एसिड अटैक के रुड़की के एक मामले में फैसला सुनते हुए उच्च न्यायालय ने कड़ा कदम उठाते हुए कहा है कि एसिड अटैक के मामलों को रोजाना सुना जाये और ट्रायल को 90 दिनों के अंदर खत्म किया जाये। अदालत के सामने आये मामले में आरोपी के खिलाफ सात दिन में रिपोर्ट दर्ज कर अदालत में पेश करने के निर्देश जारी किए हैं । वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद शर्मा की खंडपीठ ने इसी माह 5 जून को मामले को सुरक्षित रखा था जिसको आज सुनाया गया।
एसिड अटैक के एक पुराने मामले में रुड़की निवासी शिकायतकर्ता कुंवर सिंह ने 18 दिसंबर 2009 को रुड़की कोतवाली में तहरीर देकर कहा था कि उनकी पुत्री कविता दोपहर ट्यूशन पढ़कर घर आ रही थी । कविता के पिता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने एक मग से उनकी बेटी के ऊपर तेजाब(एसिड) डाल दिया जिससे उसका मुंह जल गया। निचली अदालत से आरोपी बयानों के अभाव में 5 अगस्त 2010 को बरी हो गया था जिसके खिलाफ सरकार उच्च न्यायालय आई थी ।
आज न्यायालय ने
- राज्य सरकार से एसिड अटैक के पीड़ित के लिए आपराधिक चोट मुआवजा बोर्ड बनाने को कहा है ।
- राज्य के अन्दर सभी निजी चिकित्सकलयों को निर्देशित किया है कि वो अनिवार्य रूप से सभी पीड़ितों को त्वरित उपचार दें ।
- कोई भी व्यापारी निजी खरीददार को एसिड ना बेचे और अगर ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ एफ.आई.आर.दर्ज कराई जाए ।
- सिस्टम की कमी के चलते एसिड अटैक की अनियंत्रित घटनाओं पर रोक के लिए राज्य के सभी एस.एस.पी.को निर्देशित किया है कि वो घटना के बाद त्वरित आई.पी.सी.की धारा 326A, 326B, 354A, 354B, 354C aur 354D में वाद दायर कर किसी गजेटिड अधिकारी के निर्देशन में जांच कर सात दिन में रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे ।
- एसिड अटैक के गवाह को केस के ट्रायल खत्म होने तक सरकारी सुरक्षा देने को कहा है ।
- पीड़ित को शारीरिक रूप से अक्षम मानते हुए विकलांग कोटा देकर सरकारी नौकरी का पात्र मानने और दूसरे मुआवजे देने को कहा है ।
- इसके अलावा पीड़ित को एफ.आई.आर.दर्ज होने के तत्काल बाद एक लाख रुपये की सहायता राशी और थर्ड व फोर्थ डिग्री के घाव वाले पीड़ित को सात हजार रुपये की धनराशि प्रतिमाह देने को भी कहा है ।