एक पुलिस इंस्पेक्टर जिसकी पहचान बन गया बदरीनाथ धाम

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    खाकी वर्दी पहने पुलिस इंस्पेक्टर तो तमाम हैं, लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसे पुलिस इंस्पेक्टर भी हैं, जिनकी पहचान भगवान बदीनाथ मंदिर से जुड़ी है। पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से ये इंस्पेक्टर भगवान बदरीनाथ मंदिर की सुरक्षा संभालते रहे हैं। आजकल इनकी तैनाती यूं तो हरिद्वार में है, लेकिन कपाट बंद होने से पहले एक बार फिर उन्हें बदरीनाथ धाम बुला लिया गया है।

    हरिद्वार में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल में तैनात इंस्पेक्टर महानंद शुक्रवार को बदरीनाथ में सेवा देने के लिए रवाना हुए। मंदिर के थाने में रहने के कारण इंस्पेक्टर महानंद की पहचान ही अब बदरीनाथ धाम ही हो चुकी है। बदरीनाथ मंदिर की सुरक्षा की बात आती है तो पुलिस अफसरों को इनकी याद जरूर आती है। महानंद की पुलिस महकमे में एक ईमानदार और साफ सुथरी छवि हैं। इसी कारण महानंद का राष्ट्रपति पदक के लिए भी चयनित किया गया है। इंस्पेक्टर महानंद वर्ष 2006 से भगवान बरीनाथ धाम मंदिर के थाने से जुड़े हैं। बदरीनाथ धाम में रहने वाले बच्चे बूढ़े सभी महानंद से परिचित हैं। इसके अलावा पुलिस महकमें के तमाम अधिकारी महानंद को बदरीनाथ मंदिर की सुरक्षा के लिये विशेष तौर पर जानते हैं। जब बात मंदिर और वहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा और वीवीआईपी को दर्शन कराने की आती है तो पुलिस महकमे के अफसर सबसे पहले महानंद को बदरीनाथ धाम पर भेजते हैं। इंस्पेक्टर महानंद ने इसी विशेष योग्यता के चलते राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी समेत देश की तमाम बड़ी हस्तियों को भगवान के दर्शन कराए हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था देखते-देखते महानंद के आचार विचार पूरी तरह धार्मिक हो गए हैं। उनको कभी गुस्सा नहीं आता है। हांनद ने बताया कि बदरीनाथ में कार्य करने से एक तो ड्यूटी होती है, दूसरा भगवान की सेवा का भी अवसर प्राप्त होता रहता है। श्रद्धालुओं की सेवा करने में उन्हें आनन्द की अनुभूति होती है।
    इंस्पेक्टर महानंद पौड़ी गढ़वाल के गांव गढरी मल्ली के रहने वाले हैं। साल 1977 में बतौर पुलिस कांस्टेबल पुलिस महकमें का हिस्सा बने। साल 1988 में प्रोन्नति पाकर दारोगा बन गए। इस दौरान गढ़वाल के रुद्रप्रयाग, चमोली और हरिद्वार में तैनाती रही। साल 2006 से 2009 तक महानंद को बदरीनाथ धाम के थाने में डयूटी पर भेजा गया। इस दौरान महानंद की कर्मठता से पुलिस अफसर बहुत प्रभावित हुए और उन्हें निरीक्षक बनाया गया। इसके बाद से ये सिलसिला लगातार चल रहा है। महानंद की पोस्टिंग किसी थाने में हो, लेकिन यात्रा सीजन में बदरीनाथ धाम की डयूटी के लिए महानंद को ही भेजा जाता रहा है।