चार धाम यात्रा पर आने वाले वाले श्रद्धालुओ के लिए बायो टॉयले

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उत्तराखंड एक पर्यटन प्रदेश है देवभूमि के प्रवेश द्वार ऋषिकेश ने अपने योग और आध्यात्म से विश्व के नक़्शे पर अपनी एक अलग पहचान बनायीं है साल भर यहाँ देशी-विदेशी पर्यटक योग और शांति की तलाश में आते है यहाँ साहसिक पर्यटन युवाओ के आकर्षण का केंद्र रहता है ऐसे में यहाँ आने वाले सेलानियो को बेसिक सुविधाएं नहीं मिलती जिसमे टॉयलेट सबसे ज्यादा प्रमुख जरुरत है परमार्थ निकेतन और BHEL के सहयोग ऋषिकेश के यात्रा टर्मिनल पर एक नयी पहल शुरू की गयी है जिस से यहाँ आने वाले यात्रियों को बायो डायजेस्टर टॉयलेट की हाइजनिक सुविधा मिलेगी जिस से पर्यावरण के साथ साथ स्वास्थ का भी ख्याल रखा जायेगा ,पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छ्ता को बढ़ावा देने के लिए परमार्थ निकेतन द्वारा ऋषिकेश के चार धाम बस अड्डे को एक नई मुहिम से जोड़ा गया हैयहाँ देश -विदेश से  आने वाले यात्री और पहाड़ पर जाने वाले पर्यटकों के लिए स्वच्छ और सुलभ बायो टॉयलेट्स का शुभारम्भ किया गया, इससे ऋषिकेश पहुँचने वाले यात्रियों को एक साफ़ पर्यावरण के साथ साथ अच्छा संदेश भी मिल सकेगा।  इस मौके पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि के बताया कि ऋषिकेश को योग और मैडिटेशन के लिए जाना जाता है अब ये अपनी स्वच्छता के लिए भी जाना जायेगा, उन्होंने बताया कि हमारा सन्देश लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है और वो इस पहल के लिए BHEL कारपोरेशन का भी धन्यवाद करते है।परमार्थ निकेतन और BHEL द्वारा बनाये गए बायो टॉयलेट्स से ऋषिकेश आने वाले पर्यटकों को खासकर महिलायों को अच्छी सहूलियत मिल सकेगी और वो यहाँ से स्वत्छ पर्यावरण की एक सोच को लेकर जा सकेंगे, इसके साथ-साथ यहाँ यात्रियों के लिए पेय जल की भी व्यवस्था की गयी है.परमार्थ निकेतन के साथ काम कर रही संस्था जीवा फाउंडेशन ने भी इस पहल की सराहना की। जिवा फाउंडेशन की सिनियर असिस्टेंट डायरेक्टर स्वाति साह ने बताया कि जीवा फाउंडेशन और परमार्थ ने मिलकर पर्यावण की स्वच्छता के लिए ये कदम उठाया है और आगे भी इस तरह के सामाजिक प्रयास किये जायेंगे।ऋषिकेश से चार धाम यात्रा की शुरुवात होती है इसके साथ साथ यहाँ रोजाना हजारों लोग और पर्यटक पहाड़ों के लिए सफर तय करते है ऐसे में इस बायो टॉयलेट्स के होने से उन्हें सहूलियत मिलेगी और ऋषिकेश की पहचान एक साफ़ और स्वच्छ शहर के रूप में भी होगी।