हल्द्वानी, यदि घूमने का प्लान बना रहे हैं तो मौना बाना गांव से बेहतर जगह कोई हो ही नहीं सकती, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस जगह से अच्छी शायद ही कोई ऐसी जगह हो जो क्रिसमस सेलीब्रेट करने के लिए, ईसाई बाहुल्य इस गांव की खूबसूरती देखते ही बनती है। जहां ब्रिटिश कालीन कैथोलिक चर्च ऐतिहासिक धरोहर है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
मौना बाना गांव दुर्गम पहाडिय़ों के बीच में बने इस चर्च का नाम सेंट माइकल चर्च है। सन 1935 36 में इसे एट्यू कोर्नाडो ने बनवाया था, जो करीब 82 साल पुराना कैथोलिक चर्च आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चर्च की खूबसूरती ऐसी की हर कोई अपने आप में खो जाए, हल्द्वानी से फतेहपुर और वहां से बाना गांव, इसके बाद करीब तीन किलोमीटर का पैदल पथरीला सफर जो पहुंचता है मौना गांव। मौना गांव के लिए आज भी सड़क मार्ग नहीं है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने तब चर्च इतना भव्य कैसे बनाया होगा। जानकारों की मानें तो जो मिस्त्री चर्च का काम करता उसको दिन में केवल दो पत्थर काटने होते, वो भी एक जैसे। यदि ऐसा नहीं हो पाता तो उस मिस्त्री को काम से हटा दिया जाता।
बड़ा दिन यानी क्रिसमस डे नजदीक है। लिहाजा सेलिब्रेशन की तैयारियां जोरों पर है। अंग्रेजों ने ही 1936 के आसपास मौना गांव को बसाया था, जो ईसाई लोगों का गांव हैं। आजकल गांव में क्रिसमस को लेकर उत्सुकता का माहौल है। इस समय इस कैथोलिक चर्च के फादर उदय कुमार डिसूजा है लेकिन रख रखाव की पूरी जिम्मेदारी जगत एंजलो की है। चर्च में तीन कमरे भी हैं जिसमें फादर सहित अन्य लोगों के रहने की सुविधा भी है, हर साल क्रिसमस मनाने हल्द्वानी के साथ साथ अन्य प्रदेशों से हिन्दू परिवार भी यहां आते है। हर साल की तरह इस साल भी क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर है। चर्च में सजावट का काम किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक क्रिसमस के अवसर पर यहां शानदार आयोजन किया जाएगा।
वही ब्रिटिश कालीन हुकूमत के दौरान जो भी निर्माण कार्य कराए गए वो आज ऐतिहासिक धरोहरों के रूप में हमारे बीच हैं। 1936 में बनाया मौना बाना गांव का यह कैथोलिक चर्च उन्ही धरोहरों में से एक है जो अपने आप मे आज भी कई यादें लिए आपका इंतजार कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए की करीब 82 साल पुराने इस चर्च को विरासत के रूप में रखने के लिए यहां हर साल क्रिसमस को धूमधाम से मनाएंगे।