खटीमा के डिग्री कॉलेज रोड, वार्ड नंबर 7, की रहने वाली रेहाना ने बताया कि 24 अक्टूबर 1999 को उनकी शादी पीलीभीत निवासी पति मतलूब के साथ हुई थी जिसके बाद दोनों अमेरिका चले गए थे। आरोप लगाया कि पति मतलूब वहां दूसरी महिलाओं के साथ क्लब में ऐश करने लगे जिसका विरोध करने पर वो रेहाना को पीटते थे । सन 2002 में रेहाना का लड़का हुआ और पति इसके बाद भी नहीं सुधरे तो रेहाना ने अमेरिका पुलिस से शिकायत करी। पुलिस ने मतलूब को कुछ दिन घर से बाहर रहने की नसीहत दी तो मतलूब ने माफ़ी मांगी और रेहाना को लेकर सन 2011 में हिन्दुस्तान चले आए।
रेहाना का आरोप है कि मतलूब ने उसे धोखा देने के मकसद से कहा की उसकी नौकरी न्यूजीलैंड में लग गई है जिसकी वजह से उसे शिफ्ट करना पड़ेगा और वो तब तक हिन्दुस्तान में अपने परिजनों के साथ आराम से रहे। अब मतलूब हुसैन न्यूजीलैंड की ओटागो विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं। लम्बे समय तक पति से जवाब नहीं आने पर रेहाना ससुराल गई तो वहां से पता चला कि उसके पति ने उसे फोन से तलाक दे दिया है, जिसपर ससुरालियों ने उसे रखने से साफ़ मना कर दिया। रेहाना ने बताया कि उसने उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका दायर की जिसपर कोर्ट ने उसे पीलीभीत स्थित ससुराल में रहने का अधिकार दे दिया।
रेहाना कोर्ट का आदेश मिलने के बाद 3 अप्रैल 2017 को ससुराल गई। रेहाना के अनुसार पहले तो ससुरालियों ने उसके और उसके बेटे के कमरे की बिजली-पानी बन्द कर बहुत प्रताड़ित किया और फिर बीती 14 अप्रैल को ससुरालियों ने उसके साथ मारपीट की और उसके ऊपर तेज़ाब से हमला कर दिया। रेहाना ने मतलूब हुसैन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें न्यूजीलैंड में महिलाओं के साथ रहना पसंद है और यही कारण है कि उन्होंने फोन पर ही रेहाना को “तलाक तलाक तलाक” कहकर उसकी जिंदगी तबाह कर दी।
रेहाना का कहना है कि वो पति के इस फरमान को नकारते हुए अभी भी मतलूब के साथ रहना चाहती है। रेहाना ने ये भी कहा कि हिन्दुस्तान में धीमी गति से चलते कानून से उन्हें अकेले रहना पड़ रहा है और इसकी शिकायत उन्होंने मेनका गाँधी से की है जिन्होंने न्याय का भरोसा भी दिलाया है।