ऋषिकेश, श्वांस, गला और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही वायु प्रदूषण आंखों पर भी सितम ढा रहा है। महानगरों के बाद यह समस्या अब छोटे शहरों मे भी नजर आने लगी हैं।
ऋषिकेश की बात करें तो पिछले चंद वर्षो मे ही नेत्र रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जिसका एक बड़ा कारण वायू प्रदूषण को बताया जा रहा है। तीर्थ नगरी मे वाहनों की रेलमपेल और पर्यावरण प्रदूषण से हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे हैं। इसका असर एम्स हास्पिटल समेत तमाम नेत्र रोग विशेषज्ञों के यहां पहुंच रहे रोगियों की कतारों के रूप मे देखने को मिल रहा है।
प्रदूषण की चपेट मे आकर लोगों मे आंखों से पानी आना, लाल होना और रेशे की तरह से कीचड़ निकल रहा है। ध्यान न देने पर स्थिति गंभीर हो रही है। इसकी वजह से थकान की समस्या परेशान कर रही है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजे नेगी के मुताबिक प्रदूषण की वजह से आंखों में सूखापन आ रहा है, ध्यान न देने पर यह आंखों के लिए घातक हो सकता है, आंखों में छोटे-छोटे दाने हो रहे हैं, जिससे बहुत जलन होती है, दानों की संख्या बढ़ती चली जाती है। वाहनों के धुएं की वजह से कार्निया में जख्म हो जाता है। अनदेखी पर यह समस्या बढ़कर अल्सर का रूप ले लेती है। अधिकतर यह दिक्कत टू व्हीलर सवार लोगों को आती है।
बकौल डॉ. नेगी के अनुसार हेलमेट पहनकर दोपहिया वाहन चलाएं।आंखों पर चश्मा पहनें और आंखों में जलन होने पर पानी से धोएं। उन्होंने बताया कि आखों मे किसी भी प्रकार की समस्या होने पर घर का हकीम न बने और बिना परामर्श के आई ड्रॉप न डालें।