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टिहरी और धनौल्टी पर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा,सहसपुर का पेंच और उलझा

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धनौल्टी और टिहरी सीटों पर प्रीतम पंवार और दिनेश धनई को कांग्रेस आलाकमान की दी गई डेडलाइन के खत्म होने के साथ ही पार्टी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी हैं।मंगलवार को

  • टिहरी से नरेंद्र चंद्र रमोला
  • धनौल्टी से मनमोहन सिंह मल्ल को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

बीते रविवार को उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस में विरोधियों का तांता लग गया था।कभी सहसपुर से किशोर उपाध्याय के चुने जानें पर बवाल तो कभी किशोर के टिहरी सर्मथकों का उनको टिहरी से टिकट न मिलने पर बवाल।रविवार टिकट घोषणा के बाद से ही आर्यद्र शर्मा के सर्मथकों ने पार्टी कार्यालय को जंग का मैदान बना रखा है।

मुख्यमंत्री हरीश रावत का सर्मथन दोनों निर्दलीय विधायकों को था और उनके प्लान के मुताबिक कांग्रेस या तो इन दोंनों ही सीटों से अपने उम्मीदवार नहीं खडे करती या कमजोर उम्मीदवार चुनाव के मैदान में उतारती।लेकिन इस प्लान का पार्टी के नेताओं और कार्यकताओं ने भारी विरोध किया।इस वजह से दिल्ली में पार्टी आलाकमान ने दोनों निर्दलियों के सामने कांग्रेस के टिकट पर लड़ने का विकल्प रखा।सोमवार देर शाम तक दोनों से ही कोई जवाब न मिलने पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।

सोमवार रात को किशोर उपाध्याय के कांग्रेस कार्यालय पहुंचने पर उन्हें मिले जुले रिएक्शन का सामना करना पड़ा।कुछ लोग उनके सहसपुर से टिकट मिलने का विरोध कर रहे थे तो कुछ उनको टिहरी से टिकट मिलने के नारे लगा रहे थे।ऐसे में किशोर उपाध्याय ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि वो इस टिकट के बंटवारे में कहीं भी शामिल नहीं है यह सारा फैसला केंद्रीय नेतृत्व का है।उन्होंनें साफ कहा कि मैंने सोनिया गांधी और राहुल दोनों से कहा था कि सीएम हरीश रावत तो चुनाव लड़े ही रहे तो किसी को चुनाव प्रबंधन देखने के लिए होना चाहिए और इसके लिए मैंने खुद को आफर किया था और कहा था कि मुझे यह चुनाव नहीं लड़ना।उन्होंने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति के आदेश पर वो चुनाव लड़ रहे ।उन्होंने बात को साफ करते हुए कहा कि मुझे कहां से चुनाव लड़ना है यह भी केंद्र ने चुना और सहसपुर टिकट का मिलना भी मेरा फैसला नहीं था।इस चुनावी उठा पटक के बीच कांग्रेस ने एक बात तो साफ कर दी है कि चाहें जितना भी किशोर उपाध्याय के सर्मथक उन्हें टिहरी बुलाएं और आर्यंद्र शर्मा के समर्थक आत्मदाह की कोशिश करें,पार्टी का फैसला नहीं बदला जाएगा।कांग्रेस के पांच सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा होना अभी भी बाकी है,देखना यह होगा कि इन पांच सीटों की घोषणा के बाद जनता और सर्मथको की क्या प्रतिक्रिया होगी।

 

पुलकित सम्राट ने कि मीडिया के साथ बदसलूकी

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पुलकित सम्राट और श्वेता रोहिरा का रिश्ता टूटने की खबर पिछले कुछ महींनों से आए दिन मीडिया में बनीं हुई है।इसी कड़ी में पुलकित सम्राट और श्वेता रोहिरा ने आपसी समझौते से एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर लिया है।अभिनेता सलमान खान की राखी बहन श्वेता रोहिरा और पुलकित सम्राट की सालों की मोहब्बत दो साल पहले शादी के पवित्र बंधन में बंधी थी। शादी को अभी दो साल ही हुए थे कि इनके रिश्ते इतने बिगड़ गए कि दोनों ने तलाक लेने का फैसला किया।

आपसी सहमती से दोनों सोमवार की दोपहर मुंबई के बांद्रा कोर्ट में तलाक की अर्जी फाइल करने पहुंचे। कोर्ट पहुंचते ही पुलकित ने मीडिया कर्मियों के साथ जमकर हंगामा किया और मीडिया फोटोग्राफर से बदसलूकी भी की।

बांद्रा कोर्ट में तलाक फाइल करने पहुंचे पुलकित की मीडिया कर्मियों से जोरदार झड़प हो गई। जब मीडिया के एक फोटॉग्रफर ने पुलकित की तस्वीर लेने की कोशिश की तो वह उस कैमरामैन से बदसलूकी करने लगे। पुलकित यहीं नहीं रुके उन्होंने कैमरामैन को धमकी देते हुए कहा कि अगर उनकी फोटो खींची तो वह उन्हें फोटो खींचने के लायक नहीं रहने देंगे।

पहाड़ की सीट से लड़ने में रावत, उपाध्याय का दम फूला

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उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने ‘पहाड़ से पलायन’ मुहावरे को नया आयाम दे दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, दोनों का ही शायद पहाड़ की सीट से चुनाव लड़ने के नाम पर दम फूल गया। इन दोनों नेताओं में से कोई भी पहाड़ की सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा। इससे साफ है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पहाड़ से पलायन कर गया। कांग्रेस द्वारा 22 जनवरी को घोशित पंजा छाप 63 उम्मीदवारों की सूची के अनुसार ये दोनों ही दिग्गज मैदान या तराई की सीटों से लड़ेंगे। गौरतलब है कि हरीश रावत फिलहाल पिथौरागढ़ में धारचूला सीट से विधायक हैं मगर मौजूदा चुनाव वे दो जगह, हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा की सीट पर लड़ेंगे। किशोर उपाध्याय ने अपने लिए सहसपुर को चुना है। इस तरह कांग्रेस को मजबूती देने के दावे के साथ मुख्यमंत्री भले ही दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हों मगर पहाड़ की सीट इनमें से एक भी नहीं है।
किच्छा कांग्रेस की पारंपरिक सीट है। इस लिहाज से हरीश रावत ने उसे सुरक्षित मानते हुए अपने लिए तय किया है। इसी तरह हरिद्वार ग्रामीण सीट भी मुख्यमंत्री ने अपने अनुकूल मान कर चुनी है। यहां से फिलहाल भाजपा के यतीश्वरानंद विधायक हैं लेकिन रावत की इस सीट पर अपनी बेटी अनुपमा को लड़ाने की तैयारी थी। राहुल गांधी द्वारा ‘एक परिवार-एक टिकट’ की मर्यादा तय कर चुकने के बावजूद अनुपमा करीब साल भर से हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में खूब सक्रिय थीं। अंततः कांग्रेस के बागियों और अपने भी वरिष्ठ नेताओं के सगे-संबंधियों को टिकट देने पर हुई भाजपा की व्यापक आलोचना के बाद कांग्रेस को अपने नेताओं को टिकट बांटने में भाई-भतीजावाद से कड़ाई से महरूम करना पड़ा। इस कारण हरीश रावत ने खुद हरिद्वार ग्रामीण सीट से दाव लगाना तय किया। रावत हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से सांसद भी निर्वाचित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने हरिद्वार का खास ध्यान रखा। हर तीसरे दिन वे किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में आते रहे। हालांकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ने हरिद्वार सीट से रावत की पत्नी रेणुका को हरिद्वार सीट पर चित करके पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को जिताया था। इस सीट के तहत 11 विधान सभा क्षेत्र हैं जिनमें दलितों और अल्पसंख्यकों की अच्छी-खासी तादाद है।
भाजपा ने कांग्रेस के बागी पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ, पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूड़ी की बेटी ऋतु, पूर्व मंत्री मातबरसिंह कंडारी के भतीजे विनोद और पार्टी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चैहान तथा उनकी पत्नी मधु, दोनों को कमल छाप उम्मीदवार घोशित किया है। इसकी आलोचना करके कांग्रेस ने चुनाव में भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चूंकि मुद्दा बना दिया है इसलिए खुद टिकट बटवारे में भाई-भतीजावाद से परहेज किया है। लेकिन मुख्यमंत्री और प्रदेष अध्यक्ष, दोनों ने ही अपने लिए पहाड़ के बजाए निचली सीट चुनी हैं, जबकि दोनों ही पहाड़ पर ही रोजगार बढ़ाने की गाजर लटका कर से वहां से पलायन रोकने के दावे के साथ कांग्रेस को चुनाव जिताना चाह रहे हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को देहरादून के नजदीक सहसपुर से पंजा छाप उम्मीदवार बनाया गया है। उपाध्याय ने पिछला चुनाव हालांकि टिहरी से लड़ा था और इस बार भी उनके ऋशिकेष अथवा नरेंद्र नगर से चुनाव लड़ने का कयास था। यह बात दीगर है कि सहसपुर से 2012 में पंजा छाप पर चुनाव हारे आर्येंद्र शर्मा ने अपना पत्ता साफ होने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ही खम ठोकने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी होने पर देहरादून में कांग्रेस भवन में तोड़फोड़ का आरोप भी पंडित नारायण दत्त तिवारी के शिष्य आर्येंद्र के समर्थकों पर ही लगा है। जाहिर है कि सहसपुर सीट पहाड़ की नहीं गिनी जा सकती। यह बात दीगर है कि किशोर के समर्थक उन्हें टिहरी से ही चुनाव लड़ा कर शायद उनकी इज्जत बचाने के लिए मैदान में आ डटे हैं। उन्हें टिहरी से उम्मीदवार नहीं बनाने पर उनके समर्थकों ने देहरादून के कांग्रेस भवन में आत्मदाह की चेतावनी तक दे डाली है। इसके बावजूद फिलहाल उनको सहसपुर से ही पंजा छाप आबंटित हुआ है, इसलिए वे पहाड़ को पीठ दिखाने वाले ही कहलाएंगे। कोई ताज्जुब नहीं कि भाजपा द्वारा कांग्रेस के खिलाफ इस मुद्दे को भुनाने के लिए माहौल बनाने की कोशिश की जाए।
उधर हरीश रावत के दो सीट पर अपनी पंजा छाप उम्मीदवारी घोशित करने से सियासी कयासों का नया राग भी छिड़ गया है। इसपर पहली प्रतिक्रिया यही हुई कि हरीश रावत इस चुनाव में अपने चुने जाने के प्रति आश्वस्त नहीं हैं, इसलिए दो सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इसके पीछे दलील ये है कि वे अपनी पार्टी के पांच साला शासन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक धोबीपाट से अलग-थलग पड़ गए हैं इसलिए इज्जत बचाने को रावत दो सीट पर लड़ेंगे। सियासत की रोषनी में कुछ विष्लेशक हरीश रावत के इस दाव के अलग अर्थ भी निकाल रहे हैं। दरअसल किच्छा और बाजपुर अगल-बगल हैं और बागी यशपाल आर्य की वहीं कर्मभूमि है। भाजपा ने यशपाल आर्य को बाजपुर से कमल छाप पर खड़ा किया है, जिनके मुकाबले कांग्रेस ने भाजपा की बागी सुनीता बाजवा को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा वह एनडी तिवारी का भी प्रभाव क्षेत्र है। तिवारी अपने विवादित पुत्र रोहित शेखर की खातिर भाजपा अध्यक्ष अमित षाह को विजयी भव का आर्शीर्वाद दे आए हैं। यह बात दीगर है कि भाजपा ने हलद्वानी सीट रोहित को नहीं देकर तिवारी का मनोरथ पूरा नहीं किया। इसके बावजूद हलद्वानी, नैनीताल, काशीपुर, बाजपुर, किच्छा आदि आसपास की आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर तिवारी के पलायन का कांग्रेस के उम्मीदवारों के नतीजों पर उलटा असर पड़ सकता है। इसलिए यह भी अनुमान है कि कांग्रेस ने हरीष रावत को किच्छा सीट पर खड़ा करके आर्य पर दबाव बनााने और तिवारी के दाव को नाकाम करने की कोशिश की है। हरिद्वार ग्रामीण सीट के बारे में भी मुख्यमंत्री समर्थक कुछ ऐसा ही दावा कर रहे हैं। क्योंकि हरिद्वार सहित रानीपुर और हरिद्वार ग्रामीण, तीनों ही सीट पर फिलहाल भाजपा काबिज है। इसलिए हरीश रावत की उम्मीदवारी से कांग्रेस को जिले की सभी 11 सीट पर मजबूती मिलने का दावा किया जा रहा है। इसके बावजूद देखना यही है कि राज्य में कांग्रेस नेतृत्व के पहाड़ से पलायन को भाजपा इस चुनाव में कैसे भुनाती है और कांग्रेस इस तथ्य से अपने को कैसे बेदाग बचा पाएगी।

विधायकों में से ही होगा मुख्यमंत्री: जे पी नड्डा

उत्तराखंड बीजेपी के राज्य प्रभारी जेपी नड्डा ने या साफ कर दिया है कि अगर बीजेपी राज्य में सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री चुने हुए विधायकों में से ही बनेगा। सोमवार को देहरादून में पत्रकारों से बात करते हुए नड्डा ने कहा कि बीजेपी के 25 उम्मीदवारों ने अब तक नामाकन भप दिया है और पार्टी के सभी उम्मीदवार घर घर जा कर लोगों से संपर्क बना रहे हैं। नड्डा ने कहा कि पार्टी की राज्य में स्थिति बहुत मजबूत है और वो निश्चित ही सरकार बनायेंगे। सरकार बनने की सूरत में नड्डा ने या साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री का चुनाव विधायकों द्वारा ही किया जायेगा और मुख्यमंत्री विधायकों में से ही चुना जायेगा। लंबे समय से राजनीतिक गलियारों में ये कयास लग रहे थे कि चुनाव जीतने की सूरत में पार्टी दिल्ली से कोई पैराशूट मुख्यमंत्री ने भेज दे। इन अटकलों पर आज नड्डा ने फिलहाल तो विराम लगा दिया है।नड्डा के इस बयान के चलते पार्टी में निशंक, कोसियारी और खंडूरी जैसे नेताओं के सीएम का कुर्सी तक पहुंचने के कदमों को ब्रेक लग गया है।

वहीं नड्डा ने ये भी कहा कि कुछ सीटों पर उम्मीदवारों में बदलाव भी हो सकता है। इसमें खास संभावना उन सीटों की हो सकती हैं जिन पर कांग्रेस के हेवी वेट उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

हरीश रावत और कांग्रेस पर हमला करते हुए नड्डा ने कहा कि हरीश रावत को खुद अपनी जीत को लेकर आश्वसत नहीं हैं इस लिये वो दो जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं।साथ ही उन्होने हरीश रावत पर आरोप लगाया कि वो पहाड़ की राजनीति और नेतृत्व करने का दम तो भरते हैं लेकिन जिन दो सीचों पर वो चुनाव सलड़ रहे हैं उनमे से कोई भी पहाड़ की नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि रावत पहाड़ छोड़ कर मैदान की तरफ भाग गये हैं।

जहां एक तरफ बीजेपी ने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में कांग्रेस को पीछे छोड़ा वहीं कांग्रेस की लिस्ट जारी होते ही पार्टी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सभी कांग्रेसी बागियों को टिकट देकर बीजेपी ने भी कई पार्टी के नेताओं को अपने खिलाफ कर लिया है।  ऐसे में फिलहाल उत्तराखंड का चुनावी मुकाबला बराबरी का दिख रहा है हांलाकि दोनों ही दल अपनी तरफ एडवांटेज बता रहे हैं।

उत्तराखंड कांग्रेस में फंसा “सहसपुर” पेंच

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उत्तराखंड में सोमवार को भी नाराज़ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का गुस्सा प्रदेश पार्टी कार्यालय को झेलना पड़ा। रविवार को कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही देहरादून में पार्टी कार्यालय पर टिकट कटे नेताओं के नाराज़ उम्मीदवारों ने जमकर हंगामा किया था।इसमें सबसे आगे थए प्रदेश महासचिव आर्येंद्र शर्मा के समर्थक। सोमवार को भी दोपहर होते ही उनके समर्तकों ने पार्टी आॅफिस पर जमकर नारेबाज़ी और तोड़ फोड़ करी। ये लोग सहसपुर सीट पर पर्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को टिकट देने का विरोध कर रहे थे। आर्येंद्र शर्मा पिछले चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार से हार गये थे और लंबे समय से क्षेत्र में 2017 चुनावों की तैयारी में लगे हुए थे।

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कांग्रेस के लिये भी सहसपुर सीट गले की हड्डी बनती जा रही है। रविवार को टिकटों की घोषणा के साथ ही किशोर उपाध्याय ने खुद सहसपुर से लड़ने का मन न होने का बयान दिया था। किशोर का कहना था कि वो सहसपुर से लड़ने को तैयार नहीं थे लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें वहीं से लड़ने का आदेश दिया है इसलिये वो लड़ेंगे। टिकट कटते ही आर्येंद्र शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। ऐसे में कांग्रेस के लिये ये सीट निकाल पाना टेढी खीर सबित हो सकता है क्योंकि न केवल किशोर उपाध्याय का बाहरी होने के चलते विरोध हो सकता है बल्कि आर्येंद्र के चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरने से कांग्रेसी वोटों के भी कटने का खतरा रहेगा।

जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने ये दांव खेल के अपनी मुसीबतें बढ़ा ली हैं। जो नेता पिछले पांच सालों से क्षेत्र में तैयारी कर रहा है उसका टिकट काट कर पार्टीने एक ऐसा उम्मीदवार मैदान में उतारा है जो सार्वजनिक तोर पर वहां से चुनाव न लड़ने की बात कर रहा है। फिलहाल दिल्ली से खबरें आ रही है कि पार्टी में इस विरोध के चलते पुनर्विचार की बात हो रही है। जबतक इस सीट पर कोई और पैसला या समझौता नहीं होता है तब तक ये तो तय है कि ये सीट कांग्रेस के लिये गले की फांस बन गई है।

 

हरित वोट के लिए मैड ग्रुप के जागरूकता अभियान को जनता से मिल रहा है समर्थन

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हरित वोट के सर्पोट में नागरिक

देहरादून के छात्रों के संगठन मेकिंग ए डिफ़्फरेंस बाई बिंग दी डिफ़्फरेंस (मैड) ने आने वाले विधान सभा चुनाव से पहले अपना “ग्रीन वोट बैंक” यानी “हरित वोट बैंक” कैंपेन शुरू  किया है। इस अभियान में छात्रों के इस समूह ने शहर में बढ़ते प्रदूषण व बिगड़ते पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सभी शहर वासियों से यह अनुरोध किया है कि वे आने वाले चुनाव में उसी नेता को अपना वोट दें जो प्रदेश का विकास पूरी तरह से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए करने का प्रण ले | छात्रों का यह मानना है कि राज्य का मुख्यमंत्री वही बने जिसकी नीतियों में शहर का पर्यावरण एक महत्तवपूर्ण मुद्दा हो।

अपने मुहिम की इस कड़ी में रविवार सुबह 10 बजे से 2 बजे तक गाँधी पार्क व ऐश्ले हॉल के पास अपना जागरूकता अभियान चलाया | इस अभियान में युवा छात्रों ने शहर वासियों को अपनी “ग्रीन वोट बैंक” मुहीम के बारे में बताया। छात्रों ने यह बताया कि वे यह जानकर बहुत खुश हुए कि अधिकतर शहर वासी उनकी इस मुहीम से अवगत थे | एक ओर जहाँ सभी राहगीरों ने छात्रों की इस मुहीम की सराहना करी वहीं दूसरी ओर करीब सौ से अधिक लोगों ने छात्रों को अपना समर्थन देने के लिए “मेरा वोट हरित वोट” “आई प्लेज फॉर ग्रीन दून” जैसे संदेशों के साथ फ़ोटो खिचाईं|

मैड ग्रप के छात्रों ने प्रण लिया है कि वो करीब दस हज़ार से अधिक शहर वासियों तक अपना यह संदेश पहुचाएंगे ताकि सभी लोग एक जुट होकर अपने शहर के पर्यावरण को संरक्षित कर सकें|इस जागरूकता अभियान के समन्वयक करन कपूर के साथ पल्लवी भाटिया, शार्दुल असवाल, आदर्श, शरद, चेतना और ग्रुप के और लोग मौजूद थे|

प्रत्याशियों के खर्चों पर चुनाव आयोग की रहेगी कड़ी नजर

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विधानसभा चुनाव के लिए हरिद्वार सीट पर उम्मीदवारों के खर्च पर कड़ी निगरानी की व्यवस्था की जा रही है। चुनाव सम्बन्धी निगरानी में हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल हो रहा है। चुनाव में तैनात सभी अधिकारी अपने-अपने टीम सम्बन्धी वाट्सएप ग्रुप बनाकर जानकारियां साझा कर रहे हैं।इस पूरे सिस्टम पर भारत निर्वाचन आयोग से तैनात आब्जर्वर निगरानी करेंगे। विभिन्न प्रकार की टीमें लगाकर चुनाव में किये जाने वाले खर्च पर कड़ी निगरानी रखी जायेगी। सभी टीमें 24 घण्टे कार्य करेंगी। फ्लाइंग स्क्वाइड (उड़न दस्ता) की गाड़ियों में विशेष प्रकार के सिम आवंटित किये जा रहे हैं। इसे जी.पी.एस. के माध्यम से इनकी लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी। उनकी लोकेशन पर रिर्टर्निंग आफिसर सहित कन्ट्रोल रूम में बैठने वाले अधिकारी लगातार पल-पल की जानकारी लेंगे।  यदि कन्ट्रोल रूम में किसी प्रकार की सूचना मिलती है, तब लोकेशन के अनुसार घटना स्थल पर टीमें तुरन्त रवाना कर दी जायेंगी।

रोशनाबाद स्थित कन्ट्रोल रूम टोल फ्री नम्बर 1950 एवं 01334-233999 को हाईटैक किया जा रहा है। कन्ट्रोल रूम में एस.एम.एस. एवं वायस काल रिकार्डर की व्यवस्था की जा रही है। चुनाव के दिन भी हर बूथ पर सी.सी.टी.वी. कैमरे की निगरानी में कार्य होंगें तथा बूथों पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। जिसका सीधा प्रसारण इण्टरनेट के माध्यम से देखा जा सकता है। चुनाव में लगने वाले तंत्र स्वतंत्र निष्पक्ष ढ़ग से कार्य कर रहा है या नहीं इसकी निगरानी के लिए मतदाता जागरूकता सम्बन्धी, व्यय सम्बन्धी एवं सामान्य कार्यो सम्बन्धी कुल 11 आब्जर्वर जनपद हरिद्वार के 11 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तैनात किये हैं। जिनमें मतदाता जागरूकता एवं चुनावी खर्च सम्बन्धी कार्यों की निगरानी का कार्य खर्च आब्जर्वर ने शुरू कर दिया है।

चुनाव आयोग हर चुनावों में अपने को ज्यादा पारदर्शी बनाने की कोशिशों में लगा रहा है। इसी कोशिश का नतीजा है कि आयोग तकनीक की मदद लेकर चुनावी प्रक्रिया को सुचारू बनाने में लगा हैं।

70 डिजिटल रथों से 70 सीटों का लक्ष्य साधेगी बीजेपी

उत्तराखंड चुनावों के लिये बीजेपी ने सोमवार को डिजिटल रथों का काफिला लांच किया। पार्टी ने हर विधानसभा के लिये एक रथ तैयार किया है।एलसीडी स्क्रीन से लैस इन वाहनों के ज़रिये पार्टी कांग्रेस सरकार की विफलताऐ और अपनी योजनाऐं राज्य के दूर दराज़ के इलाकों के लोगों तक पहुंचाना चाहती है।

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प्रदेश के प्रभारी मंत्री जे पी नड्डा ने इन  वाहनों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इन वाहनों में 52 इंच का एलसीडी लगी हुई है जिसमें प्रधानमंत्री के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व अन्य नेता लोगों से रू ब रू होंगे। हर विधानसभा में एक वाहन रहेगा जिसका इस्तेमाल उस क्षेत्र के प्रत्याशी प्रचार के लिये करेंगे। वाहनों पर बीजेपी की नई टैग लाइन जो अटल बिहारी वाजपई और नरेंद्र मोदी को जोड़ती है ” अटल जी ने बनाया मोदी जी संवारेंगे” लिखी गया है।

 

पंजा छाप सूचीः भाई-भतीजावाद से मुक्त, महिलाओं व दलबदलुओं से युक्त 

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उत्तराखंड में कांग्रेस के बहुप्रतीक्षित पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची जारी होते ही तीन बात एकदम साफ हो गईं। पहली बात यह कि नेताओं को अनुशसित कर रहा चुनाव आयोग खुद कानून व्यवस्था संभालने में नाकारा साबित हो गया वरना 63 उम्मीदवारों की सूची जारी होने पर कांग्रेस भवन में हुए बवाल से बचा जा सकता था। दूसरी बात यह उभरी कि कांग्रेस ने भाई-भतीजावाद से कसम खा कर परहेज किया, जिससे साफ है कि सत्तारूढ़ दल अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा दोनों को घेरेगा। तीसरी बात यह कि कांग्रेस ने महिलाओं को अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा के मुकाबले करीब दुगुनी सीटों से पंजा छाप पर चुनाव लड़ाने का मनोबल दिखाया है। यह बात दीगर है कि पंजा छाप उम्मीदवारी बांटने में कांग्रेस आला कमान भाजपा के बागियों को गले लगाने के लोभ से नहीं बच सका। इसीलिए कांग्रेस की पहली सूची पर नजर डालते ही सुनीता बाजवा, शैलेंद्र रावत और सुरेशचंद जैन के नाम सीधे नजर में चढ़ गए।

सुनीता बाजवा पर कांग्रेस ने बाजपुर से दांव लगाया है। बाजपुर से 15 जनवरी तक कांग्रेस के दिग्गज रहे यशपाल आर्य कमल छाप पकड़े मैदान में हैं। उनको सबक सिखाने के फेर में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सुनीता के पति जगतार सिंह बाजवा द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का सिर कलम कर लेने की कसम को भी नजरअंदाज कर दिया। शैलेंद्र रावत को पंजा छाप देकर यमकेश्वर से ऋतु खंडूड़ी के सामने उतारा गया है। ऋतु दरअसल भाजपा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी की बेटी हैं। शैलेंद कोटद्वार से कमल छाप उम्मीदवारी के प्रबल दावेदार थे मगर बागी कांग्रेसी पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को जब वहां भाजपा ने मैदान में उतारा तो उनके सब्र का प्याला छलक गया। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री खंडूड़ी की उम्मीदवारी के चक्कर में शैलेंद्र का पत्ता कट गया था हालांकि तब वे कोटद्वार से ही भाजपा विधायक थे। अंततः शैलेंद्र कांग्रेस के पंजे पर और बगल की यमकेश्वर सीट पर ही सही पूरे दस साल बाद चुनाव लड़ने में कामयाब होंगे। कांग्रेस के पंजा छाप पर कोटद्वार सीट से स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी उम्मीदवार बनाए गए हैं जो अपने ही साथ मंत्री रहे मगर अब कमल छापधारी हरक सिंह रावत का सामना करेंगे।

पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची में सरसरी नजर में भाजपा के तीसरे नामी बागी सुरेशचंद जैन पकड़ में आए है। सुरेशचंद को कांग्रेस ने रूड़की से अपने ही दलबदलू विधायक और कमल छाप उम्मीदवार प्रदीप बत्रा के सामने उम्मीदवार बनाया है। यह संयोग ही है कि साल 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने रूड़की से पंजा छाप, भाजपा के बागी को ही अता फरमाया था मगर तब उसका नाम प्रदीप बत्रा था। प्रदीप बत्रा ने पिछले साल मार्च में नौ अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस से बगावत करके आखिरकार भाजपा में घरवापसी कर ली थी। उसके बाद 16 जनवरी को भाजपा ने अपने 64 उम्मीदवारों की सूची में जब प्रदीप बत्रा को भी कमल छाप थमा दिया तो सुरेशचंद जैन ने बिना देरी किए साल 2012 का इतिहास दोहरा दिया। उन्होंने आनन फानन अपने आप को कमल छाप के अवसरवादी कीचड़ से बाहर निकाला और लपक कर पंजा थाम लिया। सुरेशचंद जैन रूड़की के बड़े मुअज्जिज नेता हैं और वोटों के साथ-साथ लक्ष्मी के मुरीद भी हैं।

कांग्रेस ने अभी सात उम्मीदवारों के नामों के पत्ते नहीं खोले हैं, शायद उनमें किसी कमल छाप बागी को पंजे रूपी तिनके का चुनावी वैतरणी पार करने को सहारा मिल जाए! बहरहाल राज्य में सत्तारूढ़ दल ने महिला उम्मीदवारों के मामले में अपनी प्रतिद्वंद्वी और कल तक बेटियों की सरपरस्ती का ढोल पीट रही भाजपा को पीछे छोड़ दिया है। कांग्रेस की तरफ से अभी कुल सात सीटों पर महिलाओं को पंजा छाप देकर मैदान में उतरा गया है, जबकि भाजपा ने महज चार महिलाओं को ही विधायी सदन में भेजने लायक समझा है। हालांकि राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या, उनमें साक्षरता की दर और दुर्गम पहाड़ी परिस्थितियों में उनकी जिजीविशा के मुकाबले कुल 70 विधानसभा सीटों में से महज दस फीसद पर ही उन्हें लड़ाया जाना तो मातृशक्ति का अपमान ही है। इसके बावजूद शायद कांग्रेस ने अपनी प्रतिद्वंद्वी से करीब दुगुनी सीटों पर महिलाओं को पंजा छाप पकड़ा कर यह जताने की कोंशिश की है कि खुद महिला अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी ने पत्नी त्यागी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले तो स्त्री शक्ति का मान ही रखा है।

 

कांग्रेस ने उत्तराखंड के लिये जारी की 63 उम्मीदवारों की सूची

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लंबे इंतज़ारके बाद कांग्रेस ने  रविवार को उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिये अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी।

घोषित किये नामों में

  • पुरोला      राज कुमार
  • यमुनोत्री     संजय डोभाल
  • गंगोत्री      विजय पाल सिंह सजवाण
  • बद्रीनाथ     राजेंद्र सिंह भंडारी
  • थराली       डा.जीत राम
  • कर्णप्रयाग    डा. अनसुईया प्रसाद मैखुरी
  • केदारनाथ     मनोज रावत
  • रुद्रप्रयाग      लक्ष्मी राणा
  • घंसाली        भिमलाल आर्या
  • देवप्रयाग      मंत्री प्रसाद नैथानी
  • नरेंद्र नगर       हिमांशु बिजलवान
  • प्रतापनगर       विक्रम सिंह नेगी
  • चकराता         प्रितम सिंह
  • विकासनगर      नव प्रभात
  • सहसपुर           किशोर उपाध्याय
  • धर्मपुर             दिनेश अग्रवाल
  • टिहरी
  • धनौल्टी
  • रायपुर
  • राजपुर रोड       राज कुमार
  • देहरादून कैंट     सू्र्यकांत धस्माना
  • मसूरी            गोदावरी थापली
  • डोईवाला         हीरा सिंह बिष्ठ
  • ऋषिकेश           राजपाल खरोंला
  • हरिद्वार            ब्रह्म स्वरुप ब्रह्मचारी
  • बीएचईएल रानीपुर  अम्बरीश कुमार
  • ज्वालापुर             शीश पाल सिंह
  • भगवानपुर           ममता राकेश
  • झबरेरा               राजपाल सिंह
  • पिरंकलियार          फुरकान अहमद
  • रुड़की              सुरेश चंद जैन
  • खानपुर              चौधरी यशवीर सिंह
  • मैंगलोर               क़ाज़ी मोहम्मद निज़ामुद्दीन
  • लक्सर                  हाजी तस्लीम अहमद
  • हरिद्वार देहात            हरीश रावत
  • यमकेश्वर              शैलेंद्र सिंह रावत
  • पौड़ी                    नवल किशोर
  • श्रीनगर                  गणेश गोंदियाल
  • चौबटाखल               राजपाल सिंह बिष्ठ
  • लैंड्सडाउन               जनरल टी पी एस रावत
  • कोटद्वार                  सुरेंद्र सिंह नेगी
  • धारचूला                  हरीश धामी
  • डीडीहाट                   प्रदीप सिंह पाल
  • पिथौड़ागढ़                 मायूख सिंह मेहर
  • गंगोलीहाट                 नारायण राम आर्या
  • कपकोट                    ललित फर्सवान
  • बागेश्वर
  • द्वाराहाट                      मदन सिंह बिष्ठ
  • सल्ट                         गंगा पचौली
  • रानीखेत                      करन महारा
  • सोमेश्वर
  • अल्मोड़ा                       मनोज तिवारी
  • जागेश्वर                      गोविंद सिंह कुंजवाल
  • चंपावत                       हेमेश खड़कवाल
  • लोहाघाट                       कुशाल सिंह अधिकारी
  • लालकुआं                      हरीश चंद्र दु्र्गापाल
  • भीमताल                        दान सिंह भंडारी
  • नैनीताल                         सरिता आर्या
  • कालाधूंगी                       प्रकाश जोशी
  • रामनगर                           रंजीत रावत
  • जसपुर
  • काशीपुर                          मनोज जोशी
  • बाजपुर                            सुनीता बाजवा
  • गदरपुर
  • रुद्रपुर                              तिलक राज बहर
  • किच्छा                              हरीश रावत
  • सितारगंज                           मालती बिश्वास
  • नानकमाता                          गोपाल सिंह राणा
  • खटीमा                              भुवन चंद्रा कपरी

टिकटों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस मे विरोध के सुर भी उठने लगे। टिकट न मिलने से नाराज़ नेताओं के कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय पर जमकर हंगामा किया।