छात्रों और अभिभावकों को होली पर केमिकल रंगों से बचने की सलाह

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ऋषिकेश। निःशुल्क शिक्षण संस्थान उड़ान स्कूल मायाकुंड में होली के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित कर स्कूली बच्चों एवं उनके अभिभावकों को सुरक्षित होली खेलने और रासायनिक रंगों से बचाव की जानकारी दी गयी।
सोमवार को विद्यालय में आयोजित होली मिलन कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों को होली पर्व का महत्व बताते हुए होलिका दहन के इतिहास की जानकारी भी दी गई। स्कूल के निदेशक एवं नेत्र चिकित्सक डॉ. राजे नेगी ने बताया कि आमतौर से बाजार में ज्यादा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से ऐसे रंगों को तैयार किया जाता है जिनमे भारी मात्रा में कांच, क्रोमियम आयोडाइड, लेड आक्साइड, कॉपर सल्फेट, एल्युमिनियम आदि मिला होता है, इन रंगों के सम्पर्क में आते ही श्वांस, त्वचा, आंख, किडनी पर बुरा असर पड़ता है। अगर आंखों में रंग चला जाये तो आंखों को मलें या मसलें नहीं, तुरन्त साफ पानी से आंखों को धो लेना चाहिए।
डॉ. नेगी ने कहा कि होली खेलने से पहले अपने चेहरे और हाथ पैरों पर नारियल या सरसों का तेल या वेसलीन लगा लेना चाहिए। इससे रंग हमारे शरीर पर जल्दी से चिपकता नहीं है। कोशिश करें कि अपने बच्चों को हर्बल रंगों से होली खेलने के लिए प्रेरित करें या घर पर ही आप फूलों से या हल्दी, चंदन द्वारा तैयार किये गए रंगो से होली खेलें। डॉ. नेगी ने बच्चों से राह चलते लोगों पर गुबारे या पिचकारी से रंग न फेंकने की बात कही। उन्होंने बताया कि कई बार ये आपसी झगड़े का कारण बन जाता है। होली में पानी की बर्बादी न करें और पर्यावरण के साथ ही जल सरंक्षण भी करें।