मसूरी, पिछले कई सालों में बेतरतीब निर्माण और अनदेखे पर्यटन के चलते मसूरी के हालात बद से बदत्तर हो गयी हैं। सरकारी उदासीनता झेलती पहाड़ों की इस रानी को बचाने के लिये अब शहर के ही बाशिंदों ने कमर कस ली है। मसूरी के रहने वाले सुधांशु रावत ने एक ग्रुप बनाया है जिसमें मसूरी के बारे में बेहतर सोच औऱ एक्शन लेने वाले लोगों को जोड़ा गया है। ‘अंगार’ नाम के इस ग्रुप में अब तक शहर के करीब 450 लोग जुड़ चुके हैं। इस ग्रुप का मकसद है शहर को बेहतर बनाने के लिये एक थिंक-टैंक के साथ साथ काम करने वालों को जोङना।
सुधांशू बताते हैं कि, “सालों से हम मसूरी के सुनहरे दिनों की कहानियां सुनते आ रहे हैं औऱ देख रहे हैं किस तरह शहर की हालात खराब हो रही हैं। इस ग्रुप के सदस्य अपने-अपने टैलेंट औऱ संसाधनों का इस्तेमाल कर मसूरी को उसकी खोई शान दिलाने का प्रयास करेंगे।”
‘अंगार ग्रुप’ का मंत्र कहता है “नो पोलिटिक्स जस्ट वर्क,” इस ग्रुप से जुड़े लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। इस ग्रुप में कोई लीडर नही है बल्कि सभी एक मकसद के लिये, एक समान काम करते हैं। इस ग्रुप में लगातार हो रहे काम के चलते कई नये आइडिया सामने आ रहे है।
कुछ दिन पहले ही ग्रुप के सदस्य मारतंड सैली ने मसूरी के एक होटल के बोर्ड पर ध्यान दिलाया। इस बोर्ड पर लगे कई एलईडी वाहन चालकों के लिये खतरनाक साबित हो सकते थे। ग्रुप ने होटल प्रबंधन से मुलाकात की और इस बात को उनके सामने रखा। होटल प्रबंधन ने बात की गंभीरता को देखते हुए बोर्ड पर एलईडी की संख्या कम करने का आश्वासन दिया।
भले ही ये एक छोटा कदम हो लेकिन इस ग्रुप से जुड़े लोगों का मानना है कि बूंद-बूंद से ही सागर बनता है। मसूरी को अपने पुराना और शानदार रूप में देखने की चाह रखने वाले लोगों को आशा है कि ‘अंगार’ जल्द ही जंगल की आग की तरह फैलेगी और पहाड़ों की इस रानी को अपनी खोई शान दिलाने में कामयाब होगी।