सरकार के खिलाफ गरजीं आशा कार्यकत्री

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नियत मानदेय की मांग को लेकर पिछले तीन दिनों से सीएचसी परिसर में धरने पर बैठी आशा कार्यकत्रियों ने मंगलवार को सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। आंदोलनरत कार्यकत्रियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जच्चा बच्चा की देखभाल व सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण कार्य करने के बावजूद प्रदेश सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। जबकि आशा कार्यकत्री विषम परिस्थितियों में अपने कार्य को अंजाम दे रही है। सम्मानजनक मानदेय नहीं मिलने से आक्रोशित कार्यकत्रियों ने राष्ट्रीय पोलियो अभियान व रुबेला, मीजिल्स टीकाकरण कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान किया भी किया है।

आशा कार्यकत्री संगठन की जिलाध्यक्ष सलिता चौहान ने कहा कि सरकार से लंबे समय से सम्मानजनक मानदेय दिए जाने की मांग की जा रही है। लेकिन सरकार आशा कार्यकत्रियों की मांग को अनदेखी कर रही है। जबकि आशा प्रत्येक गांव में जच्चा बच्चा की सुरक्षा व देखभाल का कार्य मनोयोग से कर रही हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के संचालन में भी आशा कार्यकत्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि जनता के स्वास्थ्य से संबंधित योजनाओं का संचालन किए जाने के बावजूद सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। हर मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओ को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने व बच्चों का टीकाकरण आशा कार्यकत्रियों के सहारे ही संचालित हो रहा है। नौ माह तक जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल व सुरक्षा का जिम्मा संभालने के बावजूद कार्यकत्री को प्रसव उपरांत मात्र सात सौ रुपए की राशि दी जाती है। उन्होंने सम्मानजनक मानदेय मुहैया कराने के साथ ही वार्षिक प्रोत्साहन राशि दिए जाने की मांग सरकार से की है। साथ ही चेताया कि मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर राष्ट्रीय पोलियो अभियान व रुबेला, मीजल्स टीकाकरण अभियान का बहिष्कार किया जाएगा। प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वालो में बबली, विमला मैठाणी, संजू डबराल, कुसुमलता, गीता चौहान, राज बिहाल, शबाना, प्रमिला, दीपा देवी, विजय देवी आदि शामिल रहे।