इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति से संबंधित याचिका हाई कोर्ट में खारिज

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हाई कोर्ट ने अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में नियुक्त दरोगा की इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति से संबंधित याचिका खारिज कर दी। एसआई सुभाष चंद्र व अन्य ने याचिका दायर कर दरोगा से निरीक्षक पद पर स्थायी नियुक्ति की मांग की थी।

अदालत ने कहा कि सब इंस्पेक्टर पद पर याचिकाकर्ताओं की स्थायी नियुक्ति 2008 में हुई थी। इसलिए उन्हें पूर्व से वरिष्ठता का लाभ नहीं दिया जा सकता। याचिकाकर्ता का कहना था कि वह 1999 में उत्तर प्रदेश में शुरू दरोगा भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे। परीक्षा भी पास कर ली थी, मगर इलाहाबाद हाई कोर्ट से रोक के बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। राज्य बनने के बाद 2003 में हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल को उत्तराखंड के लिए आवंटन कर दिया। इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट का स्टे खारिज हो गया। इस आधार पर वह 1999 से उप निरीक्षक के पद के लिए अहं हो गए थे।

याचिका का विरोध करते हुए 2002 बैच के दरोगाओं ने कहा कि याचिकाकर्ता 2008 में सब इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए हैं, इसलिए वह वरिष्ठता पाने के हकदार नहीं हैं। दोनों पक्षों की सुनवाई व पुलिस एक्ट व रेग्लूलेशन के आधार पर एकलपीठ ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता दरोगा पद पर 2008 में नियुक्त हुए हैं, उनकी नियुक्ति भी तभी से मानी जाएगी, वह पूर्व की तिथि से नियुक्ति मांगने के हकदार नही हैं। मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकलपीठ में हुई।