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रावत सरकार की आख़िरी कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार से टकराव

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मंगलवार को हरीश रावत सरकार की संभवत: आखिरी मंत्रीमंडल की बैठक हुई। बैठक में ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने के प्रकरण में भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों के बीच दोहरे मापदण्ड अपनाये जाने पर खेद व्यक्त किया गया। विचारोपरान्त मंत्रिमण्डल द्वारा निम्न निर्णय लिये गये:

  • राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को पूर्व में प्रेषित भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान को यथावत रखकर उसी पर बल दिया जाय।
  • प्रकरण में भारत सरकार/राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ¼NGT½ द्वारा राज्य के हितों के विपरीत निर्णय दिये जाने की दशा में, निर्णयों का विरोध औचित्यपूर्ण आधार के साथ मा. उच्चतम न्यायालय में अपील योजित करके किया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों में जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किये जाने हेतु दी गई  व्यवस्था के अनुरूप ही उत्तराखण्ड राज्य को भी अनुमति प्रदान की जाये अन्यथा की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति स्वरूप राज्य को विद्युत आपूर्ति की जाये। इस सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • राज्य द्वारा पर्यावरण कानूनों का पूर्ण पालन करते हुए ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास किये गये हैं तथा इस हेतु राज्य सरकार को ग्रीन बोनस दिये जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों के ईको सेंसिटिव जोन में भू-उपयोग परिवर्तन राज्य सरकार स्तर पर किये जाने की व्यवस्था दी गई है। स्टीप स्लोप के सम्बन्ध में देशभर में लागू इण्डिन रोड कांग्रेस स्टैण्डर्ड – आई.आर.सी. 73 को लागू किया गया है। उक्त के समान ही भू-उपयोग परिवर्तन एवं स्टीप स्लोप के मानकों को भागीरथी ईको सेंसिटिव क्षेत्र में भी लागू किया जाये।
  • Western Ghat Eco Sensitive Zone, महाराष्ट्र एवं अन्य हिमालयी प्रदेशों के लिये जारी किये गये ईको सैंसिटिव जोन की अधिसूचनाओं के अनुरूप ही विकास हेतु पर्यावरण मानकों में प्राप्त छूट के समान ही प्रदेश को प्रदान की जाये। 
  • सी.पी.सी.बी. द्वारा 25 मेगावाॅट तक के जल विद्युल परियोजनाओं को व्हाइट कैटेगरी की श्रेणी में रखा गया है तथा ई.आई.ए. ¼Environment Impact Assesment½ नोटिफिकेशन 2006 के अन्तर्गत भी इन परियोजनाओं को पर्यावरण स्वीकृतियों से छूट प्राप्त है। अतः अन्य हिमालयी प्रदेशों की तरह ही उत्तराखण्ड में भी 25 मेगावाॅट तक की जल विद्युत परियोजनओं को स्थापित करने की अनुमति प्रदान की जाये। 

Transitional clause के अन्तर्गत भागीरथी ईको सैंसिटिव जोन नोटिफिकेशन की तिथि से पूर्व भगीरथी एवं सहायक नदियों में अनुमन्य/ क्रियान्वित की जा रही जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किये जाने की अनुमति प्रदान की जाये। 

डीएफओ निलंबन पर विरोध में वनकर्मियों ने सरकार को दिया अल्टिमेटम, फैसला वापस न होने पर करेंगे आंदोलन

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मंगलवार दोपहर जबसे ये ख़बर आई की लैंसडाउन के डीएफओ मयंक शेखर झा को शासन ने हाई प्रोफाइल गिरफ्तारियों के मामले के चलते निलंबित कर दिया है तभी से प्रदेश की राजनीति भी गर्मा गई। मामला बड़े उद्योगपतियों से जुड़ा था इसलिये राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया संभल कर दी। लेकिन डीएफओ के समर्थन में राज्य के वन कर्मचारी खुल कर सामने आये। विभिन्न वन कर्मचारी संगठनों ने एक हस्ताक्षर कैंपेन चलाकर सरकार को इस कदम को वापस लेने के लिये अल्टिमेटम दे दिया। इस मामले में वन विभाग के तमाम संगठनों ने मंगलवार को कोटव्दार में एक आपात बैठक की।इस बैठक में सर्वसम्मति से कहा गया कि:

  • मयंक शेखर एक ईमानदार वन अधिकारी हैं
  • उक्त मामले में बिना सही जांच के लिये गया ये फैसला एक तरफा है
  • इस फैसले को सरकार को तुरंत प्रभाव से वापस लेना चाहिये
  • ऐसे कदमों से अधिकारियों कर्मचारियों के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा और वो ईमानगदारी से अपनी ड्यूटी नहीं कर पायेंगे

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वन कर्मचारी संगठनों ने सरकार को इस बाबत एक ज्ञापन भी दिया है और अपनी मागों पर एक्शन के लिये सरकार को 4 जनवरी तक का समय दिया है। इसके बाद कर्मचारी संगठनों ने राज्यभर में अनशन और कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।

गौरतलब है कि उद्योगपति समीर थापर और उनके 15 साथियों को पुलिस ने बीती 31 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। इनमें एक शख्स फिल्म जगत की जानी-मानी हस्ती के करीबी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। छापे में गेस्ट हाउस के कमरों से अत्याधुनिक हथियार, जिंदा कारतूस और शराब की बोतलें बरामद हुईं। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ जंगल में हथियार ले जाने, आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति टेंट लगाने के साथ ही शराब रखने का मुकदमा दर्ज किया गया है।

 

पौड़ी के एसएसपी मोहसिन मुख्तार ने बताया कि कुछ लोगों के फौज की वर्दी में स्वचालित हथियारों के साथ जंगल में घुसने और वहां वन्य जीवों का शिकार करने की आशंका की सूचना मिली थी। इसके चलते लैंसडोन वन प्रभाग के कोल्हूचौड़ विश्राम गृह पर छापा मारा गया। यहां मोहिंदर सिंह के नाम से तीन कमरे बुक थे, लेकिन सभी लोग परिसर में टेंट लगाकर ठहरे हुए थे।

  • तलाशी में विश्राम गृह के एक कमरे से
  • शराब की 171 बोतलें और
  • दूसरे कमरे से जर्मन निर्मित 300 बोर रायफल,
  • 23 जिंदा कारतूस, टेलीस्कोप बरामद हुए
  • वहां मौजूद आरिफ खान नामक व्यक्ति के कब्जे से 375 बोर के 15 कारतूस बरामद मिले
  • मौके से कच्चा-पक्का मांस भी मिला, जिसे परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है

इस मामले में पुलिस ने समीर थापर , जयंत नंद , मनोज सहगल , सिद्धार्थ, आरिफ हुसैन, पंचकुला निवासी रोहित सिंह डागर, बिहार निवासी राजकमल, दिल्ली निवासी सुनील कुमार, राहुल राव, नरेंद्र आनंद, राजीव खन्ना, करनाल (हरियाणा) निवासी रणदीप मान व उनका भाई स्वर्णदीप, सुरजीत सिंह मान, होशियारपुर (पंजाब) निवासी मोहिंदर सिंह, अमृतसर (पंजाब) निवासी राजीव जैन और चंडीगढ़ निवासी रोमी भट्ट को गिरफ्त़ार किया है।

मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते पुलिस घंटों पसोपेश में रही, मुकदमा की कार्यवाही पूरी करने में ही चार घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। इसके लिए उन्हें वन काननू की किताबों के पन्ने भी उलटने पड़े। फिलहाल अदालत ने आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

आप भी देहरादून के बीचो बीच जेल में बैठ कर खाने का लुत्फ़ उठा सकते हैं

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उत्तराखंड भी अब किसी भी मामले में मेट्रो शहरों से कम नही है चाहे वो फैशन हो, यहां के युवाओं का स्टाईल ,या फिर यहां के रेस्तरां हो।  आज हम अपनी कहानी में देहरादून के कुछ ऐसे फूड आउटलेटों की बात करेंगे जो युवाओं के बीच तो लोकप्रिय है ही, इसके थीम्स इतने हट के हैं कि लगभग हर उम्र के लोग इन रेस्टोरेन्ट की तरफ आकर्षित होते हैं।

मैरीगोल्ड कैफे
मैरीगोल्ड कैफे

अगर आप फूड लवर हैं तो आप कैरवान गांव स्थित मैरीगोल्ड कैफे जरुर गए होंगे। य़हां हमने कैफे के मालिक और तीन पार्टनर में से एक कुमुद तैमनी से बातचीत की। रेस्टोरेंट के इंटिरीयर के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि वो अपने आउटलेट के इंटिरीयर को ऐसे डिजाईन करते हैं कि उनके कस्टमर उस एंबिऐंस में आराम से बैठकर खाने पीने के साथ आस पास के वातावरण का लुत्फ उठा सके। वो बताती हैं कि “हमने अपना रेस्टोरेंट किसी प्रोफेशनल की मदद से नहीं बल्कि खुद डिजाइन किया है और बहुत ही बारीकियों से तैयार किया है जिससे वहां आने वाला हर कस्टमर कैफे में एक एक पल को इंज्वाय कर सके।” कुमुद बताती हैं कि वो खाने के साथ साथ अपने कस्टमर के साथ बराबर जुड़ी रहती हैं जिसकी मदद से वह अपने कैफे की कमियों को जान सके और उसपर काम कर सके। उनका मानना है कि अपना कैफे खुद डिजाइन करने की वजह से उसमें पर्सनल टच है और लोगों को भी यह काफी पसंद आता है। इसी वजह से यह शहर के बाकी सभी आउटलेट से अलग है और शायद यही वजह है कि आने वाले लोग हमारे खाने के साथ साथ हमारे इंटिरीयर की भी तारीफ करते हैं।इस कैफे का फर्नीचर हरे रंग का है जो थीम का हिस्सा है और कैफे की खूबसूरती पर चार चांद लगाता है। तो अगर आप यहां नहीं गए तो जाइए और इनके अलग अलग तरह के सैंडविच,पास्ता और मोमो जरुर ट्राई करें।

 

इसके बाद बात करते हैं शहर के ही एक और फेमस “द जेल कैफे” की। जी हां किसी खाने की जगह के लिये ये नाम कुछ अटपटा ज़रूर लगता है लेकिन कैफे के मालिक प्रियंक माहेश्वरी बताते हैं कि जेल की थीम लेने का मुख्य कारण था देहरादून में मेट्रो शहरों की तरह थीम पर आधारित रेस्टोरेंट की कमी। वो बताते हैं कि देहरादून में यह पहला इस तरीके का कैफे है और शायद आस पास के शहरों में भी ऐसा कोई रेस्टोरेंट नहीं है। आजकल लोग इस तरह के कांसेप्ट को तो पसंद करते ही है साथ में अच्छा खाना भी हमारी खास बात है। यहां तक की कुछ कस्टमर यहां सिर्फ इसलिए आते हैं क्योंकि उन्हें थीम अच्छी लगती है और वो वहां कि फोटो खींच के औरों को भी दिखाते हैं। हालांकि प्रियंक ने बताया कि कैफे का फर्नीचर बहुत ज्यादा आरामदायक नहीं है क्योंकि वो कैफे के थीम के साथ मेल नही खाता लेकिन फिर भी कोई यह नहीं कह सकता कि हमारा फर्नीचर ठीक नही है।अगर आप अब तक यहां नहीं गए तो एक बार जाएं और इनका इंटीरीयर खुद देखे।

स्ट्रिंगस एेंड बाॅउल
स्ट्रिंगस एेंड बाॅउल

अगला आउटलेट है ओल्ड मसूरी रोड स्थित स्ट्रींग एंड बाउल कैफे जिसके मालिक रोहित जोशी पहले एक फेमस बैंड स्वास्तिक के गिटारिस्ट थे। उनसे थीम के बारे में पूछने में उन्होंने बताया कि आजकल थीम लोगों के लिए महत्तवपूर्ण है क्योंकि थीम के जरिए लोग खुद को माहौल से कनेक्ट करते हैं। उनके हिसाब से थीम का होना जरुरी है लेकिन खाने की क्वालिटी भी बहुत जरुरी है क्योंकि लोग थीम देखने एक बार आते हैं लेकिन खाना ही एक कैफे में लोगों को बार बार ले जाता है। उनके मुताबिक हर किसी का माइंडसेट अलग होता इसलिए कस्टमर अपना समय एक थीम और अच्छे खाने के साथ बिताना चाहते हैं। रोहित बताते है कि खुद एक म्यूजिकल बैकग्राउंड से होने की वजह से उन्होंने अपने कैफे को म्यूजिकल थीम में तैयार किया है जिसमें हम लाईव म्यूजिक को प्रमोट कर रहे क्योंकि देहरादून में टैलेंट की कमी नहीं है। कैफे में आने वाले कस्टमर हमारे थीम से तो इंप्रेस होता ही हैं साथ में हमारे लाइव म्यूजिक का आनंद भी वो पूरी तरह से लेते हैं। रोहित के मुताबिक उनका कैफे देहरादून का एक ऐसा कैफे है जहां हर समय खाने के साथ लाइव म्यूजिक सुनने को मिलता है। वो बताते हैं कि उन्होंने अपने कैफे को राॅ फील देने के लिए एकदम अलग फर्नीचर चुना है।इस कैफे की खास बात है यहां का लाइव म्यूजिक और अगर आप यहां नही गए तो एक बार जरुर जाएं और यहां के स्पेनिश और कार्न सेंडविच,ड्रैगन आफ फायर,और तरह तरह के माकटेल इंज्वाय करें।

तोअगली बार आप शहर में हो और कहीं कुछ मस्ती के पल बिताने का मूड बनें तो अपने दोस्तों औऱ परिवार के साथ इन जगहों का रुख ज़रूर करें।

इको सेंसिटिव ज़ोन के मुद्दे पर हरीश रावत करेंगे दिल्ली में धरना

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भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को चुनाव के मौके पर सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है। राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल इस मामले में केंद्र सरकार के साथ ही एनजीटी के फैसलों की मुखालफत करेंगे। इको सेंसिटिव जोन पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस मामले में पांच जनवरी को दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने समर्थन दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि इस मामले में केंद्र जिस तरह राज्य पर फैसले को थोप रहा है, उससे संघीय व्यवस्था को चोट पहुंच रही है। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर दोहराया कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का राजनीति से लेना-देना नहीं है। उन्होंने आवाज नहीं उठाई तो जनता को हमेशा शिकायत रहेगी

कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि इको सेंसिटिव जोन पर राज्य सरकार की ओर से केंद्र को सुझाव दिए गए, लेकिन इन सुझावों को राज्य को विश्वास में लिए बगैर ही खारिज किया गया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से एनजीटी में प्रभावी पैरवी नहीं किए जाने के सवाल को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पैरवी का जिम्मा मुख्य सचिव एस रामास्वामी को सौंपा था। उन्होंने कहा कि इको सेंसिटिव जोन का फैसला पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन वर्ष 2013 की आपदा के चलते इसमें जन सुनवाई का पूरा मौका नहीं मिल सका। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार ने यह मौका नहीं दिया।

इस मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत  केंद्र सरकरा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने इको सेंसिटिव जोन के बारे में सही वक्त पर सही बात कही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के रुख के चलते पहाड़ों में विकास बाधित हो गया है। बिजली और पानी की समस्या बनी हुई है। अगर वह इस संबंध में आवाज नहीं उठाते तो जनता को शिकायत रहेगी।

 

उत्तराखंड के जंगलों में खोये पर्यटकों को एसडीआरएफ ने ढूँढ निकाला

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नए साल का जश्न मनाने के लिए उत्तराखंड लोगों की पहली पसंद बना चाहे वो फिल्मी सितारें हो या फिर आम आदमी, दुनिया के हर कोने से लोगों ने नए साल की शुरुआत उत्तराखंड के अलग अलग जिलों से की है और ऐसे ही जश्न मनाने आए दिल्ली के कुछ युवा उत्तराखंड के घने जंगलों में खो गए थे उन्हें एनडीआरएफ का टीम ने ढूँढ निकाला है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से लगभग 23 किलोमीटर ट्रेकिंग कर के पहुचने वाला स्थान डोडीताल ट्रेकिंग के लिए युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है।नई दिल्ली से उत्तराखंड के डोडीताल में ट्रेकिंग के लिए आए तीन पर्यटक घने जंगलों में रास्ता भटककर पिछले चार दिनों से इस जंगल में फंसे हुए थे।

सोमवार सुबह इन पर्यटकों के परिजन उत्तरकाशी पहुंचे। शाम करीब तीन बजे इन पर्यटकों का संपर्क परिजनों से हुआ तो एसडीआरएफ ने हेलीकॉप्टर से भी इन्हें खोजने का प्रयास किया। हालांकि, पर्यटकों के फंसे होने के स्थान के बारे में पता नहीं चलने से यह कोशिश सफल नहीं हो पाई। युवकों ने फोन पर अपनी लोकेशन यमुनोत्री के निकट हनुमानचट्टी से 18 किमी दूर जंगल की ओर बताई।

पुलिस अधीक्षक ददन पाल ने बताया कि मंगलवार को फिर खोजने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि जंगल का घन्त्व ज्यादा होने के कारण तथा सही लोकेशन ना मिलने के कारण पर्यटकों को ढूढ़ने में परेशानी हो रही थी।

साउथ दिल्ली ग्रेटर कैलास निवासी श्रेयश श्रीधर, अभिषेक सूद व तपोवृत टूटेजा 26 दिसंबर को उत्तरकाशी से डोडीताल के लिए गए थे। 27 दिसंबर की सुबह परिजनों को फोन पर बताया कि 30 दिसंबर को वे डोडीताल से हनुमान चट्टी के लिए चलेंगे तथा 31 दिसंबर को बड़कोट पहुंच जाएंगे। इस दौरान डोडीताल व आसपास के क्षेत्रों में बर्फबारी होने के कारण वे 30 दिसंबर को रास्ता भटक गए।

मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण फोन भी नहीं कर पाए। परिजनों ने सोमवार को उत्तरकाशी पहुंचकर इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी। सोमवार शाम चार बजे एसडीआरएफ की टीम ने खोजबीन शुरू की, लेकिन लोकेशन ट्रेस नहीं होने के कारण सफलता नहीं मिल सकी। श्रेयश के पिता श्रीधर कृष्णमूर्ति ने बताया कि उनके बेटे व अन्य दो साथियों के पास खाने का सामान भी नहीं बचा है और टेंट भी नहीं है। बर्फबारी के बीच वे रात कैसे काट रहे हैं, नहीं पता।

उत्तराखड के कुलदीप शर्मा बनें एयरक्राफ्ट डीजी

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उत्तराखंड राज्य के लिए जश्न मनाने के मौके खत्म होने का नाम नहीं ले रहे है।उत्तराखंड के एक और लाल को देश की सुरक्षा व्यवस्था में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऊधमसिंह नगर के कुलदीप शर्मा को वायुसेना में एयर मार्शल के पद पर प्रमोशन के साथ एयर क्राफ्ट डीजी का अहम जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने नए पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

ऊधमसिंह नगर के पिपलिया गांव, सुल्तानपुर पट्टी निवासी भारत भूषण शर्मा के बेटे कुलदीप शर्मा भारतीय वायु सेना में एयर मार्शल के रैंक से सुशोभित किए गए हैं। साथ ही उन्हें डायरेक्टर जनरल एयर क्राफ्ट की जिम्मेदारी भी दी गई है।

नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल, थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, डीजीएमओ अनिल कुमार भट्ट, रॉ चीफ अनिल धस्माना, पीएमओ सचिव भास्कर खुल्बे के बाद अब प्रदेश के कुलदीप शर्मा का नाम इस लिस्ट में जुड़ गया है जो प्रदेश के लिए बहुत बड़े गौरव की बात है।

घाव जल्दी भरने के लिए आ गई है बांस की नई पट्टी

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बांस के सेल्यूलोज़ और चांदी के सूक्ष्म कणों से वैज्ञानिकों ने एक अनूठे यौगिक का विकास किया है, जो चमड़ी को हुए नुकसान के बेहतर उपचार में सहायक सिद्ध हो सकता है।इससे आने वाले समय में प्रतिजैविक गुणों से परिपूर्ण घावों को ठीक करने वाले कपड़ों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

वर्तमान में जख्म को ठीक करने में प्रयुक्त कपड़ों की सामग्रियों के साथ कई तरह की समस्याएं हैं। यहां तक कि कई तो जैविक कोशिकाओं को विषाक्त बना देते हैं।

पंजाब के सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड अप्लाइड बायोप्रोसेसिंग में वैज्ञानिक सुदेश कुमार ने बताया, ‘‘घाव को ठीक करने वाले या कपड़े की सामग्री ऐसी होनी चाहिए जो जख्म के आसपास के हिस्से को नमी प्रदान कर सके। साथ ही यह सूक्ष्म जीवाणु संक्रमण को रोकने में भी सक्षम हो और इसे बिना किसी दर्द के घावों पर से हटाना आसान हो।’’

हिमाचल प्रदेश के सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बॉयोरिसोर्स टेक्नोलॉजी और नई दिल्ली के एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च के अनुसंधानकर्ताओं ने बांस के पत्तों की दो प्रजातियों से निकाले गए सेलूलोज और चांदी के सूक्ष्म कणों का संश्लेषण कराया।इस अध्ययन का प्रकाशन कार्बोहाइड्रेट पॉलिमर जर्नल में हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट की गुगली: बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को हटाया

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सुप्रीम कोर्ट
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बीसीसीआई यानी बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया के लिए फ़ैसले की घड़ी आखिर आ ही गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया। करीब डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने इस पर फ़ैसला सुनाया। पिछली सुनवाई में ही कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और अपने तेवर भी साफ़ कर दिए थे।

पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि झूठी गवाही के लिए बोर्ड अध्यक्ष को सज़ा क्यों ना दी जाए? उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है अगर बिना शर्त माफ़ी ना मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि अनुराग पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की।
ये नौबत इसलिए आई क्योंकि बोर्ड लोढा कमेटी की सिफरिशों को लागू कराने के लिये अपने रुख पर कायम रहा। बोर्ड के मुताबिक

  • लोढ़ा कमेटी की ज़्यादा सिफारिशें मान ली गई हैं,
  • लेकिन कुछ बातें व्यवहारिक नहीं है जिसको लेकर गतिरोध बना हुआ है
  • मसलन अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा,
  • अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा और
  • एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश बोर्ड को मंज़ूर नहीं है।

हालांकि बोर्ड का कहना है कि उन्हें लोढ़ा कमेटी ने अपनी बात रखने का पूरा समय नहीं दिया लेकिन अब बातों का समय बीत गया है। संभव है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से भारत में क्रिकेट की दशा और दिशा में बड़ा बदलाव आए।

जंगल में जश्न मना रहे उद्योगपति समीर थापर समेत 16 को भेजा न्यायिक हिरासत में

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उद्योगपति समीर थापर और उनके 15 साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें एक शख्स फिल्म जगत की जानी-मानी हस्ती के करीबी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। छापे में गेस्ट हाउस के कमरों से अत्याधुनिक हथियार, जिंदा कारतूस और शराब की बोतलें बरामद हुईं। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ जंगल में हथियार ले जाने, आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति टेंट लगाने के साथ ही शराब रखने का मुकदमा दर्ज किया गया है।

पौड़ी के एसएसपी मोहसिन मुख्तार ने बताया कि कुछ लोगों के फौज की वर्दी में स्वचालित हथियारों के साथ जंगल में घुसने और वहां वन्य जीवों का शिकार करने की आशंका की सूचना मिली थी। इसके चलते लैंसडोन वन प्रभाग के कोल्हूचौड़ विश्राम गृह पर छापा मारा गया। यहां मोहिंदर सिंह के नाम से तीन कमरे बुक थे, लेकिन सभी लोग परिसर में टेंट लगाकर ठहरे हुए थे।

  • तलाशी में विश्राम गृह के एक कमरे से
  • शराब की 171 बोतलें और
  • दूसरे कमरे से जर्मन निर्मित 300 बोर रायफल,
  • 23 जिंदा कारतूस, टेलीस्कोप बरामद हुए
  • वहां मौजूद आरिफ खान नामक व्यक्ति के कब्जे से 375 बोर के 15 कारतूस बरामद मिले
  • मौके से कच्चा-पक्का मांस भी मिला, जिसे परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है

इस मामले में पुलिस ने समीर थापर , जयंत नंद , मनोज सहगल , सिद्धार्थ, आरिफ हुसैन, पंचकुला निवासी रोहित सिंह डागर, बिहार निवासी राजकमल, दिल्ली निवासी सुनील कुमार, राहुल राव, नरेंद्र आनंद, राजीव खन्ना, करनाल (हरियाणा) निवासी रणदीप मान व उनका भाई स्वर्णदीप, सुरजीत सिंह मान, होशियारपुर (पंजाब) निवासी मोहिंदर सिंह, अमृतसर (पंजाब) निवासी राजीव जैन और चंडीगढ़ निवासी रोमी भट्ट को गिरफ्त़ार किया है।

मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते पुलिस घंटों पसोपेश में रही, मुकदमा की कार्यवाही पूरी करने में ही चार घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। इसके लिए उन्हें वन काननू की किताबों के पन्ने भी उलटने पड़े।

जनरल विपिन रावत ने संभाली सेना की कमान कहा – हम अमन चाहते हैं, लेकिन ताकत के इस्तेमाल से परहेज नहीं

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थल सेना के 27वें प्रमुख बनने के बाद जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर सख्त चेतावनी दी और कहा, हम अमन चाहते हैं लेकिन मजबूर किया गया गया तो सरहद पर ताकत के इस्तेमाल से परहेज नहीं करेंगे। जनरल रावत ने भी कहा कि वह अपने उन दो वरिष्ठ अधिकारियों के फैसले का सम्मान करते है जिन्होंने सेना के लिए पद पर बने रहकर काम करने का फैसला किया है।

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के प्रमुख बनने के बाद जनरल रावत को साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सेना को पिछले साल अपने 63 जवानों को खोना पड़ा है और पाकिस्तान की ओर से करीब 225 दफा युद्धविराम का उल्लंघन हुआ है।सरकार ने दो अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर मेरिट के आधार पर जनरल विपिन रावत को थल सेना अध्यक्ष बनाया है। सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी कमान ने जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज मौजूदा सेना प्रमुख से वरिष्ठ हैं। इससे पहले ऐसा हुआ है तो वरिष्ठ अफसरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन इन दोनों अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने नए थल सेनाध्यक्ष को पूरा सहयोग देते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की बात कही है।

नए सेना प्रमुख ने कहा कि सेना की दूरदर्शिता और प्राथमिकताओं में कोई बदलाव नहीं होगा। इंफ्रेट्री से आए जनरल रावत ने कहा कि उनकी नजर में सेना का हर जवान बराबर है चाहे वो किसी भी पलटन का हो। जनरल रावत ने कहा, ऐसे समय बड़ी जिम्मेदारी है जब सरहद पार चुनौतियां कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही हैं और सेना के अंदर सरकार के कई फैसलों को लेकर नाराजगी है। मसलन अभी तक सेना में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें नहीं लागू की गई हैं और ग्रेड को लेकर सिविल अधिकारियों के साथ उनके मतभेद बने हुए हैं। बावजूद इसके नए सेना प्रमुख से काफी उम्मीदें है क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर से लेकर चीन सीमा में काम करने का काफी तजुर्बा है और वे चुनोतियों से निपटने में बेहतर साबित होंगे