नौ महीने बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई ”यू-हेल्थ कार्ड” योजना

0
747

देहरादून। राज्य के तकरीबन साढ़े तीन लाख राज्य कर्मचारियों व पेंशन धारकों के लिए नौ माह पूर्व शुरू की गई यू-हेल्थ कार्ड योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। संगठनों की ओर से इसे लेकर उठाई जा रही मांग के बाद अब विभाग ने इसकी तैयारियां तकरीबन पूरी कर ली हैं। हालांकि, अभी यह तय नहीं हो पाया है कि यू-हेल्थ कार्ड बनाने का जिम्मा विभाग उठाएगा अथवा यह काम निजी कंपनी को सौंपा जाएगा। अब मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

प्रदेश में बीते वर्ष दिसम्बर में राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों व पेंशनधारकों को नकदी रहित चिकित्सा सुविधा देने के लिए यू-हेल्थ योजना अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्णय लिया गया था। इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों व पेंशन धारकों से प्रतिमाह के निश्चित रकम अंशदान के रूप में ली जानी है। इसी रकम से कर्मचारियों व सेवानिवृत कर्मचारियों व आश्रितों का इलाज किया जाना है।
दरअसल, यू-हेल्थ कार्ड योजना प्रदेश में नई नहीं थी। इसका संचालन स्वास्थ्य महानिदेशालय में गठित एक सेल द्वारा किया जाता है। इस योजना में अभी तक 12 हजार से अधिक कर्मचारी जुड़े हैं। यह बात अलग है कि स्वास्थ्य विभाग के इस सेल में मात्र चार अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं।
बीते वर्ष राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों व पेंशनर्स के लिए उक्त योजना अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। तब यह कहा गया कि यह व्यवस्था अप्रैल से लागू की जाएगी। इसका संचालन सोसायटी के माध्यम से किया जाएगा। इसमें दो चिकित्साधिकारी, दो सहायक लेखाधिकारी, चार लेखा प्रबंधक व चार डाटा ऑपरेटरों को शामिल करने का निर्णय लिया गया। सोसायटी के लिए तो मंजूरी मिल गई है लेकिन अब निर्णय यह लिया जाना है कि इसका संचालन स्वयं विभाग करेगा या फिर इसे निजी कंपनी के हाथों सौंपा जाएगा। फिलहाल, शासन ने योजना का एक मोटा खाका तैयार कर लिया है। अब इस पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होनी है।
अपर सचिव स्वास्थ्य डॉ. पंकज कुमार पांडे का कहना है कि विभाग की ओर से यू-हेल्थ कार्ड योजना लागू करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। अब मुख्य सचिव से बैठक का समय मांगा गया है। इसके तुरंत बाद इस योजना को लागू कर दिया जाएगा।

अंशदान से ही मिल जाएंगे 50 करोड़
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस योजना के तहत कर्मचारियों के अंशदान से विभाग को 50 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसमें कुछ राशि कर्मचारियों के इलाज पर खर्च होगी, जबकि शेष राशि सोसायटी में जमा रहेगी, जिसका इस्तेमाल अगले सालों में किया जा सकेगा। अभी तक योजना के तहत इलाज पर सालाना करीब पांच करोड़ का खर्च आता है।