उत्तराखंड की बसंती बिष्ट को मिला पदमश्री सम्मान

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30 मार्च को पद्मश्री पुरस्कार विजेता बसंती बिष्ट को राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया।आपको बता दें कि उत्तराखंड की जागर गायिका को उनके भावपूर्ण गायन के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किय गया है।यह केवल बसंती के लिए नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

बसंती देवी बिष्ट को अपनी भावपूर्ण जागर के लिए न केवल उत्तराखंड में बल्कि विदेशों में भी बहुत पुरस्कार मिले है। जागर शैली का गायन देवी देवताओं को जगाने के लिये पारंपरिक तौर पर पुरुषों द्वारा गाया जाता रहा है। बसंती पहली और अकेली ऐसी महिला है जिन्होंने इस प्रथा को दरकिनार कर जागर सीखा और सालों से इस प्राचीन जागर के माध्यम से लोगों को जागृत करती रही हैं। इस कला को इन्होंने अपनी मां से सीखा। चमोली ज़िले केंद्र लुआनी गाँव में जन्मी बसंती ने बचपन से अपनी माँ को घर में जागर गाते सुना था। लेकिन घर ग्रहस्ती के चलते बसंती का जागर गायिका के रूप में करियर उनके 50 के हो जाने के बाद शुरू हो सका। शादी करके चंडीगढ़ जाने के बाद बसंती ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा चंडीगढ़ के प्राचीन कला केंद्र से ली। और वापस देहरादून आने के बाद बसंती ने अपने करियर की शुरुआत की। बसंती का कहना है कि देवभूमि के सांस्कृतिक जादू ने हमेशा उन्हे प्रेरित किया है।

बसंती देवी बिष्ट ने आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर भी अपनी प्रस्तुतियां दी है।इनकी भावपूर्ण आवाज श्रोताओं को भावविभोर कर देती हैं और श्रोता के मन में इनको सुनने की इच्छा बार बार होती है। उत्तराखंड के पारंपरिक परिधान में सजी बसंती जब स्टेज पर आती हैं तो उनके गाने के साथ साथ उतनी ही तादाद में लोग उनकी तस्वीरें भी खींचते हैं।

निश्चित तौर पर बसंती ने जागर जैसी लोक कला को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान दिलाई है और इसके साथ ही उन्होने राज्य का भी नाम रौशन किया है।