उत्तराखंड, नैनीताल बार काउंसिल के अध्यक्ष व महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश पर अधिवक्ताओं के प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया जा रहा है। इसके मद्देनजर काउंसिल में पंजीकृत 12 हजार पांच सौ अधिवक्ताओं से सत्यापन फार्म लेने के लिए कहा गया था जिनमें से दस हजार पांच सौ अधिवक्ताओं ने ही फॉर्म के लिए आवेदन किया। फॉर्म लेने के बाद भी केवल 7252 अधिवक्ताओं ने ही सत्यापन के लिए आवेदन किया। इससे साफ है कि राज्य में दो हजार अधिवक्ताओं की डिग्री या तो फर्जी है या वे प्रेक्टिस नहीं कर रहे।
बार काउंसिल सभागार में गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस करते हुए महाधिवक्ता बाबुलकर ने कहा कि विधि आयोग की ओर से अधिवक्ता विधेयक में संशोधन की सिफारिशें गलत हैं। बार काउंसिल में रिटायर जज व अफसर की भूमिका निर्धारित करना, काउंसिल में कोर्ट के आदेश पर दस फीसद पद चार्टेड एकाउंटेंट व डॉक्टरों से भरना गलत है। इन सिफारिशों के विरोध में शुक्रवार को हाई कोर्ट व जिला बार एसोसिएशन प्रस्तावित विधेयक की प्रतियां जलाएगा जबकि अखिल भारतीय स्तर पर दो मई को अधिवक्ता राजघाट से संसद तक मार्च निकालेंगे।
बाबुलकर ने कहा कि अधिवक्ता कल्याण के लिए मुख्यमंत्री की एक करोड़ बजट प्रावधान की घोषणा को पूरा करवाया जाएगा। इसके लिए वह जल्द मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। साथ ही अधिवक्ताओं के लिए अंशदायी योजना का बार काउंसिल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव मंजूर कराने के प्रयास किए जाएंगे। वहीं बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष की विशेष कमेटी के सदस्य हरि सिंह नेगी व चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में अधिवक्ता हित के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई।
काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष की विशेष कमेटी के सदस्य तिवारी ने कहा कि अब तक जांच पूरी होने के बाद अब तक 80 अधिवक्ताओं को प्रमाणपत्र जारी हो चुके हैं। 350 अधिवक्ताओं के प्रमाणपत्रों की जांच पूरी होने के बाद उन्हें भी जल्द प्रमाणपत्र जारी होंगे। अब तक 20 अधिवक्ताओं के प्रमाणपत्र व डिग्री फर्जी पाई गई हैं। कुछ का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया जबकि शेष की निरस्त करने की सिफारिश की जा चुकी है।