आयुर्वेद से संभव है माइग्रेन का इलाज: वैद्य बालेंदु प्रकाश

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शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो अपनी जिंदगी में सिर दर्द से परेशान ना हुआ हो। अचानक होने वाला सिरर्दद कई बार घातक एंव जानलेवा भी हो सकता है परन्तु कुछ तरह के सिरर्दद बार बार, लगातार और जीवन पर्यन्त भी होते रहते है। शनिवार को देहरादून में आयोजित सेमिनार में माइग्रेन, इसके कारण और आयुर्वेंद से इसके उपचार पर देशभर के नामी चिक्त्सकों ने विचार किया।

माइग्रेन का बारे में बताते हुए पद्मश्री वैद्य बालेंदु प्रकाश ने बताया कि सरदर्द में लगभग 90 प्रतिशत रोगी माइग्रेन से पीड़ित होते हैं, जिसके लक्षण हैः

  • साल में कम से कम 5 बार या उससे अधिक सिर दर्द की पुनरावृत्ति होना
  • बगैर किसी चिकित्सा के इस सिरदर्द की अवधि कम से कम चार घण्टे और ज्यादा से ज्यादा 72 घण्टे तक होना
  • सिर में एक या दो स्थानों पर ही दर्द का होना, सिर की नसों में धड़कन या हथौडे़ की तरह धक धक महसूस होना, तीव्र या असहनीय दर्द का होना, शारिरिक श्रम से दर्द का और बढ़ना
  • सिर दर्द का आवेग होने पर रोशनी और आवाज का अच्छा ना लगना या जी मिचलाना और उल्टी का होना

माइग्रेन रोग में मूल कारणों को छोड़कर केवल लक्षणों की चिकित्सा करने से उक्त सभी औषधियों का द्धीर्घ काल तक सेवन करना पड़ता है जिससे धीरे-धीरे कई खतरनाक परिणाम हो सकते है।

माइग्रेन में दी जाने वाली औषधियॉं आयुर्वेद के रस शास्त्र पर आधारित हैं जिसके प्रायः सभी घटक कच्ची अवस्था में शरीर के लिए हानिकारक है। किन्तु सही तरीके से निर्माण करने पर यह औषधियॉ हो जाती है। लंबे समय तक अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर परखी गई आयुर्वेदिक दवाईयां माइग्रेन के मरीजों को राहत दिलाने और इस बिमारी का जड़ से इलाज करने में सफल रही हैं।

गोष्ठी में बल दिया गया कि:

  • आयुर्वेदिक दवाईयां माइग्रेन की रोकथाम में प्रभावी है।
  • आयुर्वेदिक दवाईयां एलोपैथी के मुकाबले कम अवधि में अधिक एंव स्थायी लाभ देती है।
  • आयुर्वेदिक दवाईयां पूर्ण लाभ देती है।
  • आयुर्वेदिक दवाईयों का कोई साइड इपेक्ट नहीं होता है।

इस गोष्ठी में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी हिस्सा लिया। भट्ट ने कहा कि “इस पूरे सेमिनार की विस्तृत रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी जाएगी। ताकी केंद्र सरकार भी आयुष कार्यक्रम में इनका पूरा उपयोग कर सके। इस मौके पर एम्स भुबनेशवर के पूर्व निदेशक डाॅ ए के महापात्रा ने कहा कि “आयुर्वेद से माइग्रेन का इलाज मुमकिन हो सकता है ओर इसलिये आज के समय की जरूरत है कि आयुर्वेद और ऐलोपैथी को साथ लेकर काम किया जाये”। वहीं आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ आयुर्वेद के निदेशक डाॅ अभिमन्यु कुमार ने कहा कि ” वैद्य बालेंदु के प्रयास काबिले तारीफ हैं”