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उत्तराखंड के पहले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम का उद्घघाटन

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Dehradun
Stadium

शुक्रवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम व स्पोर्ट्स काम्प्लैक्स, रायपुर का लोकार्पण किया। आईपीएल के अध्यक्ष राजीव शुक्ला, भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव राजीव मेहता, खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रीतम सिंह, नवप्रभात, विधायक हीरासिंह बिष्ट, राजकुमार की उपस्थिति में राज्य को पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम मिला। 

मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बीच फ्रेंडली क्रिकेट मैच भी देखा और खिलाड़ियों की हौंसला अफजाई की। 25 हजार दर्शको की क्षमता वाले सूबे के पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का विधिवत उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि स्टेडियम के बनने से राज्य में खेलों को नया आयाम मिलेगा। यहां की प्रतिभाओं को बेहतर मौके मिलेंगे।  मुख्यमंत्री ने आईपीएल के अध्यक्ष राजीव शुक्ला, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर सुरेश रैना, प्रवीन कुमार व पीयूष चावला का स्वागत करते हुए कहा कि क्रिकेट स्टेडियम देश का बेहतरीन स्टेडियम होगा। इसकी कुल लागत लगभग 237 करोड़ रूपए है। ओएनजीसी द्वारा इसके लिए 50 करोड़ रूपए का योगदान किए जाने का वायदा किया गया था परंतु वायदे के अनुरूप सहायता नहीं की गई। राज्य सरकार ने अपने ही संसाधनों से स्टेडियम का निर्माण करवाया है। इस स्टेडियम के बनने से अब प्रदेश के लोगों को विश्व स्तरीय क्रिकेट मैच देखने को मिलेंगे।मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में बहुत काम किया गया है। चार इंटरनेशनल व नेशनल लेवल के स्टेडियम बन चुके हैं। 

आईपीएल के अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने स्टेडियम के लिए बधाई देते हुए कहा कि बहुत कम राज्यों में इतने कम समय में इस स्तर के स्टेडियम का निर्माण पूरा हो पाता है। इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री, खेल मंत्री व इनकी टीम बधाई की पात्र है। शुक्ला ने कहा कि बीसीसीआई की ग्रीन स्गिनल मिलने पर आईपीएल मैच भी यहां आयोजित किए जा सकते हैं। इस मौके पर ओएनजीसी के मदद से बैकआउट का मुद्दा छाया रहा। शुक्ला ने भी इस मसले को उठाते हुए कहा कि वो मामलों को दिल्ली में मंत्रालय में भी उठायेंगे। भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव राजीव मेहता ने कहा कि जिस तेजी से विश्वस्तरीय स्टेडियम का निर्माण किया गया है, वह राज्य सरकार की इच्छाशक्ति को दर्शाता है। 

इस मौके पर मशहूर गायक अभिजीत सावंत ने अपनी परर्फामेंस से लोगों का मनोरंजन किया।

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स्टेडियम में हुए पहले मैच में यूपी और उत्तराखंड के बीच एक शाॅर्ट फाॅर्मेट का शो मैच भी खेला गया। इस मैच में यूपी की तरफ से सुरेश रैना, पीयूष चावला ने हिस्सा लिया। इस मैच को यूपी की टीम ने 28 रनों से जीत लिया।

स्टेडियम में दो बड़ी एलसीडी भी लगाई गई हैं जिससे लोगों को मैदान में हो रहे ऐक्शन का पूरा मज़ा मिल सके। साथ ही वीआईपी और वीवीआईपी के लिए अलग से सिटिंग रूम बनाये गये हैं । पार्किंग और सिक्यूरिटी की पूरी व्यवस्था की गई है। साथ ही रायपुर स्टेडियम के एंट्री गेट को मेन रोड जोड़ा गया है जो फोरलेन की सड़क के साथ जोड़ा गया है। 

राज्य को इस तरह का खेल के लिये इंफ्रास्ट्रक्चर मिलना तारीफ की बात है लेकिन इसके बाद ये देखना भी सरकार के लिये चुनौतीपूर्ण होगा कि देहरादून में बने इस स्टेडियम तक राज्य के सभी हिस्सों से खिलाड़ी पहुंच सके। राज्य 2018 में राष्ट्रीय खेलों की भी मेज़बानी करने वाला है। ऐसे में अगर खेल और खिलाड़ियों के अच्छी सुविधाऐं मिलती हैं तो उनके बेहतर प्रदर्शन और ज्यादा मेडलों की उम्मीद की जा सकती है।

केंद्रीय चुनाव आयोग ने 58 लोगों के चुनाव लड़ने पर लगाई रोक

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Election
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केंद्रीय चुनाव आयोग ने 2012 विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 58 उम्मीदवारों पर अगले तीन साल तक किसी भी चुनाव में खड़े होने पर रोक लगा दी है। आयोग को तय समय सीमा में अपने चुनाव पर किये गये ख़र्च का पूरा ब्यौरा न दे पाने के कारण ऐसा क़दम उठाया गया है। सचिव भारत निर्वाचन आयोग राहुल शर्मा ने बताया कि उत्तराखण्ड में हुए विधान सभा चुनाव 2012 में लड़ने वाले 58 उम्मीदावरों को चुनाव ख़र्च का लेखा दाखिल न करने के कारण चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाती है। उन्होंने बताया कि इन सभी लोगों ने बार बार सूचना दिए जाने पर भी लेखा दाखिल नहीं किया और न करने का कोई कारण या स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

घोषित किए गए सभी पूर्व प्रत्याशी आदेश की तारीख से अगले तीन वर्षों के लिए संसद के किसी भी सदन या किसी राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभा अथवा विधान परिषद के सदस्य हेतु आवेदन करने के लिए अपात्र घोषित किए गए हैं।

इन लोगों में रजनी रावत समेत 58 लोगों के नाम हैं जो 2012 विधान सभा चुनावों में अलग अलग सीटों से लड़े थे। पिछले कुछ समय में चुनाव आयोग प्रत्याशियों के चुनावी ख़र्चों को लेकर काफ़ी सख़्त हुआ है। और ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनावों में भी प्रत्याशियों के ख़र्चों पर आयोग की कड़ी नज़र रहेगी।

आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर की “ओके जानू” रिलीज़ होगी जनवरी में

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Ok jaanu
Ok jaanu

अभिनेता आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर फिल्म ‘ओके जानू’ का ट्रेलर सोमवार को रिलीज हुआ। इस बात की जानकारी करण जोहर ने ट्विटर के जरिए दी। इसके साथ ही उन्होंने फिल्म का नया पोस्टर भी शेयर किया।
फिल्म के सह-निर्माता करण जौहर ने ट्विटर पर लिखा, “सोमवार को ट्रेलर बाहर !!!! यहां #OkJaanu …. आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर का एक और नया रूप है !!!! ”

उन्होंने फिल्म का पोस्टर साझा करते हुए टैग लाइन लिखा, ‘फिगर आउट कर लेंगे’। इसमें दोनों की आंखें बंद हैं। वहीं श्रद्धा अपना हाथ बीच में रखकर अप्रत्यक्ष रूप में वह आदित्य को किस करते नजर आ रही हैं।
‘ओके जानू’ मणिरत्नम की तमिल फिल्म ‘ओके कनमणि’ का रीमेक है। इसकी कहानी युवा जोड़े के लिव-इन रिलेशनशिप के इर्द-गिर्द घूमती है।अभिनेत्री ने ट्विटर पर लिखा, “हम वापस आ रहे हैं, ‘ओके जानू’ 13 जनवरी।”

दारा सिंह की बायोपिक में काम करना चाहते हैं अक्षय कुमार

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अक्षय कुमार
अक्षय कुमार

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार दिवंगत एक्टर दारा सिंह की बायोपिक में काम करना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें बचपन में दारा सिंह से काफी डर लगता था।
अक्षय ने बताया कि वो दारा सिंह के बहुत बड़े फैन हैं। यदि उन पर कोई बायोपिक फिल्म बनती है तो वो उसमें दारा सिंह का किरदार निभाना चाहेंगे। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि दिवंगत एक्टर और पहलवान की कद-काठी में ढलने के लिए उन्हें दो साल का वक्त लग जाएगा।
दरअसल, अक्षय दिवंगत अभिनेता दारा सिंह के जीवन पर आधारित किताब ‘दी दारा अक्का दारा सिंह’ के विमोचन के मौके पर अपने पिता और बहन के साथ पहुंचे थे। उनके पिता भी एक पहलवान थे।
इसी दौरान उन्होंने ये भी खुलासा किया कि उन्हें बचपन में दारा सिंह से बहुत डर लगता था। अक्षय ने कहा कि उन्हें लगता था कि दारा सिंह की पीठ पर त्रिशूल है और उनकी तीसरी आंख खुल सकती है।
इस मौके पर दारा सिंह के बेटे बिंदू दारा सिंह भी अपनी पत्नी और बेटे के साथ मौजूद रहे।

समीक्षा बैठक में पुलिसकर्मियों की सुध ली सरकार ने

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पुलिस
पुलिस समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में पुलिस विभाग की समीक्षा की। उन्होने प्रदेश में कानून एवं यातायात व्यवस्था को सुचारू एवं व्यवस्थीत करने के लिए पुलिस विभाग को अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने के निर्देश दिए। समीक्षा के दौरान उन्होने निर्देश दिए कि:

  • प्रदेश में ट्रैफिक निदेशालय की स्थापना की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए।
  • फील्ड पोस्टिंग वाले पुलिस कांस्टेबिल का मोटरसाईकल भत्ता 350 से बढ़ाकर 600 रूपया
  • हाई एलटिट्यूड में तैनात पुलिस कार्मिकों को प्रतिदिन 200 रूपया भत्ता दिया जाये
  • पुलिस ट्रेनिंग काॅलेज नरेन्द्रनगर को दो करोड़ की धनराशि दी जाये
  • पुलिस आधुनिकीकरण के लिए 2.40 करोड़ की धनराशि दी जाये

उन्होने कहा कि प्रदेश में शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग को सभी आवश्यक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने पुलिस कार्मिकों की ड्यूटी के दौरान मृत्यु की दशा में उनके आश्रितों को शैक्षिक योग्यता के अनुसार सेवानियोजित किए जाने की कार्यवाही पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने जनपद अल्मोड़ा के माशी, खेड़ा, मोहनखाल में स्थापित की जाने वाली पुलिस चैकियों के लिए आवश्यक पदो को भरने की कार्यवाही के निर्देश दिए।
बैठक में गृह मंत्री प्रीतम सिंह, मुख्य सचिव एस रामास्वामी, प्रमुख सचिव गृह डा उमाकांत पंवार, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव राजस्व डी0एस0गब्र्याल, सचिव गृह विनोद शर्मा, डी0जी0पी एम0ए0गणपति सहित पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

अख़बार में खाना परोसने पर लगे बैन : एफएसएआई

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पैकेज्ड फूड कंपनियों पर सख़्ती करने के बाद अब खाद्य नियामक ने खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए किराना दुकानों और सड़क विक्रेताओं को नियंत्रित करने का फैसला किया है। फूड सेफ्टी और स्टैन्डर्ड आथोरिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने अब खाने की सामाग्री को अखबार में देना या पैक करना पर बैन लगा दिया है, जो कि बहुत सामान्य तरीका है छोटे दुकानदारों और सड़क पर खाने का सामान बेचने वाले विक्रेताओं में।

अपनी एडवाइसरी में एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों से कहा कि पैकिंग के लिए समाचार पत्र के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। अखबार में खाद्य पदार्थों को परोसने से या उसको स्टोर करने से अखबार की स्याही भोजन को दूषित कर सकती है, जिससे गंभीर रुप से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।

एफएसएसएआई ने अपनी एडवाईसरी में बताया है कि बड़े बूढ़े, किशोरों, बच्चों और जिन लोगों को कैंसर से संबंधित समस्याओं के लिए इम्यूनिटी कमजोर है वे इस तरह की सामग्री में पैक भोजन करगें तो उनके लिए बड़ी समस्या हो सकती है।

केंद्रीय आवास मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक, 2014 में 10 लाख सड़क विक्रेता शहरो मे थे। कंस्लटिंग फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान है 2014-15 में लगभग 2 लाख किराना भंडार हैं।

अखबार का इस्तेमाल खाना लपेटने, ढकने और परोसने के लिए या तले हुए भोजन का ज्यादा तेल निकालने के लिए नहीं होना चाहिए। यहां बहुत जरुरी है कि ऐसी मान्यता को रोकने के लिए सभी व्यापारियों,खासकर अव्यवस्थित दुकानदारों और उपभोकताओं को इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराना चाहिए। एफएसएसऐआई ने अपनी एडवाईसरी में कहा है कि अखबार में खाने के सामान की पैकिंग को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाए जाने चाहिए।  

जबकि फूड सेफ्टी रेगुलेटर ने अभी तक पेनाल्टी की कोई राशि तय नहीं की है। एफएसएसएआई के एक अधिकारी ने इस निर्णय को नही मानने पर किसी भी तरह के फाइन या पेनाल्टी पर बात करने से इंकार कर दिया है।

प्रिंट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में, बायोएक्टिव मैटेरियल के साथ,नुकसानदेह रंग, पिगमेंट, बाइंडर,एडिटिव,प्रिजरवेटिव,केमिकल दूषणकारी तत्व और पैथोजेनिक माइक्रोआरगेनिजम पाए जाते हैं जिसकी वजह से स्वास्थय संबंधी समस्या हो सकती है, एफएसएसएआई के परामर्श के मुताबिक अखबार,कागज और कार्डबोर्ड के डब्बे जो रिसाइकिल के बाद बनते हैं उनमें मेटालिक दूषणकारी तत्व, खनिज तेल और प्रदूषित केमिकल्स जैसे थैलेट्स होते हैं जिसकी वजह से पाचन संबंधी बीमारियां और उससे खतरनाक टाॅक्सिकेंट होने का खतरा है।

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अखबार में खाने को पैक करना एक गलत आदत है और इस खानों को खाना स्वास्थय के लिए हानिकारक है चाहे खाना कितनी भी सफाई से तैयार किया गया हो। छोटे होटल, दुकानदार, और कई बार घर में ही खाने का ज्यादा तेल निकालने के लिए अखबार का प्रयोग भारत में लोगों को धीमे ज़हर की तरह लोगों के बीच फैल रहा।

पिछले कई सालों में यह पहली बार है कि एफएसएसएआई ने खाने की पैकिंग के विषय में नया नियम निकाला है। अभी तक यह संस्था पेकिंग खाने के स्टेंडर्ड को लेकर केंद्रित थी।

भारत सरकार प्लास्टिक की थैलियों को बैन करने का प्रयास काफी समय से कर रही जो सामान को स्टोर और ट्रासपोर्ट करने के काम आता है।अक्टूबर 2012 में सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी, लेकिन य़ह कानून पारित नहीं हो पाया क्योंकि पलास्टिक की थैलियां बनाने वाली कंमपनियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपनी बात रखी थी जिसके बाद आज तक इस पर कोई फैसला नहीं आया है।

नोटबंदी से उत्तराखंड पर्यटन को नुकसान, पर्यटकों के लिये फायदेमंद डीलों का मौसम

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दिसंबर और ख़ासतौर पर क्रिस्मस और नये साल पर उत्तराखंड के होटल मालिक और पर्यटन से जुड़े और लोगों के लिये कमाई का सीज़न होता है। दिल्ली से पास होने के कारण मसूरी, नैनीताल, कार्बेट, लैंसडाउन आदि शहर सैलानियों के लिये नये साल के स्वागत के लिये पसंदीदा जगह होते हैं। लेकिन इस साल नोटबंदी के बाद से ही पर्यटन से जुड़े व्यापारियों के माथे पर परेशानी की लकीरें पड़ गई हैं। राज्य के होटल व्यव्सायिओं ने बताया है कि इस वर्ष होटल और टूरिज्म बिजनेस में काफी गिरावट आयी है। उत्तराखंड होटल व्यवसाय के अध्यक्ष संदीप साहनी ने सभी होटल व्यवसायिओं के पक्ष में कहा कि नवंबर माह में औसतन 30-40 प्रतिशत गिरावट आई है, जबकि नवंबर के पहले हफ्ते में गुजरात और महाराष्ट्र के पर्यटकों की वजह से अच्छा खासा फायदा हुआ था।

लेकिन 8 नवंबर से बीते सालों के मुकाबले काफी गिरावट आयी है। राज्य में इस सीज़न मानो पर्यटक एकदम गायब से हो गए हैं और जिनकी पहले से बुकिंग थी वो भी बुकिंग कैन्सल करा रहे हैं। पर्यटन स्थल ऋषिकेश,हरिद्वार,कार्बेट,मसूरी और देहरादून जैसे स्थानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। होटल व्यवसायी रजत अग्रवाल बताते हैं कि इस गिरावट का मुख्य कारण है बाज़ार में नए नोटों के रोटेशन का धीमा होना, और आज पैसों की यह परेशानी देखते हुए लोगों को यह डर भी है कि आने वाले समय में पैसों कि किल्लत और न बढ़ जाए।

खुद राज्य सरकार भी नोटबंदी से पर्यटन को हुए नुकसान से परपेशान है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके चलते केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर हालात से अवगत कराया है और स्थिति सुधारने के लिये सुझाव भी दिये हैं। राज्य सरकार के आधीन चलने वाले गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमांऊ मंडल विकास निगम (जो कि पूरे प्रदेश में टूरिस्ट रेस्ट हाउस चलाता है) वहां भी पर्यटकों की आवक में 15-18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ हुई है।

लेकिन पर्अ्भयटन जगत से जुड़े लोगों को अभी भी हालात बेहतर होने की उम्मीद है। जो लोग अपने घरों से बाहर निकलकर कम पैसों में ज्यादा मौज-मस्ती करना चाहते हैं उनके लिए यह बिल्कुल सही समय है अपने पसंदीदा हिल स्टेशन जाने का और रुकने के लिए होटल में बुकिंग करवाने का। बहुत से होटल मालिकों ने तो पर्यटकों को लुभाने के लिए आने वाले छुट्टियों के मौसम में अपना होटल का किराया 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक कम कर दिया है।साथ ही कैशलेस पैमेंट करने के लिये बड़े और छोटे ज़्यादातर व्यापारियों ने तैयारी कर ली है जिससे आने वाले सैलानियों को नोटबंदी के कारण परेशानी न उठानी पड़े औऱ वो अपनी छुट्टियों का पूरा मज़ा ले सकें।

चम्पावत में शुरु हुई मोबाइल एटीएम वैन सुविधा

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एटीएम
चंपावत में मोबाइल एटीएम

इन दिनों नोटबंदी के कारण देशभर में पैसे की किल्लत हो रही है। राज्यों की राजधानी और बड़े शहरों में ही पैसे पूरे नहीं पहुंच रहे हैं तो ऐसे में राज्य के दूदराज़ के इलाकों में हालात का अंदाज़ा आसानी सा लगाया जा सकता है। नोटबंदी के बाद कैश की कमी होने के कारण बुधवार को ज़िला मुख्यालय में एसबीआई ने अपनी मोबाइल एटीएम सेवा शुरू की है। केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा ने फीता काटकर इस सेवा का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का असर काला धन रखने वालों पर हुआ है। आम जनता के लिए सरकार इस तरह की अन्य सेवाओं को भी जल्द शुरू करेगी। टम्टा के मुताबिक आम लोगों ो दिक्कतें हो रही हैं लेकिन ये आने वाले भविष्य के लिये बेहतर वातालरण देगा।

उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या है वहां के बैंकों में वीसेट सुविधा दी जाएगी। एसबीआई के प्रबंधक हीरा सिंह पांगती ने बताया कि मोबाइल एटीएम से एक बार में 2500 रुपये निकाले जा सकेंगे। इससे लोगों को 100 रुपये भी प्राप्त हो सकेंगे। एसबीआई के फील्ड आफीसर राजीव कुमार ने बताया कि सप्ताह में मोबाइल एटीएम दो दिन चम्पावत में रहेगा और जिले के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचकर लोगों को सुविधा उपलब्ध कराएगी। पालिकाध्यक्ष प्रकाश तिवारी, नरेंद्र लडवाल, गोविन्द सामंत, मुकेश महराना, मोहित पाठक, कैलाश पांडेय, कैलाश अधिकारी, मोहन भट्ट, सनी वर्मा, मनोज तड़ागी आदि शामिल रहे।

वोटिंग के समय दोबारा चैक कर सकेंगे वोटर अपना वोट

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आगामी विधान सभा चुनावों में 716 मतदान केन्द्रों पर पाॅयलट प्रोजेक्ट के रूप में वोटर वेरिफायबल पेपर आॅडिट ट्रेल मशीन का प्रयोग भी किया जायेगा।मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती राधा रतूड़ी ने बताया है कि वी.वी.पैट के नाम से जानी जाने वाली इस मशीन को EVM के साथ जोड़ा जायेगा। वी.वी.पैट मशीन पर मतदाता, बैलेट यूनिट का बटन दबाने के उपरांत उसका वोट किस प्रत्याशी को मिला यह एक पर्ची पर देख सकता है। यह पर्ची मतदाता को वी वी पैट मशीन के भीतर से दिखाइ देगी, जिसमें मतदाता अपने वोट का सत्यापन कर सके। कुछ क्षण (07 सेकेण्ड) तक प्रदर्शित होने के उपरांत यह पर्ची स्वयं वी.वी.पैट मशीन में जमा हो जाऐगी। इस पर्ची के माध्यम से मतदाता अपनी संतुष्टि कर सकता है, परंतु इसे वी वी पैट मशीन से बाहर नहीं ले जा सकता।

बुद्धवार को सचिवालय में मुख्य निर्वाचन अधिकारी की उपस्थिति में वी वी पैट मशीन का EVM से संयोजन तथा इसकी कार्यप्रणाली का विधिवत प्रदर्शन ECIL के इंजीनियरों द्वारा राजनैतिक दलो के प्रतिनिधियों एवं मीडिया के समक्ष किया गया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया है कि आगामी विधान सभा चुनावों में देहरादून की धर्मपुर, हरिद्वार की BHEL रानीपुर, उधमसिंहनगर की रूद्रपुर तथा नैनीताल की हल्द्वानी विधान सभा क्षेत्रो में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुल 716 बूथों पर इसका प्रयोग किया जायेगा। 

कार्यशाला में राजनैतिक दलों में CPI से राजीव कोठारी,BSP से रमेश कुमार प्रदेश सचिव, कांग्रेस पार्टी से गिरीश पुनेठा, NCP  से संजय गैरोला आदि उपस्थित थे।

हाईवे से 500 मीटर तक नहीं होंगी शराब की दुकानें: सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

राष्‍ट्रीय राजमार्गों और स्‍टेट हाईवे से 500 मीटर तक अब शराब की दुकानें नहीं होंगी। अब राजमार्गों पर शराब की बिक्री नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला लिया है हालांकि उसमें यह भी साफ है कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी। यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी।

इस फ़ैसले के अनुसार:

  • शराब की दुकानों के लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं होगा
  • नए लाइसेंस जारी नहीं होंगे
  • सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह फैसला लागू होगा
  • इसके साथ ही राजमार्गों के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड हटाए जाएंगे
  • राज्यों के चीफ सेकेट्री और डीजीपी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की निगरानी करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया है जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हर साल हाईवे और राज्य के हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर चिंत्ता ज़ाहिर की गई थी।

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। पंजाब सरकार का कहना था कि अगर राजमार्ग एलिवेटेड हो तो उसके नीचे या करीब शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी जाए। पंजाब सरकार की इस दलील पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा ‘आप यह गौर कीजिए कि कितने को आपने लाइसेंस दे रखा है। चूंकि शराब लॉबी बहुत पावरफुल है इसलिए सभी खुश हैं। उत्पाद विभाग खुश है, उत्पाद मंत्री खुश हैं और राज्य सरकार भी खुश है क्‍योंकि वह पैसे बना रही है।

साथ ही कोर्ट ने राज्यों द्वारा राजमार्गों के बगल से ठेके हटाने के काम में बरती जा रही उदासीनता पर भी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा कि शराब पीने से वाहन चलाने के कारण दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। पीठ ने कहा कि राजस्व के लिए राज्यों द्वारा राज्यमार्गों के अगल-बगल शराब का लाइसेंस देने को जायज नहीं ठहराया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की भी खिंचाई की। पीठ ने कहा कि भारत सरकार अब कह रही है कि राष्‍ट्रीय और राज्य राज्यमार्गों के किनारे शराब के ठेके को हटा दिया जाना चाहिए। पिछले 10 वर्षों में कुछ नहीं हुआ, लिहाजा हमें दखल देना पड़ा। सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि लोगों को शराब खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता है।