मसूरी में चालीस दिन के अंदर 10 बार तेंदुए देखे गए, वन विभाग ने जारी किया हेल्प लाइन नंबर

0
1238

बीते चालीस दिनों के अंदर मसूरी में तकरीबन 10 बार तेंदुए दिखने से यहां के स्थानीय लोग डरे हुए हैं। करीब एक हफ्ता भी नहीं हुआ है जब तेंदुए ने एक होटल के कर्मचारी पर हमला किया था, इतना ही नहीं कैम्टी टैक्सी स्टैंड के पास रहने वाले नंदलाल किशोर के घर से नजदीक आबादी वाले इलाके में दिन के उजाले में एक मादा तेंदुए को दो बच्चों के साथ देखा गया।

नंद लाल बताते हैं कि कल जब वह अपने घर दिन का खाना खाने जा रहे थे- “मै उनसे दो फीट दूर था जब मैंने तेंदुए और उसके दो बच्चों को देखा। मै अपनी जान बचाकर वहां से भागा इससे पहले की वह तेंदुआ मुझे देखता। सबसे डरावनी और सच्चाई वाली बात तो यह हैं कि मैं मसूरी में पला-बड़ा हुआ हूँ और आज तक मैंने ना तेंदुआ देखा था ना सुना था वो भी इंसानों के इतने पास और इतना निडर।”

इतनी जल्दी-जल्दी तेंदुए का इंसानों की बस्ती में दिखने के रिर्पोट ने फारेस्ट डिर्पाटमेंट के कान खड़े कर दिए हैं और वे जी जान लगा कर इस चार-पांच साल के तेंदुए और उसके बच्चों को ढूंढ़ने में लग गए है, इससे पहले की ये किसी के खतरे का कारण बने। डी.एफ.ओ साकेत बडोला ने सबको यह सुझाव दिया है कि

  • जिसको भी ये जानवर फिर दिखें वो ज्यादा खतरा ना लेते हुए तुरंत जंगल अधिकारियों को फोन करें ताकि वो कुछ मदद कर सके।
  • क्योंकि ये दानवर अधिकतर कूड़े के ढेर के पास देखें गये हैं ऐसे में कूड़े की प्रतिदिन सफाई के लिये नगर पालिका से कहा गया है।
  • वन विभाग ने सभी होटल व लाॅज मालिकों से आने वाले पर्यटकों को सावधान रहने के लिये कहा गया है।
  • साथ ही मसूरी नगर पालिका को स्ट्रीट लाइट की बेहतर व्यवस्था कराने के लिये भी कहा जा रहा है।

 वन विभाग ने तेंदुए और उसके शावकों को ढूंढने के लिये दो टीम गठित की हैं, जिसमें 4-5 अधिकारी हैं जो रात दिन ऐसे इलाकों में गश्त कर रहें हैं जहां तेदुओं को देखा गया है।साथ ही वन विभाग ने लोगों की मदद और तेंदुऐ की जानकारी देने के लिये हेल्प लाइन नंबप भी जारी किया है। ये नंबर है 91- 7088460960। वहीं डरे हुए स्थानीय लोग चाहते हैं कि वो तेंदुआ और उसके बच्चे इंसानों के इलाके से जितना दूर हो सके उतना दूर चले जाएं। पिछले कुछ सालों से “मैन ऐनिमल काॅनफिल्कट” जंगल, जानरों और इंसानी रिश्तों के लिये एक बड़ा मुद्दा बन के उभरा है।पर्यावरण के जानकार हमारे पहाड़ों मेंहो रही बेतरतीब विकास को एक बड़ा कारण मानते हैं जिसके चलते जानवरों की रिहाईश कादायरा छोटा होता जा रहा है और वो इंसानी बस्तियों की तरफ ज्यादा बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस तरह के वाक्ये इस मुद्दे को और बल दे रहे हैं।