ऊधमसिंह नगर में राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के निर्माण में 363 करोड़ के मुआवजा घोटाले में केंद्र सरकार बचाव में उतर आई है। प्राथमिकी से नेशनल हाईवे के तीन अधिकारियों के नाम निरस्त करने की मांग को लेकर केंद्र ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया। हाईकोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई करते राज्य सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही याचिकाकर्ताओं से 28 जुलाई तक प्रतिउत्तर दाखिल करने को कहा है।
उधमसिंह नगर में 363 करोड़ के घोटाले में एनएचएआई के तीन अफसरों के खिलाफ इसी साल दस मार्च को मुकदमा दर्ज किया गया है। इन अफसरों ने खुद को बेकसूर मानते हुए प्राथमिकी निरस्त कारने को याचिका दायर की है।
कुमाऊं आयुक्त डी सैंथिल पांडियन की जांच रिपोर्ट में इस मामले में 363 करोड़ की अनियमितता का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट के आधार पर दस मार्च को एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रताप शाह द्वारा आठ से दस गुना मुआवजा लेने वाले भू स्वामी, कृषि भूमि को अकृषि भूमि के लिए 143 की कार्रवाई करने वाले एसडीएम, उनके पेशकार, तहसीलदार, लेखपाल, राजस्व कानूनगो, चकबंदी अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी, चकबंदी कानूनगो, परियोजना निदेशक एनएचएआइ रुद्रपुर, नजीबाबाद तथा क्षेत्रीय अधिकारी एनएचएआइ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
राज्य सरकार ने इस मामले में एक रिटायर्ड समेत आधा दर्जन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया था। सरकार ने मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति केंद्र को कर दी। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा राज्य सरकार को पत्र भेजकर सीबीआइ जांच से केंद्र के अफसरों के मनोबल पर असर पडऩे का उल्लेख किया था।