विश्व भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र महर्षि महेश योगी का चौरासी कुटिया का आश्रम उत्तराखंड में एक ऐसी धरोहर है।विदेशीयो की जुबान पर ऋषिकेश के बीटल्स आश्रम का नाम एक आम बात है, यही वो जगह है जिसने पुरे विश्व को भारतीय योग से परिचित कराया। पश्चिम योग की धरा से रूबरू होकर इसको आत्मसाध कर आज यूएनओ ने भारतीय योग को जरुरी मानकर, 21 जून को इंटर नेशनल योगा डे के रूप में मान्यता दी, इसका श्रेय भी ऋषिकेश को जाता है।
भावातीत योग धयानम के गुरु महर्षि महेश योगी ने भारतीय योग को विदेशियो से रूबरू करवाया और ऋषिकेश के गंगा तट पर 60 के दशक में एक प्राचीन और वैज्ञानिक पद्धति की मिसाल का एक नगर बसाया। शकराचार्य नगर, जिसमे गोल गुम्बदाकार, 84 कुटिया का निर्माण किया जो आज भी अपनी अद्भुत कारीगरी का अनूठा मेल है। दीवाने इसकी एक झलक पाने के लिए आज भी सात समंदर पार से ऋषिकेश में स्थित चौरासी कुटिया का रुख करते है और ध्यान करते है। अब राजा जी टाईगर रिजर्व पार्क 30 साल बाद विश्व भर के योग प्रेमियों के लिये महर्षि महेश योगी के आश्रम को खोलने दिया है
60 और 70 के दशक में मशहूर बैंड बीटल ने ऋषिकेश का रुख किया, ये वो समय था जब पश्चिम को भारतीय योग और आध्यात्म के बारे में पता चला, विदेशी जानकार बताते है कि यही जो समय था जब ईस्ट मीट वेस्ट का मिलन हुआ था। बीटल्स कि देखा देखि विदेशी भी भारत का रुख करने लगे और यहाँ से भारतीय योग पूरी दुनिया में तेज़ी से फैलने लगा। विदेशियो में आज भी इस आश्रम को देखने का बड़ा क्रेज है और बताते है जब वे 80 के दौर में आये थे तब से आज तक यहाँ का आध्यात्मिक वातावरण की बात ही कुछ और थी जो आज भी वैसे ही है कल-कल गंगा और नेचर नयी ऊर्जा का संचार करती है।
60 के दशक में जहा पूरा विश्व बीटल्स के पीछे भाग रहा था और बीटल्स ऋषिकेश के गंगा के तट पर महर्षि महेश योगी के आश्रम में नयी धुनों को तैयार रहे थे यही वो समय जब ईस्ट मीट वेस्ट की धूम विश्व में मच गयी और बड़ी संख्या में विदेशी ऋषिकेश का रुख करने लगे और भारतीय योग दुनिया के सर चढ़ कर बोलने लगा