 2016 को डीपी सिंह ने कार्यभार संभाला जो 15 मार्च 2017 तक रहे। उसके बाद एनएस नबियाल को यह जिम्मा सौंपा गया है। इस दौरान एपी बाजपेई अपर विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद पर सात जुलाई 2016 से 12 अगस्त 2016 तक तथा चंद्र सिंह इमलाल भी इसी पद पर 16 अगस्त 2016 से 23 अगस्त 2016 तक तैनात रहे।

जो सभी नेशनल हाइवे के भूमि मुआवजा वितरित करने में118 करोड़ के घोटाले की जद में हैं। जिसको लेकर जांच शुरु हो गयी है।जिसको लेकर कुमाऊ कमिश्नर ने अधिकारियों की बृहस्पतिवार को जमकर परेड कराई और फाईलों के पुलिदे लगवा दिये।वहीं परतें खुलती जा रही हैं। हालांकि गत दिवस शासन के निर्देश पर विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद से डीपी सिंह को हटा दिया गया था, मगर शुरूवाती जांच में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि श्री सिंह साजिश के शिकंजे में फंसे हुए हैं। भूमि अधिग्रहण से लेकर अभिनिर्णय पारित करने और मुआवजा वितरण का अधिकतर कार्य डीपी सिंह की तैनाती से पहले हो चुका था। अपनी दबंग छवि के कारण डीपी सिंह सिंडिकेट व अफसरों के निशाने पर हैं। इसकी पृष्ठभूमि में सरकारी भूमि का मुआवजा लेने वालों के मंसूबे नाकामयाब करने की बात भी चर्चा में हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 74 काशीपुर सितारगंज अनुभाग का प्रथम गजट नोटिफिकेशन पांच जुलाई 2013 को और द्वितीय गजट नोटिफिकेशन 3 एक 19 मार्च 2014 को हुआ। इसके साथ ही प्रथम 3 डी नोटिफिकेशन 25 फरवरी 2014 और द्वितीय 3 डी नोटिफिकेशन को हुआ। हम बात करें अभिनिर्णय पारित करने की तो ग्राम कनौरी में आठ अगस्त 2014, कनौरा में सात मार्च 2015, महेशपुरा में पांच फरवरी 2015, हरलालपुर में एक अगस्त 2014, गुमसानी आठ अगस्त 2014, ताली नौ नवंबर 2015, बिचपुरी 23 अगस्त 2014, टांडा आजम में 26 सितंबर 2014, भव्वा नंगला एक अगस्त 2014, केलाखेड़ा 28 अगस्त 2014, मुंडिया मर्न 23 मार्च 2015, रत्ना की मंडिया 21 जनवरी 2015, फतेहगंज 21 फरवरी 2015, मसीत 29 अगस्त 2014, पत्थरकुई 26 सितंबर 2014, मुंकुंदपुर 30 अगस्त 2014, गोपालनगर 27 सितंबर 2014, बरी राई 30 अक्टूबर 2014, अलखदेई 23 अगस्त 2014, बराखेड़ा 17 मार्च 2015, मोतियापुरा नौ जनवरी 2015, झगड़पुरी 30 अगस्त 2014, पिपलिया/गदरपुर दो मार्च 2015, बूरानगर 20 अप्रैल 2015, महतोष 16 अप्रैल 2015, खानपुर 21 अप्रैल 2015, जाफरपुर 12 मई 2015, दानपुर छह मई 2015, रुद्रपुर 22 मई 2015, चुटकी 22 मई 2015, लालपुर 12 मई 2015, रम्पुरा 13 अप्रैल 2015, बगवाड़ा 22 मई 2015, सिरौली कलां 27 अप्रैल 2015, पिपलिया किच्छा 11 जुलाई 2014, कोठा, किशनपुर व सिरौली खुर्द 11 जुलाई 2014, भमरौला सात जुलाई 2015, भंगा 10 जुलाई 2015, कोलडिया 11 मई 2015, शिमला पिस्तौर छह मई 2015, बरा 27 अप्रैल 2015, नकहा 11 मई 2015, कुंवरपुर पांच मई 2015, कठंगरी छह मई 2015, सिसैया पांच मई दढ़हा आठ जुलाई 2014, गोठा 27 मई 2014, मखबारा 10 जुलाई 2014, लौका 11 जुलाई 2014 एवं गौरीखेड़ा सात अप्रैल 2016 को हुआ।

अब नजर डालते हैं बाजपुर के ग्राम ताली पर जहां तकरीबन 20 करोड़ का मुआवजा 2015 में ही वितरित किया गया है। जिसमें राजेश कुमार, महेश चंद्र, अशोक कुमार, संजय पुत्रगण राजकुमार, जसमीत कौर पुत्री जितेंद्र पाल व सुरेंद्र को दो जनवरी 2016 को 951500 रुपये 32883531 रुपये, 21 दिसंबर 2015 को 27828472 रुपये 10164000 रुपये मुआवजा दिया गया। हरजिंदर कौर पत्नी सुखदेव सिंह, सुखविंदर कौर पत्नी बलदेव सिंह को 14 अक्टूबर को 7788000 रुपये,  हरजीत सिंह पुत्र जोगेंद्र सिंह आदि को 29 अक्टूबर 2015 को 19592099 रुपये, हरवंत सिंह पुत्र जोगेंदर सिंह को 12399310 रुपये, हरप्रीत कौर पत्नी हरदीप सिंह को 14 अक्टूबर 2015 को 1204500 रुपये तथा 4213000, लखविंदर सिंह पुत्र रूवैल सिंह को 14 अक्टूबर 2015 को 9168500 रुपये, 8723000 रुपये, 1908500, 1479500, 105600, 689700, 1584000, 751300, 2392500 व 22000 रुपये का भुगतान किया गया। दलजीत कौर पत्नी हरपिंदर आदि को 14 अक्टूबर 15 को 40010248, अमृतपाल सिंह पुत्र तारा आदि को 14140500 रुपये आदि को 19 करोड़ 9938486 रुपये का भुगतान किया गया।

यहां बता दें कि गदरपुर के बरीराई में खसरा संख्या 30 रकवा 0.4836 में जरनैल सिंह पुत्र सुंदर सिंह को दो करोड़ 3938200 रुपये का मुआवजा भी वर्ष 2015 में अवैध तरीके से भूमि को अकृषक कराकर जारी किया गया था। जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज पांडेय ने पटवारी, कानूनगो से लेकर तहसीलदार व एसडीएम तक के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी, मगर यह पत्रावली कागजों में गुम होकर रह गई। यानि अभिनिर्णय पारित करते वक्त भी डीपी सिंह तैनात नहीं थे और मुआवजा देते वक्त भी उनकी तैनाती नहीं थी। ऐसे में उन पर उठ रही अंगुली सवालों के घेरे में जरूर है। यहां चर्चा है कि डीपी सिंह ने अपने कार्यकाल में दबंगई दिखाई और सरकारी भूमि का मुआवजा ले रहे कुछ लोगों की सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया। इसके बाद से वह सिंडीकेट और कुछ अफसरों के निशाने पर आ गए। उनके घर आयकर का छापा पड़ा। इस घोटाले में एनएचआई के अफसरों की भी मिलीभगत सामने आ रही है, क्योंकि उन्होंने किसी भी फाइल पर आपत्ति तक नहीं की और एसएएलओ द्वारा पारित अभिनिर्णय के अनुसार ही मुआवजा राशि जारी कर दी।