मुख्यमंत्री ने भी माना कि राज्य में “कागज़ों पर है हरियाली”

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गुरुवार को वन विभाग की समीक्षा बैठक करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अधिकारियों से खासे नाराज़ दिखाई दिये।बैठक में मुख्वयमंत्री ने पूछा कि चरागाह विकास, वृक्षारोपण की योजनाओं को मॉनिटर कैसे किया जा रहा है ? इस पर जवाब से असंतुष्ट रावत ने कहा कि ‘‘कागजों में हरियाली और मौके पर कोई काम नहीं’’ ये स्थिति स्वीकार नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों से पूछा कि मैन ऐनिमल काॅनफ्लिक्ट को रोकने के लिये क्या किया जा रहा है? 

वन राजस्व के हालात पर भी मुख्यमंत्री ने लीसा चोरी के मामलों पर सख्ती दिखाते हुए पूछा कि “यदि वन विभाग के डिपो से बिक्री नहीं हो रही तो लीसा की 100 से अधिक फैक्टरियां कैसे चल रही है। उनके द्वारा किये जाने वाला उत्पादन और वहां खपत हो रहे लीसे को को कौन क्रॉस चेक कर रहा है? मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि वन विभाग के सभी डिपों में एकत्र लीसे को पारदर्शी तरीके से नीलाम किया जाय। नीलामी प्रक्रिया को एक उच्च स्तरीय अधिकारियों की समिति द्वारा माॅनिटर किया जाय।इसके साथ साकत मुख्यमंत्री ने अवैध खनन को रोकने के लिये भी वन अधिकारियों को और चुस्ती दिखाने की हिदायत दी।साथ ही जंगलों में आग पर जल्द स् जल्द काबू पाने औप आग से बचाव के कारगर उपाये करने को कहा।

गौरतलब है कि राज्य के वन मंत्री हरक सिंह रावत हैं जो कुछ दिन पहले ही अपने बयानों से राज्य की बीजेपी सरकार और नेताओं के लिये परेशानी का सबब बन चुके हैं। ऐसे में हरक सिंह के ही विभाग के अधिकारियों पर मुख्यमंत्री की नाराजगी को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है।