उत्तर प्रदेश: 8 महीने में चौथा बड़ा रेल हादसा, यात्रियों की जान खतरे में

0
602

आजमगढ़ से दिल्ली जा रही कैफियत एक्सप्रेस के 10 डिब्बे बेपटरी हो गए और उसमें कई यात्री घायल हुए। ये उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में चौथा बड़ा रेल हादसा है और रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही से बार बार यात्रियों की जान खतरे में पड़ रही है।

बुधवार, 23 अगस्त को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में एक और रेल हादसा हो गया। ये रेल हादसा पिछले तीन और हादसे की याद दिला गया, जिसमें रेल यात्रियों की जान पर आफत आ गई। औरैया जिले में तड़के सुबह 2.40 बजे अछल्दा और पाता स्टेशन के बीच कैफियत-एक्सप्रेेस एक डम्पर से टकरा गयी। इस जोरदार टक्कर में एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन और 10 डिब्बे बेपटरी हो गए। वहीं 40 से अधिक यात्री घायल हो गए।
इसके पहले इसी साल रेल कर्मचारियों की लापरवाही के कारण रेल हादसे हुए हैं। बीते 30 मार्च को महोबा स्टेशन से कुलपहाड़ स्टेशन के बीच महाकौशल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतर गए थे। उस दुर्घटना में 55 से अधिक यात्रियों के घायल हुए थे।
दूसरा बड़ा हादसा रामपुर जनपद में राज्यरानी एक्सप्रेस रेल हादसे के रूप में सामने आया था। 15 अप्रैल को रामपुर स्टेशन से मुण्डा स्टेशन के बीच राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए थे जिसमें 12 यात्री घायल हुए थे।
इसके बाद अगस्त माह में एक के बाद एक, दो बड़े रेल हादसे हुए है। इनमें पहला मुजफ्फनगर जिले के खतौली में 18477 पुरी-उत्कल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे बेपटरी होते हुए एक दूसरे पर चढ़ गए। इस हादसे ने उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर भारत सरकार को हिलाकर रख दिया। रेल मंत्रालय ने 48 घंटे हादसे के पीछे की वजह की मानिटरिंग की और इसमें चार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की गयी।
उत्कल एक्सप्रेस हादसे के तीन दिन के बाद ही बुधवार की सुबह दो बजकर चालीस मिनट पर उत्तर प्रदेश में चौथा बड़ा हादसा हो गया। इसमें आजमगढ़ से दिल्ली जा रही कैफियत एक्सप्रेस के 10 डिब्बे बेपटरी हो गए और कई यात्री घायल हो गए।
भारतीय रेलवे बोर्ड के अधिकारी एके मित्तल ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में कई दौरे किए और डीआरएम से लेकर जीएम स्तर के अधिकारियों के साथ वार्ता भी की। उनके दौरे में विकास कार्यो की समीक्षा ज्यादातर होती रही। माना जाता रहा है कि वह एक सख्त अधिकारी रहे लेकिन रेल हादसों की जांच में उनके ढीलेपन की बात सामने आती रही है।
हाल ही में उत्कल एक्सप्रेस रेल हादसे के बाद पहली बार कोई बड़ी कार्रवाई की गयी जब आरके वर्मा (सीनियर डिवीजनल इंजीनियर, दिल्ली डिवीजन), रोहित कुमार (असिस्टेंट इंजीनियर, मेरठ, दिल्ली डिवीजन), इंदरजीत सिंह (सीनियर सेक्शन इंजीनियर, मुजफ्फरनगर) और प्रदीप कुमार (जूनियर इंजीनियर, खतौली) को निलम्बित कर दिया गया।