शहीद बेटे के नाम को आगे बढ़ाते पिता ब्रिगेडियर गुरुंग

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देहरादून, लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग भारतीय सेना में अपने ही पिता ब्रिगेडियर पी एस गुरुंग की यूनिट में तैनात थे, और करगिल युद्ध शुरू होने पहले प्री वार के समय लाइन-ऑफ-कंट्रोल पर अपने फ़र्ज़ को अंजाम दे रहे थे, कि अचानक दुश्मन की एक गोली उनके सीने जा लगी, मगर गोली लगने के बाद भी भारतीय सेना द्वारा दी गई जिम्मेदारी से पीछे ना हटते हुए आखिरकार शहीद हो गए।

उनके शहीद होने की खबर उनके पिता ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग को मिली पर बेटे की शहीद होने की खबर सुनकर उनकी आँखों में आसू का एक कतरा भी नहीं आया, बल्कि बेटे के देश पर कुर्बान होने की खबर सुनकर उनका सीना गर्व से  चौड़ा हो गया।लेफ्टिनेंट गुरुंग तो चले गये मगर उनके पिता ने अपने बेटे के नाम को हमेशा के लिए जिंदा रखने का फैसला कर लिया, और एक ऐसे ट्रेंनिग सेंटर की शुरुआत कि, जिसने कई जरूरतमंद बच्चो को सेना में जाने के लिए रास्ते खोल दिये।

ब्रिगेडियर गुरुंग ने अपने बेटे की पेंशन से एक बॉक्सिंग इंस्टीट्यूट खोला जहाँ पर उन्होंने पैसों की कमी से त्रस्त बच्चों को बॉक्सिंग और सेना में जाने की ट्रेंनिग देना शुरू कर दिया जिसके तहत अब तक 62 बच्चें उनसे ट्रेंनिग लेकर भारतीय सेना का हिस्सा बन चुके हैं, और इसके अलावा कई और बच्चें सेना जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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यह देश का एकमात्र ट्रेंनिग इंस्टीट्यूट हैं जो शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की पेंशन से  चल रहा हैं। इस नेक कार्य में सहायक के रूप में अपना योगदान देने वाले बॉक्सिंग कोच नरेश गुरुंग कहते है कि, “इंस्टीट्यूट में 76 बच्चें ट्रेंनिग ले रहे। जिसमें से कुछ एक नेशनल बॉक्सिंग में सलेक्ट हो चुके हैं। साथ ही कुछ एक इसकी तैयारी में है। तो बाकि उनके मकसद के अनुसार देश सेवा में सेना में जाने की तैयार हो रहे हैं।”

नरेश गुरुंग की माने तो अब उनका जीवन का भी उद्देश्य ब्रिगेडियर साहब की तरह ही हैं ,जिसमें वो ऐसा ही नेक कार्य में लगकर लेफ्टिनेंट गौतम साहब की तरह ही बच्चों को प्रोत्साहित कर खेल कोटे में तैयार में भारतीय सेना में शामिल करवाने में जुटे हैं।

उधर शहीद गौतम गुरुंग इंस्टीट्यूट में अपनी प्रतिभा को निखार रहे बच्चों मे से वरुण का कहना है कि, “जैसा माहौल यहा है और कही देखने को नहीं मिला है, जहाँ निशुल्क कोंचिंग होने के बावजूद इतनी शिद्दत के साथ ब्रिगेडियर सर और गुरुजनों द्वारा पूरे निष्ठा के साथ उनको बॉक्सिंग तैयार कर सेना के लिए तैयार किया जा रहा हैं।  सिखाने का जुनून यहाँ मिलता हैं उससे इतनी ताकत आती हैं कि,जीवन में कोशिश करने वाले कि कभी हार नहीं होती।”

शहीद गौतम मेमोरियल में आकर ब्रिगेडियर गुरुंग की शरण ले रहें इन बच्चों और ब्रिगेडियर गुरुंग और उनकी टीम के इस जज्बे को हम सलाम करते हैं।