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उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार रिर्जव फाॅरेस्ट में बनेंगे पोलिंग बूथ

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ऐसा उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार होगा जब उत्तराखंड निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार मिलकर रिर्जव जंगलों में वन गुर्जरों के तराई क्षेत्र पोलिंग बूथ लगाऐंगें। ये पोलिंग बूथ जंगलों में डाक बंगलों ,फारेस्ट आउटपोस्ट और अस्थायी घरों में लगेंगे। इस काम के लिये फाॅरेस्ट रेंजरों को पोलिंग अधिकारियों की मदद के लिये लगाया गया है।अफसरों को लगता है ऐसा करने से जंगलों में रहने वाले मूल निवासी वन गुर्जर,जो पिछले 50 सालों से भी लंबे समय से जंगल में रह रहें हैं और जिनकी जनसंख्या लगभग 80,000 है उनको एक मौका मिलेगा कि वह पहली बार एकजुट होकर अपना वोट डाल पाऐंगे।

उत्तराखंड का 70 प्रतिशत से भी ज्यादा क्षेत्र जंगलों में आता है और आधा से भी ज्यादा क्षेत्र फारेस्ट डिर्पाटमेंट के अंर्तगत आता है।नीतिश मनी त्रिपाठी,क्षेत्र के सिनीयर फारेस्ट आफिसर बताते हैं कि यहां पर वन गुर्जर के लगभग 194 परिवार रिर्जव फारेस्ट के तराई(पूरब) में रहते हैं।

16 साल के इंम्तियाज अली, किशनपुर रेंज में रहते हैं और वन गुर्जर के 12 लोगों के परिवार के मालिक बताते हैं कि हमें यहा रहते हुए लगभग 50 साल हो गए हैं,लेकिन आज तक भी हमें उन जमींनों का मालिकाना हक नहीं दिया गया है जिनपर हम रहते हैं।पहले उन्हें हमेशा करीब 20 किमी सफर करने के बाद वोट करने का मौका मिलता था लेकिन अब ये सब बदलने वाला है।hrt-gujjars-1

वन गुर्जरों का युवा वर्ग यह मानता है कि पोलिंग बूथ पास में होना होना अच्छी बात है लेकिन उनकी ज़रूरत स्कूल है जो कि यहां से इतना दूर है कि बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं, ये कहना है राईखाल सेटलमेंट में 25 साल के शमशाद अली का, जो कि वन गुर्जर की तीसरी पीढ़ी के नौजवान है।

बहरहाल कई सालों में सरकार की तरफ से ये कदम वन गुर्जरों को मुख्य धारा में शामिल करने की एक अच्छी पहल है।

 

हरीश चंद्र दुर्गापाल के बेटे से कैश बरामद, चुनाव में पैसे बांटने का आरोप

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नैनीताल की लालकुआं विधानसभा में चुनाव से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश चंद्र दुर्गापाल के बेटे पंकज दुर्गापाल से पुलिस ने एक लाख से अधिक की धनराशि बरामद की है । बिंदुखत्ता के गांधीनगर क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी हरेंद्र बोरा के समर्थकों ने पंकज को घेर लिया और हरेंद्र बोरा के समर्थकों ने पंकज दुर्गापाल पर चुनाव के दौरान पैसे बांटने का आरोप लगाया । समर्थकों ने पंकज दुर्गापाल की गाड़ी को बंधक बना लिया, इस दौरान सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची लालकुआं कोतवाली पुलिस ने लोगों को हटाकर कार की तलाशी ली जिसमें से मंत्री पुत्र के पास 1,08,900 रुपए कैश बरामद किए गए जिसके बाद पुलिस इस पूरे घटना की छानबीन में जुट गई है ।

उधर दूसरी तरफ मंत्री दुर्गापाल समर्थकों ने भी निर्दलीय प्रत्याशी हरेंद्र बोरा के खिलाफ नारेबाजी की कुल मिलाकर चुनाव से ठीक एक दिन पहले लालकुआं विधानसभा में चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई गई । बहरहाल सेक्टर मजिस्ट्रेट संजय उपाध्याय का कहना है कि बरामद किए गए रुपए के संदर्भ में जांच की जा रही है । जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी | मौके पर पहुचे दुर्गापाल व हरेन्द्र बोरा समर्थक आपस में भिड़ गए इस दौरान पुलिस व समर्थको में झड़प भी हुई जिसके चलते पंकज और उनके समर्थकों को चोटें आई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

अब नए रूप रंग में सजे हुए मिलेंगे मतदान बूथ

इस बार जब आप वोट डालने जायेंगे तो मतदान केंद्र का नजारा कुछ बदला बदला लगेगा, मतदान स्थल इस बार स्लोगन,गुब्बारे और सजावट के साथ सजे मिलेंगे।15 फरवरी  उत्तराखंड के 69 सीटों में मतदान होने है जिसके लिए प्रशासन की तरफ से सारी तैयारी हो गयी है तो वहीँ अब स्कूली बच्चों ने भी लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने की पहल शुरू की है।इसी के चलते सभी सरकारी स्कूलों में स्कूली बच्चो द्वारा चार्ट और स्लोगन बना कर मतदाता को जागरूक करने और उनको मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए बूथों को जो जर्जर हालात में हैं वहां पहुच कर स्कूली बच्चों ने स्कूल अब नए रूप में तैयार कर  रहे है।

यही सभी निर्वाचन आयोग और शिक्षा विभाग की पहल पर किया जा रहा है।जिसकी तैयारी ऋषिकेश के सभी स्कूलों में गयी है ऋषिकेश के पूर्व माध्यमिक स्कूल में बच्चो और शिक्षिकाओ की मेहनत दीवारों पर साफ़ नजर आ रही है।इन बच्चों की मदद से नीरस मतदान बूथ भी नए रंग रूप में ढल गए है जो एक नया पहल और मिसाल बना रहे है। ऋषिकेश में 11 बूथों पर कल मतदान होना है अब इन  रंग रूप मतदाताओ को बदला बदला लगेगा जब  करेंगे वोट। 

तो यह है 14 फरवरी को वेलेंटाईन डे मनाने का राज़

14 फरवरी युवाओं के साथ हर उम्र के लोगों में वेलेंटाईन डे के नाम से प्रचलित है।आज के दिन हर कोई अपने दिल की बात खुल के अपने पार्टनर से करता है।वेलेंटाईन के लिए बाजार में भी बहुत सी तैयारियां होती है।फूल,चाकलेट,कार्ड,गिफ्टस,टैडी बीयर और तरह तरह के अन्य सामान।दरअसल वेलेंटाईन डे को जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाकर इतिहास के कुछ पन्नों में झांकना पड़ेगा।

आखिर क्या हैं वेलेंटाईन?क्यों मनाते है वेलेंटाईन?खास क्या है 14 फरवरी में? इन सभी सवालों के जवाब आगे की कुछ लाईनों में छिपा हुआ है।आईये जाने वेलेंटाईन डे का राज़ः

कैथोलिक विश्वकोश के अनुसार, शुरूआत में 3 ईसाई संत थे। पहले रोम में पुजारी थे, दूसरे टर्नी में बिशप थे और तीसरे थे सेंट वेलेंटाइन, जिनके बारे में कोई इतिहास अभी तक सामने नहीं आया है, सिवाय इसके कि वे अफ्रीका में मिले थे। हैरानी की बात यह है कि तीनों वैलेंटाइन्स 14 फरवरी के दिन शहीद हुए थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।

रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था, जिनके अनुसार एकल पुरुष विवाहित पुरुषों की तुलना में ज्‍यादा अच्‍छे सैनिक बन सकते हैं। वेलेंटाइंस, जो एक पादरी थे ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया. इन्‍होंने अनके सैनिकों और अधिकारियों के विवाह करवाए। जब सम्राट क्लॉडियस को इस बात का पता चला तो उन्‍होंने वेलेंटाइंस को फांसी पर चढ़वा दिया। इन्‍हीं की याद में वेलेंटाइंस डे मनाया जाने लगा।

कहते हैं सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मौत के समय जेलर की अंधी बेटी जैकोबस को अपनी आंखे दान कीं। सैंट ने जेकोबस को एक पत्र भी लिखा, जिसके आखिर में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’।

इसके साथ ही हर 14 फरवरी को पूरे देश में प्रेम का दिवस यानी वैलेंटाइन डे मनाया जाता है, लोग अपने चाहने वालों को संत वेलेंटाइन के नाम पर फूल, गिफ्ट्स,कार्डस,टैडी बियर देते हैं। इस दिन को अपने प्रेमी के प्रति अपना प्रेम दिखाने के लिए बेस्‍ट दिन माना जाता है, आप अपने साथी के सामने इस दिन दिल खोलकर अपने प्रेम का इज़हार करते हैं।

 

भाजपा की नाक बचाएगा उत्तराखंड

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देवभूमि कहलाने वाले देश के दुर्गम पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार इस बार बेहद पेचीदा और धुआंधार रहा। चुनाव से पहले और उसके दौरान भी कांग्रेस और भाजपा ने देश की राजनीति से जुड़े तमाम दाव आजमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सत्ता की अंधी चाहत में भाजपा ने तो इस बार तमाम ऐसे प्रयोग कर डाले जिनके लिए वो पिछले 37 साल से कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करती आ रही है। चाहे राजनीतिक तिकड़म हो या पैसा झोंकने का सवाल भाजपा ने इस बार उत्तराखंड में सबको पीछे छोड़ दिया। भाजपा की कार्यशैली से साफ जाहिर है कि उत्तराखंड को जीतने के लिए वह कितनी बेताब है। और आखिर हो भी क्यों न! दरअसल उत्तराखंड ही उन पांच राज्यों में एकमात्र ऐसा राज्य है जो छोटा होने के बावजूद राजनीतिक दृश्टि से भाजपा की नाक बचा सकता है। विधानसभा चुनाव का ताजा दौर जिन पांच राज्यों में चल रहा है, उनमें पंजाब, और गोवा में भाजपा सत्तारूढ़ है। उन दोनों राज्यों में भाजपा को षासन से जनता की नाराजगी के साथ ही कांग्रेस के अलावा आप जैसे नए प्रतिद्वंद्वी को भी झेलना पड़ रहा है।इससे उनमें सत्ता में वापसी के आसार धूमिल हैं।

तीसरा राज्य मणिपुर है, जहां भाजपा पहली बार सत्ता के लिए दावेदारी के इरादे से चुनाव लड़ रही है। इसी वजह वहां का चुनाव परिणाम भी भाजपा के लिए अनिष्चित है। अब बचे दो सहोदर राज्य, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। जाहिर है कि उत्तर प्रदेष बहुत विशाल राज्य है। उसके अलग-अलग अंचलों का राजनीतिक मिजाज भी भिन्न-भिन्न है। इसीलिए उत्तर प्रदेश में 405 विधानसभा सीटों के लिए पूरे सात दौर में मतदान कराया जा रहा है। वहां सत्ता की जीतोड़ लड़ाई में भाजपा का अपने बराबर के दो अन्य दावेदारों बसपा और सपा-कांगेस किलेबंदी से जोरदार मुकाबला है। सपा-कांग्रेस किलेबंदी ने जाहिर है कि भाजपा के लिए सत्ता की लड़ाई कठिन बना दी है। दूसरी तरफ बसपा भी मायावती की अगुआई और मुसिलमान-दलित गठजोड़ के फार्मूले के कारण बड़ी चुनौती साबित हो रही है।

इस लिए उत्तर प्रदेश की लड़ाई में भाजपा को अपने लिए बिहार जैसे नतीजे आने की आषंका सता रही हो तो भी ताज्जुब नहीं। ऐसे में ले-दे कर उत्तराखंड ही ऐसा राज्य बचा जिसका हर पांच साल बाद सत्तारूढ़ दल को बदल देने का रिकॉर्ड है। राज्य की मुख्य चुनाव अधिकारी राधा रतूड़ी को इस बात का गर्व भी है। उनके अनुसार उत्तराखंड भले ही छोटा ओर दुर्गम मौसमी पिरस्थितियों वाला राज्य हो मगर यहां का मतदाता बहुत समझदार है। पिछले दस साल से राज्य में विभिन्न विधायी सदनों के चुनाव करवा रहीं सुश्री रतूड़ी बताती हैं कि लोग यहां अपने मत के जरिए बोलते हैं। इसीलिए उनके अनुसार उत्तराखंड में चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो जाते हैं।

इसीलिए भाजपा ने उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपनी चाल, चरित्र, चेहरा और नारा तक कुछ भी बदलने से परहेज नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित षाह ने राज्य में रिकार्ड तोड़ रैलियां कीं और अपने मार्गदर्षक मंडल के अलावा सभी बड़े नेताओं, मंत्रियों को पहाड़ों की सैर करवा दी। इससे पहले किसी पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष अथवा प्रधानमंत्री ने इतने बड़े पैमाने पर राज्य में चुनाव प्रचार नहीं किया। इससे जाहिर है कि पांच राज्यों में कम से कम उत्तराखंड में तो अपनी जीत सुनिष्चित करके भाजपा इस दौर में अपनी नाक बचाने का जुगाड़ कर लेने को आतुर है। सत्तर सदस्यों वाली राज्य विधानसभा की 69 सीटों पर 15 फरवरी को वोट पड़ेंगे। फिलहाल कार्यकर्ता और उम्मीदवार घर-घर गुहार लगाने में व्यस्त हैं। प्रचार अभियान सोमवार शाम पांच बजे थम चुका हे। कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी की मौत के कारण मतदान बाद में होगा। राज्य में 76,10,126 मतदाता हैं, जिनमें 40,00751 पुरुष और 36,09,190 महिला मतदाता हैं।

यह बात दीगर है कि महिला मतदाताओं की इतनी बड़ी तादाद ओर मतदान में उनकी भागीदारी अव्वल होने के बावजूद भाजपा ने कुल छह और कांग्रेस ने भी महज आठ महिला उम्मीदवारों को ही पार्टी उम्मीदवार बनाया है। हालांकि प्रधानमंत्री की सभाओं में भारी मौजूदगी दर्ज करा कर प्रदेश की महिलाओं ने भाजपा को आईना जरूर दिखाया है।यह महिलाएं राज्य की दुर्गम परिस्थितियों में भी काम ओर गृहस्थी के बोझ को हंसतं-हंसते झेल जाने वाली बेहद मजबूत इच्छाशक्ति से लैस हैं। प्रदेश में 34 पॉलिटिकल पार्टियों के कुल 637 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इनके अलावा बसपा ने 69,  सीपीआई ने 5, सीपीएम ने 5, एनसीपी ने 2, आरएलडी ने 3, सपा ने 21, एसएस ने 7 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया है। इनके अलावा 262 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में डटे हुए हैं।

उत्तराखण्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गढ़वाल और कुमांउ मंडल में तीन दिनों में ताबड़तोड़ चार रैली कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया। वहीं कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरिद्वार में 10 विधानसभा में रोड शो कर मोदी की रैली का जवाब देकर जनता को कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपने प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते हुए कांग्रेस-भाजपा से लोगों को दूर रहने की सलाह दी।कुल मिलाकर अब देखना यही है कि उत्तराखंड जैसे बेहद महत्वपूर्ण मगर संख्या बल में छोटे से राज्य का मतदाता प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की नाक बचाएगा अथवा अपने बीच के हरदा यानी मुख्यमंत्री हरीष रावत को ही अगले पांच साल के लिए गले लगाएगा।

बीजेपी प्रत्याशी की गाड़िया तोड़ी

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उधम सिंह नगर जनपद की खटीमा विधानसभा के पचौरिया ग्राम में बीजेपी प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी की गाडियो पर निर्दलीय प्रत्याशी ललित सिंह के समर्थको ने हमला कर गाडियो को तोडा डाला। हमला होने के बाद चालको ने भाग कर अपनी जान बचायी। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने क्षतिग्रस्त गाडियो को कब्जे में लिया। पुलिस ने चुनाव के मौके पर गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।

कांग्रेस ने स्टिंग सीडी पर मुख्य चुनाव आयुक्त से की रोक लगाने की मांग

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विधानसभा चुनाव के मौके पर एक स्टिंग के सामने आने से उत्तराखण्ड की राजनीति में भूचाल आ गया है, जिसे कांग्रेस भाजपा पर चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगा रही है।

सीएम के मुख्य प्रवक्ता सुरेन्द्र कुमार ने स्टिंग मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिख कर इस मामले में शिकायत की है। शिकायत में उन्होंने कहा है कि भाजपा कथित स्टिंग सीडी लाकर चुनाव को प्रभावित करना चाहती है। सुरेन्द्र ने मुख्य चुनाव आयुक्त से स्टिंग सीडी के प्रसारण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
भाजपा के पूर्व विधायक और वर्तमान में भीमताल से कांग्रेस के प्रत्याशी दान सिंह भंडारी को कथित रूप से सात करोड़ रुपये देकर पार्टी छोड़ने के लिए तैयार करने का वीडियो एक चैनल पर दिखाया जा रहा है जिसे लेकर कांग्रेस, भाजपा में अरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई है।

रेलवे अतिक्रमण याचिका स्टे

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उच्च न्यायालय नैनीताल में एकलपीठ ने आज सुप्रीम कोर्ट के बाद रेलवे भूमि के अतिक्रमणकारियों को राहत दी है। न्यायालय ने रेलवे के नोटिस को अवैध मानते हुए सरकार और रेलवे से जवाब माँगा है। न्यायलय से हल्द्वानी की मदरसा गुसाईं ख्वाजा गरीब नवाज रामतुल्ला समिति की तरफ से इदरीश अंसारी ने 16 जनवरी को याचिका दाखिल कर कहा था कि रेलवे के नोटिस का कोई औचित्य नहीं हैं।  उन्होंने कहा कि इसे व्यक्तिगत ना देकर सामूहिक चस्पा कर दिया गया था जो गलत है।
न्यायमूर्ति वी.के.बिष्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए रेलवे के इस नोटिस पर रोक लगते हुए तबतक रेलवे और उत्तराखण्ड सरकार को जवाब देने को कहा है । न्यायालय ने अगली सुनवाई 27 फरवरी को रख दी है। बता दें कि रेलवे ने न्यायालय से कहा है कि गौला नदी की तरफ से 70 फ़ीट और बस्ति की तरफ को 45 फ़ीट भूमि रेलवे की है । रेलवे के इस दावे पर भी एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें पुछा गया है कि क्या ये जमीन रेलवे की है ? हाई कोर्ट की इस रोक से पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व के रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश पर 18 जनवरी 2017 को रोक लगा दी थी । आज न्यायालय में याची ने कहा कि 29 एकड़ भूमि में केवल पब्लिक नोटिस चस्पा किये गए हैं । इससे लगभग 50 हजार लोग प्रभावित होने की सम्भावना थी । जिसपर कोर्ट ने रेलवे के आदेश पर रोक लगा दी है।

9 मार्च को होंगे कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में चुनाव

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उत्तराखंड चुनाव से पहले हुए सड़क दुर्घटना की वजह से कर्णप्रयाग में चुनाव रद्द कर दिए गए थे।निर्वाचन आयोग के जारी नोटिस में दोबारा चुनाव कराने की तारीख का ऐलान किया गया है।बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी,कुलदीप सिंह कंवासी जो चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से एक थे उनका निधन चमोली के पास एक रोड एक्सीडेंट में हो गया और उनके दो साथी भी बुरी तरह से घायल हो गए हैं।12 फरवरी को यह दुर्घटना तब हुई जब कुलदीप अपने दो साथियों के साथ गौचर से कर्णप्रयाग की तरफ जा रहे थे और उनकी गाड़ी गहरी खाई में गिर गई।

चुनाव नामांकन,जांच,और नाम वापसी के लिए निर्वाचन आयोग ने नई तारीख तय कर ली है।हालांकि बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव नामांकन की आखिरी तारीख 20 फरवरी 2017 को तय की है,स्क्रूटनी के लिए 21 फरवरी,और नाम वापस लेने के लिए 23 फरवरी।

कर्णप्रयाग में 6 सीटों के लिए चुनीव की नई तारीख 9 मार्च रखी गई है,जबकि बाकी 69 सीटों पर 15 फरवरी को मतदान होंगें।

 

सचिन तेंदुलकर पर बन रहीं फिल्म ”सचिन” होगी 26 मई को रिलीज

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सचिन तेंदुलकर ने टिव्टर के माध्यम से यह बताया कि उनकी जीवन पर आधारित ‘सचिन ए बिलीयन ड्रीम्स’ के रिलीज होने की तारीख 26 मई 2017 है।फिल्म का पहला पोस्टर अप्रेल 2016 में लांच हो गया था और फिल्म का नाम टिव्टर पर एक कांटेस्ट के जरिए रखा गया था।

भारत के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की फिल्म सचिन का पोस्टर सोशल मीडिया पर फिर एक बार चर्चा में आ चुका है।पोस्टर एक फिर तब चर्चा में आया जब सचिन ने फिल्म के रिलीज होने की तारीख बताई। फिल्म का पोस्टर रिलीज  करते ही वायरल हो गया।पोस्टर पर बड़े बड़ें फिल्मी और खेल के दुनिया के दिग्गजों जैसे कि शंहशाह शाहरुख खान,विरेंद्र सेहवाग,विराट कोहली ने फिल्म को जल्दी ही देखने की इच्छा जताई है।

वर्ष 2013 में सचिन नें क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।सचिन की आटोबायाग्राफी ‘प्लेईंग ईट माई वे’ भी सचिन के खेल छोड़ने के कुछ समय बाद लांच हुई।इसके बाद सचिन मीडिया से और अलग अलग कार्यक्रमों के जरिए अपने 24 साल के करियर और अपने अनुभव को लोगों के बीच रखते रहें हैं।

अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि इस फिल्म में सचिन का किरदार वह खुद निभाऐंगे या कोई और एक्टर करेगा,और उनकी पत्नी का किरदार कौन अभिनेत्री करेगी,लेकिन यह फिल्म एक ”मस्ट वाच” होगी उनके करोड़ो फैन्स के लिए जो कि अपने पसंदीदा खिलाड़ी के बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं।