फाइलों में धूल फांक रहे एबीसी सेंटर के प्रस्ताव

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देहरादून। प्रदेश भर के नगर निगम क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण करने के लिए स्थापित किए जा रहे एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर के प्रस्ताव शहरी विकास निदेशालय में धूल फांक रहे हैं। करीब दो माह पहले हरिद्वार, रुड़की व काशीपुर नगर निगम ने एबीसी सेंटर के प्रस्ताव निदेशालय को भेजे थे, लेकिन इन्हें अब तक शासन को नहीं भेजा जा सका और न ही प्रस्ताव पर किसी तरह की आपत्ति ही लगाई गई। इसको लेकर स्टेट एबीसी मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य सचिव ने निदेशालय के अपर निदेशक उदय सिंह राणा के समक्ष आपत्ति भी दर्ज की है।

आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए प्रथम चरण में देहरादून, नैनीताल व मसूरी में एबीसी सेंटर स्थापित किए गए हैं। देहरादून व नैनीताल में नसबंदी कार्य भी शुरू कर दिया गया है जबकि मसूरी में केंद्र की सड़क क्षतिग्रस्त हो जाने के चलते यह कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है। दूसरे चरण के तहत हल्द्वानी, हरिद्वार, रुड़की व काशीपुर नगर निगम के प्रस्ताव शहरी विकास निदेशालय को भेजे गए थे। इनमें से हल्द्वानी में एबीसी सेंटर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है जबकि अन्य नगर निगमों के प्रस्ताव निदेशालय में धूल फांक रहे हैं।
स्टेट एबीसी मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य सचिव आशुतोष जोशी ने लंबित प्रस्तावों को लेकर शहरी विकास निदेशालय के अपर निदेशक उदय सिंह राणा से मुलाकात की और आपत्ति जताई कि निदेशालय के कार्मिकों के असहयोग के चलते सेंटरों का निर्माण शुरू करने में विलंब हो रहा है। जब तक निदेशालय प्रस्ताव पास कर शासन को नहीं भेजेगा, तब तक बजट स्वीकृत नहीं हो पाएगा। जबकि शासन के पास अभी सेंटर के लिए 2.5 करोड़ रुपये का बजट भी उपलब्ध है।
प्रस्ताव को किया तलब
स्टेट एबीसी मॉनिटरिंग कमेटी की आपत्ति के बाद अपर निदेशक राणा ने प्रस्ताव तलब किए और इन्हें पास कर शासन को न भेजने पर नाराजगी भी जाहिर की। उन्होंने कमेटी को आश्वस्त किया कि प्रस्तावों का शीघ्र परीक्षण कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में 9636 कुत्तों की नसबंदी
स्टेट एबीसी मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य सचिव डॉ. आशुतोष जोशी के मुताबिक, देहरादून व नैनीताल में कुत्तों की नसबंदी का कार्य शुरू कर दिया गया है। देहरादून में करीब 25 हजार आवारा कुत्तों के सापेक्ष 8800 की नसबंदी कर दी गई है। जबकि नैनीताल में 950 की संख्या में आवारा कुत्तों का सर्वे किया गया है और अब तक 836 की नसबंदी की जा चुकी है। वहीं मसूरी में यह संख्या 1200 के करीब है, यहां अब तक नसबंदी कार्य शुरू नहीं हो पाया है।