फैकल्टी के नाम पर खेल नहीं कर सकेंगे आयुष संस्थान

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(देहरादून) आयुर्वेदिक, यूनानी व होम्योपैथिक कॉलेज अब फैकल्टी के नाम पर खेल नहीं कर पाएंगे। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इन पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। ‘आधार बेस्ड जियो लोकेशन अटेंडेंस’ के बाद मंत्रालय ने कॉलेजों के एक और नया फरमान जारी किया है। जिसके तहत कॉलेजों को शिक्षकों की पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। कॉलेजों को पंद्रह दिन के भीतर अनिवार्य रूप से डाटा अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल मेडिकल कॉलेजों में आए दिन कागजों में फर्जी शिक्षकों व चिकित्सकों की लंबी चौड़ी सूची दिखाकर संबंधित चिकित्सा परिषदों और विश्वविद्यालय से मान्यता लेने के मामले सामने आते रहे हैं। स्थिति यह कि एक शिक्षक, कई-कई जगह अपनी सेवा दे रहा है। यह फर्जीवाड़ा समाप्त करने और शैक्षणिक कार्यों के उन्नयन के लिए अब आयुष मंत्रालय ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पहला कदम ‘आधार बेस्ड जियो लोकेशन अटेंडेंस’ के रूप में उठाया गया। जिसमें न केवल शिक्षक बल्कि शिक्षणेत्तर कर्मी, हॉस्पिटल स्टाफ व पीजी छात्रों को भी शामिल किया गया है। सीसीआईएम व सीसीएच ने भी इस बावत निर्देश जारी कर दिए हैं। इधर हाजिरी लगेगी, उधर पूरा रिकॉर्ड आयुष मंत्रालय तक पहुंच जाएगा। अब आयुष मंत्रालय ने कॉलेजों को शिक्षकों का ब्यौरा सार्वजनिक करने को कहा है। उन्हें यह डाटा वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। जिसके तहत उन्हें शिक्षक का नाम, पता, मोबाइल या लैंडलाइन नंबर व ई-मेल, उनकी फोटो के साथ देना होगा। कॉलेजों को सख्त हिदायत दी गई है कि अगले पंद्रह दिन के भीतर इस पर अमल करें। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में संकायाध्यक्ष डॉ. आरके मिश्रा कहा कि इस कदम से आयुष पद्धति के कॉलेजों में फर्जीवाड़ा समाप्त होकर शिक्षा के स्तर में व्यापक सुधार आएगा। इन संस्थानों से कुशल व योग्य शिक्षक समाज को मिलेंगे। उन्होंने बताया कि विवि स्तर भी समस्त महाविद्यालयों से आधार सहित फैकल्टी का डाटा मांगा गया है।