धरती मां को बंजर बना रही रसायनिक खाद्य

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    रुद्रपुर, रसायनिक खाद के लगातार प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता लगातार घटती जा रही है, धरा की दशा खराब होते देख जहां विशेषज्ञ चिंतित है तो लगातार उनके द्वारा किसानों को चेतावनी भी दी जा रही है, बावजूद इसके किसान समय पर नहीं चेता तो पैदावार पर तो असर पडेगा ही साथ ही खेत बंजर नजर आयेंगे।

    जी हां रासायनिक खाद के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी की सेहत को नाजुक होती जा रही है। जिससे धरा की दशा खराब होने लगी है। समय रहते किसान नहीं चेता तो उपज की पैदावार तो कम होगी ही लागत बढ़ने से नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि कृषि विभाग लगातार किसानों को मृदा परीक्षण करवा उसके मुताबिक खाद व पोषक तत्वों का प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है।

    कृषि विभाग द्वारा जनपद में मृदा परिक्षण का कार्य युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है। मृदा परीक्षण के बाद पोषक तत्वों की वास्तविक स्थिति सामने आने लगी है। जनपद में चालीस हजार से भी अधिक नमूने जांच के लिए रुद्रपुर स्थित मृदा परीक्षण लैब में पहुंचे तो उनकी जांच के बाद सहीं स्थिति सामने आने लगी है। जांच के दौरान भूमि में लौह पोषक तत्वों की काफी कमी पाई गई है। जो कि बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि मृदा परीक्षण के माध्यम से इसका खुलासा होने के बाद किसान लौह तत्व का प्रयोग कर इस कमी को पूरा कर सकते है। नमूनों की रिपोर्ट पर नजर डाले तो काशीपुर व सितारगंज ब्लॉक में नाइट्रोजन व फॉस्फोरस की स्थिति भी न्यून पाई गई है। जनपद में लिए गए मिट्टी के नमूने के आंकड़ों पर नजर दौडायें तो चैंकाने वाले तत्थ सामने आयेंगे।

    मृदा परीक्षण से भूमि में पोषक तत्वों की कमी का आंकलन होने के बाद किसान उन पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग कर लागत भी कम कर सकता है। साथ ही खेत में अनावश्यक रासायनिक खाद के प्रयोग से प्रभावित हो रही उर्वरा शक्ति को संतुलित कर सकता है। जिसका असर उसको कम लागत में अधिक पैदावार के रूप में हासिल हो सकता है। इसके लिए मृदा परीक्षण की जरुरत लगातार बढ़ती जा रही है। जिससे भूमि की सहीं स्थिति सामने आ सके।

    डॉ. अभय सक्सेना, जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि, “क्षेत्र में किसानों को मृदा परिक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे मृदा में किस पोषक तत्व की कमी है इसका पता लगाया जा सके। मृदा परिक्षण के बाद सही रिपोर्ट सामने आने के बाद उसके मुताबिक ही पोषक तत्वों का प्रयोग किया जाए। जिससे अनावश्यक खाद का प्रयोग कम होने से लागत में भी कमी आएगी, इसका लगातार प्रयास किया जा रहा है।”