कानूनी जंग में डीपी की हार, सरेंडर

    0
    529

    पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह कानूनी दांव पेंच में अपनी पहली लड़ाई हार गए। अंतत: उन्हें एसएसपी दफ्तर में आत्म समर्पण करना पड़ा,एनएच 74 मुआवजा घोटाले के आरोपी निलंबित पीसीएस अफसर डीपी सिंह ने गुरुवार को ढाई बजे फिल्मी अंदाज में एसएसपी दफ्तर पर आत्म समर्पण किया। वह अपने साथ अधिवक्ताओं को लेकर आए थे।

    पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह की पुलिस लंबे समय से तलाश कर रही थी। उनके आवासों पर कुर्की का नोटिस चस्पा हो चुका था। जबकि डीपी सिंह को पकडने के लिए पुलिस का पूरा ध्यान नैनीताल स्थित कोर्ट पर था लेकिन एसएसपी आफिस में पहुंचे डीपी को देख सभी चकित रह गये।

    प्रदेश का सबसे चर्चीत मुआवजा घोटाले के मुख्य आरोपी की तलाश लम्बे समय से चल रही थी लेकिन इस जांच में तब ट्वीस्ट आ गया जब पुलिस को छकाते हुए डीपी सिंह ने खुद आत्म समर्पण कर दिया, गुरुवार को ढाई बजे पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह अपनी कार से दो अधिवक्ताओं के साथ एसएसपी दफ्तर पहुंचे। उन्होंने दफ्तर के बाहर कार खड़ी की। वहां से वह पैदल चल कर एसएसपी दफ्तर पहुंचे।

    इस दौरान उनके अधिवक्ता पूरी वीडियोग्राफी कर रहे थे, ताकि एसआईटी उनकी गिरफ्तारी न दर्शा सके। डीपी सिंह ने एसएसपी दफ्तर का दरवाजा खोला और बोले, “मैं आई कम सर।” डीपी सिंह को देखकर पुलिस आफिस में हलचल मच गई। उन्हें एसआईटी के दफ्तर में बिठाया गया, देखते ही देखते वहां मीडिया का जमघट लग गया। माना जा रहा है कि कल डीपी सिंह को पुलिस न्यायालय के समक्ष पेश करेगी। फिलहाल डीपी सिंह से पूछताछ की जा रही है।

    गौरतलब है कि तकरीबन 270 करोड़ के एनएच चौड़ीकरण में मुआवजा घोटाले में डीपी सिंह को आरोपी बनाया गया है। पुलिस को काफी समय से उनकी तलाश थी। गैरजमानती वारंट होने के बाद पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट से अनुमति लेकर धारा 82 के अंतर्गत कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया था। उसके बाद डीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी।

    पुलिस की नजर नैनीताल स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट पर थी। दरअसल, पुलिस को यह अनुमान था कि डीपी सिंह कोर्ट में सिरेंडर कर सकते हैं। हालांकि पुलिस की कई टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिशें दे रही थी। पुलिस की सारी चौकसी को धता बता कर डीपी सिंह ने खुद एसएसपी दफ्तर पहुंच कर आत्म समर्पण कर दिया।
    जब एसआईटी ने उन्हें बयानों के लिए बुलाया था तो वह कानून की किताब लेकर अपने बयान दर्ज कराने आए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनके द्वारा जो भी अभिनिर्णय पारित किए गए हैं वह नियमों के हिसाब से सही हैं। डीपी सिंह कानूनी दांव पेंच का सहारा लेते रहे, लेकिन कानूनी दांव पेंच में वह फिलहाल लड़ाई हार गए, और उनको आत्म समर्पण करना पड गया। फिलहाल डीपी से एसआईटी को और भी कई बडे खुलासे की उम्मीद है।