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केंद्र से फंड रिलीज़ होने में देरी के कारण विकास पर लगी ब्रेक: हरीश रावत

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चुनावी मौसम में राज्य और कैंद्र सरकरा में तनातनी और आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार को देहरादून में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि

  • केंद्र सरकार से एसपीए व शतप्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 2254 करोड़ रूपए मिलने थे जिनमें से केंद्र से राज्य को केवल 905 करोड़ रूपए ही मिले हैं।राज्य सरकार ने इन पर कुल 1400 करोड़ रूपए का व्यय किया है। यानि 500 करोड़ रूपए राज्य सरकार ने अपने कोटे से खर्च किए हैं।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति पोस्ट मेट्रिक स्कोलरशिप जो कि पूरी तरह केंद्र प्रायोजित योजना है,  केंद्र से हमें 160 करोड़ रूपए दिया जाना चाहिए था, परंतु केवल 75 करोड़ रूपए ही दिये गये हैं।
  • मुख्यमंत्री ने ये भी बताया कि यूटीलाईजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) भेजने में अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य की स्थिति बेहतर है। साथ ही
  • एसपीए(आर), सीएसएस(आर) व फूड सब्सिडी में केंद्र से 1751 करोड़ रूपए की मांग की गई थी। केंद्र द्वारा मात्र 731 करोड़ रूपए अवमुक्त किए गए हैं।

मुुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने अनौपचारिक बैठक में श्री बद्रीनाथ धाम को प्रसाद योजना में शामिल करने के साथ ही महाभारत सर्किट में उत्तराखंड के अश्वमेधशाला, लाखामण्डल, सातताल आदि स्थानों को सम्मिलित किए जाने के प्रति आश्वस्त किया है। रावत ने यभी कहा कि नोटबंदी के कारण राज्य को ख़ासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजस्व, परर्यटन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके लिये भी उन्होने पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री से मदद की अपील की है और हालात से निपटने के लिये सुझाव भी दिये हैं।

समय चुनावों का है यानि कि जनता को अपने कामें का हिसाब देने का। ऐसे में एक दूसरे पर लगने वाले इन आरोप-प्रत्यारोपों पर जनता कितना यकीन करती है ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन इतना तो तय है कि हरीश रावत के इन आरोपों पर भाजपा जल्द पलटवार करेगी।

हाई कोर्ट ने शराब अौर तंबाकू पर की सख़्ती, तीन ज़िलों में शराब बंदी

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शराब और अन्य नशीलें पदार्थों पर नैनिताल हाई कोर्ट ने कड़ा रुख इख्त़यार कर लिया है। हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पहाड़वासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और ख़ासतौर पर चारधाम यात्रा के अंतर्गत आने वाले ज़िलों रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में शराब, बीयर एवं नशीले पदार्थों की बिक्री पर पूर्णतः रोक लगा दी है ।  इसके अलावा सिख घर्म के पावन स्थलों के लिये हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि नानकमत्ता, हेमकुंड साहिब और रीठा साहब गुरुद्वारा के पांच किलोमीटर की परिधी में कोई भी तंबाकू के पदार्थ का ना तो सेवन होगा और ना ही बेचा जाएगा । हरिद्वार निवासी उदय नारायण तिवारी की जनहित याचिका पर न्यायालय ने शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सालय एवं धार्मिक स्थलों से एक किलोमीटर की परिधी में कोई भी शराब की दुकान नहीं खोलने के भी आदेश दिए हैं । न्यायालय ने नए वित्तीय वर्ष से इन नियमों समेत शराब की दुकानों कि संख्या कम करने को भी कहा है ।

गौरतलब है कि लंबे समय से राज्य में शराब बंदी को लेकर कई सामाजिक संगठन लड़ाई लड़ रहे थे। साथ ही देश भर में गुटके पर बैन और हाल ही में बिहार में हुई शराब बंदी के बाद इस माँग को और बल मिल गया था। कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और ख़ासतौर पर चार धाम यात्रा सर्किट पर सालाना लाखों तीर्थयात्रि आते हैं। इसलिये ये ज़रूरी हो जाता है कि ऐसे स्थानों पर नशीलें पदार्थों की बिक्री और सेवन पर रोक लगे।

राज्य में चुनावी माहौल में आई.पी.एस अधिकारियों के तबादले

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उत्तराखण्ड सरकार ने उच्च स्तर पर आई पी एस अधिकारियों के तबादले करें हैं।

  • अनिल के0 रतूड़ी, अपर पुलिस महानिदेशक,अपराध/कानून व्यवस्था, सीबीसीआईडी से *महानिदेशक, रूल्स एण्ड मेनुअल/निदेशक सतर्कता एवं अभियोजन।
  •  अशोक कुमार, निदेशक, सतर्कता, अभियोजन,एवं सचिव पुलिस स्पोर्टस से अपर पुलिस महानिदेशक,प्रशासन, समादेष्टा होमगार्ड, सचिव पुलिस स्पोर्टस कण्ट्रोल अथॉरिटी।
  •  राम सिंह मीना, अपर पुलिस महानिदेशक,प्रशासन, समादेष्टा होमगार्डस से अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था एवं सीबीसीआईडी।
  •  दीपम सेठ, पुलिस महानिरीक्षक, कानून व्यवस्था,नोडल अधिकारी इलेक्शन को पुलिस महानिरीक्षक मानवाधिकार का अतिरिक्त कार्य।
  • संजय गुंज्याल, पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र, एसडीआरफ, सीइओ माईनिंग से पुलिस महानिरीक्षक पी0एण्डएम0, पुलिस मुख्यालय, पुलिस महानिरीक्षक ऑपरेशन(एसडीऐरएफ,सीईओ. माईनींग सेल,एसटीएफ) 
  • पुष्पक ज्योति, पुलिस उपमहानिरीक्षक, अपराध/कानून व्यवस्था एवं अपीलय अधिकारी पुलिस मुख्यालय से पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र।
  • अनन्त राम चौहान, पुलिस उपमहानिरीक्षक सीआईडी को पुलिस उपमहानिरीक्षक, कानून व्यवस्था का अतिरिक्त प्रभार।

चुनावों में पब्लिक प्राॅपर्टी को नुकसान पहुंचाने पर सख़्त चुनाव आयोग

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प्रमुख सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखण्ड राधा रतूड़ी ने साफ किया है कि आगामी विधान सभा चुनावों में प्रचार-प्रसार के कार्यों में बैनर, पोस्टर, वाॅल राइटिंग आदि के द्वारा लोक सम्पत्तियों का स्वरूप बिगाड़ने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। सभी जिलाधिकारियों एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी किये गये है कि लोक सम्पत्ति विरूपरण निवारण अधिनियम में निहित प्राविधानों के दृष्टिगत विधान सभा के आगामी विधान सभा सामान्य निर्वाचन-2017 को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने जनपदों में यह सुनिश्चित कर ले कि किसी भी व्यक्ति, राजनैतिक दल या संगठन आदि के द्वारा इसका उल्लंघन तो नही किया जा रहा है, यदि लोक सम्पत्ति विरूपण निवारण अधिनियम उल्लंघन का कोई मामला सामने आता है, तो अधिनियम के अन्तर्गत नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करें। भविष्य में निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के पश्चात इस प्रकार के पोस्टर, वालपेंटिंग आदि हटवाएं जाने की कार्यवाही की जानी है। इसलिये इस मामले में कार्यवाही करते हुए नियमानुसार अंकुश लगाया जाय।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लोक सम्पत्ति विरूपण निवारण अधिनियम-2003 एवं उत्तराखण्ड लोक सम्पत्ति विरूपण (distortion/defacement) निवारण नियमावली-2009 के अनुसार रोशनाई, खडिया मिट्टी, रंग, पेंट अथवा किसी अन्य पदार्थ से लोक सम्पत्ति के स्वरूप को खराब करना, जिसमें विज्ञापन पत्रों को चस्पा करना भी सम्मिलित है, करने वाले व्यक्ति के (ऐसी सम्पत्ति के मालिक अथवा अधिभोगी को छोड़कर जो उस पर अपना नाम व पता इंगित करना है) एक वर्ष तक कारावास अथवा दस हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनो दण्डों से दण्डित किया जा सकेगा। 

राधा रतूड़ी ने बताया कि सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी किये गये है कि मतदाता जागरूकता एवं अन्य महत्वपूर्ण गतिविधयों के प्रचार-प्रसार के लिये मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय द्वारा एक Facebook Account CEO Uttarakhand तथा एक Twitter Account @Uttarakhand CEO संचालित किया जा रहा है। निर्वाचन आयोग द्वारा इसी प्रकार के Facebook Account एवं सोशल मीडिया की सकारात्मक गतिविधियां जिला निर्वाचन अधिकारी के स्तर पर भी प्रारम्भ करने की तैयारी है।  

उत्तराखंड में नकदी की है भारी कमी, हरीश रावत ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र

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मुख्यमंत्री रावत ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली को पत्र लिखकर कहा है कि नोटबंदी के बाद उत्तराखंड में अभी भी नकदी की भारी समस्या है। इससे बैंक, व्यापार, उद्योग, किसान, श्रमिक आदि सभी वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। राज्य के करेंसी चेस्ट में  नकदी का समुचित प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित को निर्देशित किया जाए।राज्य में कृषि व काश्तकारों को हो रहे नुकसान की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया है। रावत ने अपने पत्र में सहकारी क्षेत्र को कृषि ऋण के लिए सहकारी बैंकों को भी नकदी उपलब्ध करवाए जाने, रबी की फसल पर बीमा कवर की अवधि को 15 फरवरी 2017 तक विस्तारित करने व राज्य के करेंसी चेस्ट में नकदी का समुचित प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया है।  

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि 500 व 1000 के नोट के विमुद्रीकरण के बाद सहकारी बैंकों द्वारा जमाएं स्वीकार नहीं की जा रही हैं। खरीफ की फसल के बाद किसान अपनी नकदी को सहकारी बैंकों में स्थित अपने खातों में जमा नहीं कर पा रहे हैं। परिणामस्वरूप वे रबी की फसल के लिए फर्टीलाईजर, बीज आदि खरीदने के लिए कृषि फसल ऋण नहीं ले पा रहे हैं। इससे राज्य में रबी की फसल के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ने की पूरी सम्भावना है। 

मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों व जिला सहकारी बैंकों में किसान अपना धन जमा नहीं करा पा रहे हैं जिससे इस संस्थाओं से उनके द्वारा लिए ऋणों पर डिफाल्टर हो रहे हैं। इससे उनकी क्रेडिट क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। राज्य सरकार, जिला सहकारी बैंकों व अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में किसानों के खाते खोलने पर पूरा प्रयास कर रही है। जिला प्रशासन को दैनिक आधार पर इसके लिए कैम्प आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। परंतु सहकारी बैंकों में नकदी की कमी होने से, वे रबी सीजन के लिए कृषि ऋण नहीं दे पा रहे हैं। सहकारी क्षेत्र को भी नकद करेंसी उपलब्ध करवाए जाने की आवश्यकता है। 

इपत्र में कहा है कि राज्य में बैंकों ने 80 प्रतिशत डेबिट कार्ड दे दिये हैं परंतु एक्टीवेशन संबंधी समस्या के कारण बैंकों से नए प्री एक्टीवेटेड कार्ड निर्गत किए जाने की आवश्यकता है। राज्य में आधार नामांकन 85 प्रतिशत है, परंतु केवल 60 प्रतिशत लोगों को ही आधार कार्ड मिल पाए हैं। इसलिए यूआईडीएआई को निर्देशित किया जाए कि लोगों को आधार कार्ड जल्द से जल्द उपलब्ध करवाए जाएे।

विमुद्रीकरण के बाद वैट, एक्साईज, स्टाम्प, रजिस्ट्रेशन आदि में राज्य सरकार के राजस्व में कमी आई है। इसकी भरपाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा विशेष सहायता प्रदान की जाए। 

देहरादून 09 दिसम्बर, 2016(सू.ब्यूरो)

सतत विकास यात्रा में कांग्रेस की कलह सामने आई, नाराज़ आर्या को मनाने होटल पहुंचे रावत

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काशीपुर में आयोजित कांग्रेस की रैली से पहले सीएम हरीश रावत को गुटबाजी का सामना करना पड़ा। मंच पर लगे बैनरों में नाम न होने से यशपाल आर्य नाराज हो गए। ऐसे में सीएम को उन्हें मनाने होटल तक जाना पड़ा। रैली के लिए मंच पर लगाए गए बैनर में राजस्व मंत्री यशपाल आर्य और राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन संजीव आर्य का फोटो व नाम नहीं है। इसकी सूचना जब यशपाल आर्य को लगी तो वह रैली में शामिल होने के बजाय बाजपुर हाईवे स्थित एक होटल में रुक गए। रैली के लिए मुख्यमंत्री दोपहर दो बजे काशीपुर पहुंचे। जब उन्हें यशपाल आर्य की नाराजगी का पता चला तो वह यशपाल आर्य को मनाने कार से होटल गए। इस दौरान आर्य ने कुछ लोगों पर अपमान करने का आरोप लगाया। सीएम ने काफी मशक्कत के बाद आर्य को मनाया।

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सतत विकास संकल्प यात्रा में बोते हुए मुख्यमंत्री हरीष रावत ने जनता से कई वायदे किये । उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार विकास की पर्याय है। उन्होंने कहा कि जनता से किये गये वादों में अधिकांष धरातल पर नजर आ रहे ।  उन्होंने कहा कि 2020 तक प्रदेष का आमूल चूल विकास करते हुये गरीबी व पिछडेपन को दूर कर दिया जायेगा। रावत ने कहा कि प्रदेष में औद्योगिक विकास का ऐसा वातावरण तैयार किया जा रहा है जिसके अन्तर्गत 50 हजार युवाओं को स्टार्टअप से जोडा जायेगा जिससे वह नौकरी मांगने वाले नही वल्कि देने वाले बनेगें। श्री रावत ने कहा कि प्रदेष की तस्वीर बदलने के लिये महिला सषक्तिकरण हेतु अनेको कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है।  

स अवसर पर मुख्यमंत्री हरीष रावत,वित्त मंत्री इन्दिरा हृदयेष,राजस्व मंत्री यषपाल आर्य,श्रम मंत्री हरीष चन्द्र दुर्गापाल द्वारा ’’उत्तराखण्ड की चाहत हरीष रावत’’ पुस्तक का विमोचान किया गया। 

समारोह को कैबिनेट मंत्री मंत्री इन्दिरा हृदेयष,यषपाल आर्य,हरीष चन्द्र दुर्गापाल,प्रदेष अध्यक्ष किषोर उपाध्याय, सह प्रभारी संजय कपूर, विधायक सरिता आर्य,पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड,पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा व महेन्द्र सिंह पाल, द्वारा भी सम्बोधित किया गया। प३देश में चुनावी दस्तक आरही है और ऐसे में अगर कांग्रेस राज्य में दोबारा अपनी सरकार बनाना चाहती है तो उसके लिये ये बहुत ज़रूरी है कि वो तेज़ी से बढ़ती अंतर्कलह को काबू करे। हरीश रावत वैसे तो राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं लेकिन जिस तरह प्रदेश में सरकार और संगठन दोनो ही जगहों पर उनके खिलाफ विरेध के स्वर उठ रहे हैं उसे देखते हुए ये तो तय है कि आने वाले चुनावों में रावत को न केवल विपक्ष को हराना पड़ेगा बल्कि अपने कुनबे को भी साथ रखना होगा जो फिलहाल चुनौतीपूर्ण लग रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

एचएमटी बंद करने के केन्द्र सरकार के आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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एचएमटी घड़ी कारखाना स्थाई रूप से बंद करने के केन्द्र सरकार के आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। 146 कर्मचारियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुये जस्टिस राजीव शर्मा की एकलपीठ ने ये आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते में एचएमटी प्रबंधन और केन्द्र से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में कहा गया है कि वेतन और कार्यावधि का विवाद जब तक नहीं सुलझता है तब तक फैक्ट्री को कैसे बंद किया जा सकता है। दो एक्सपर्ट एजेंसियों की कंसल्टेंट रिपोर्ट को भी आधार बनाते हुये कहा गया कि इस रिपोर्ट में भी कहीं पर कारखाना बंदी के बारे में जिक्र नहीं है।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने न सिर्फ केन्द्र सरकार के 17 नवम्बर 2016 के क्लोजर ऑर्डर पर रोक लगा दी बल्कि तल्ख टिप्पणी करते हुये कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है कि सरकारी कारखाने ही बंद हो रहे हैं। उत्तराखंड में तो कारखानों की जरूरत है।

गौरतलब है कि इस मामले में हल्द्वानी के रानीबाग में मौजूद इस फैक्ट्री के तमाम कर्मचारी पहले आंदोलन भी कर चुके हैं। स्थानीय सांसद ने भी फैक्ट्री बंद न किये जाने का आश्वासन दिया था लेकिन 17 नवम्बर को स्थाई रूप से एचएमटी घड़ी फैक्ट्री बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया और तमाम कर्मचारी रोजी-रोटी को तरस रहे हैं।

अवैध खनन पर केंद्र सख्त़; गंगा से 5 किमी के इलाके में खनन पर रोक

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गंगा और उसके आस पास के इलाको में हो रहे अवैध खनन से हो रहे नुकसान पर केंद्र सरकार सख्ती करती नज़र आ रही है। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद जो लंबे समय से गंगा में हो रहे अवैद खनन के विरोध में अनशन कर रहे थे केंद्रीय जल मंत्रालय ने उनके विरोध का संज्ञान लेते हुए बुधवार को इस संबध में महत्वपूर्ण फैसला लेते हुएकेंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि :

  • गंगा के दोनो तरफ 5 किमी के इलाके में क्रशर और खनन पर पाबंदी लगा दी है।
  • गंगा किनारे चल रहे क्रशरों पर तुरंत प्रभाल से रोक लगा दी गई है।
  • अवैध खनन करने वालों पर 5 साल तक की सज़ा और 1 लाख तक के जु्र्माने का प्रावधान है।

उत्तराखंड में स्टोन क्रशर और अवैध खनन लंबे समय से यहां कि राजनीति का एक बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि ये सिर्फ सदन में और मीडिया में दोनो राजनीतिक दलों के बीच टकराव का महज़ मुद्दा बनकर रह गया है।ऐसा नही है कि अवैध खनन को रोकने के निय कानून नही है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण ये केवल सरारी फाइलों में दबकर ही रह गई हैं। समय समय पर अवैध खनन को लेकर संत समाज और अन्य सामाजिक संगठनों व्दारा विरोध के चलते सरकार ने खनन माफिया पर शिकंजा कसने की बात तो की है लेकिन समय के साथ ये कोरी बातें ही साबित होती हैं।

उत्तराखंड में खनन माफिया किस तरह सक्रिय है इसके अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल गंगा जैसी बड़ी नदियां नही बल्कि तमाम अन्य छोटी बड़ी नदियां अवैध खनन का मार झेल रही हैं। विकासनगर क्षेत्र में आने वाले आसन वैटलैंड रिजर्व के 8-10 किमी के दायरे में अवैध खनन का काम बेधड़क चल रहा है। इसका खामियाज़ा यहां के ईको-सिस्टम को झेलना पड़ रहा है। किसी समय में जो पूरा इलाका विदेशी पक्षियों से भरा रहता था अब न केवल इन पक्षियों की संख्या में कमी आई है बल्कि इनका घरौंदा केवल आसन झील तक ही सिमट कर रह गया है। नदियों के पास चोर रास्ते खनन मापिया के लिये अपने काम को अंजाम देने के लिये मुफीद होते हैं, प्रशासन इन रास्तों के समय समय पर खोदता है पर खनन से जुड़े लोग इन्हें बेखौफ होकर वापस पाट देते हैं। कमोवेश ऐसा ही राज्य के उन तमाम इलाकों का हो खनन के लिेये ज़रा भी मुफीद हैं।

इतने बड़े पैमान पर फैले अवैध खनन के माफिया राज के कदम रोकने में ये ताज़ा निर्णय कितना कारगर साबित होता है ये इस बात पर निर्भर करेगा कि राज्यों के स्तर पर किस तरह की इच्छाशक्ति दिखाई देती है।

राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बने जगदीश भल्ला

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न्यायाधीश (से.नि.) जगदीस भल्ला ने गुरूवार को राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य हेमलता ढौंड़ियाल ने जस्टिस (से.नि.) भल्ला का स्वागत किया। जस्टिस भल्ला ने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत आयोग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से भी भेंट की और आयोग की गतिविधियों, लंबित वादों आदि की जानकारी ली। जस्टिस भल्ला हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त वे पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

जब कैश नहीं तो ऐश कैसे?? नोटबंदी के एक महीने बाद भी हाल बेहाल

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प्रधानमंत्री मोदी को काले धन के खिलाफ जंग छेड़े गुरुवार को एक महीना हो गया। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करने के साथ ही आम लोगों से 50 दिन का समय मांगा था औऱ कहा था कि इन 50 दिन अगर लोग सब्र रखेंगे तो आने वाले सालों साल परेशानी नहीं होगी। अब इसे प्रधानमंत्री के दावे में लोगों का भरोसा कहैं या लोगों के सामने और कोई विक्लप न होने की मजबूरी 8 नवंबर की रात से ही लोगों ने अपने पैसे निकालने और जमा कराने के लिये लंबी कतारों में लगना शुरू कर दिया। तमाम सरकारी आशवासन और तरकीबें लगाई गई हैं लोगों को राहत दिलाने को। लेकिन इस सब के बाद भी बैंकों और एटीएम मशीनों के बाहर से लाइनें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। राजधानी देहरादून का तो ये आलम है कि लोग कैश के लिए एक एटीएम से दूसरे एटीएम भटक रहे हैं। गलती से कहीं कैश मिल भी रहा तो लंबी लाइन होने की वजह से सबको कैश पूरा नहीं हो पा रहा। ऐसे में शहर में लंबी लाइनों का नज़ारा आम हो गया है। पिछले पाँच दिनों से लगभग 90 प्रतिशत एटीएम में कैश लोड नहीं किया गया है जिसकी वजह से कैश की ज्यादा मारा-मारी है।

घंटा-घर स्थित आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम के बाहर का दृश्य देखने वाला था, मशीन में पैसे पड़े भी नहीं थे कि निकालने वालों ने लाइन लगा ली और जब बैंक कर्मचारी ने पैसे मशीन में डाल दिए उसके बाद वहां कि कतार और लंबी हो गई। आज एटीएम की कतार में युवा और बिना कैश के मुरझाए हुए चेहरे ज्यादा दिखे। पूछने पर आशीष ने बताया कि “पिछले कई रोज से वह एटीएम की लाईन में लग रहे हैं लेकिन उनका नंबर आने तक कैश खत्म हो जाता है। उन्होंने बताया कि 8 दिसंबर को उनका जन्मदिन है लेकिन जो हालात है शायद वो अपना जन्मदिन भी ठीक से नहीं मना पाऐंगे।” यह अकेले आशीष की परेशानी नहीं है आशीष जैसे हजारों लोग है जो कैशलैस होने की वजह से बहुत सी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। किसी को स्कूल की फीस देनी है,तो कोई घर से दूर यहां होस्टल में रह रहा उसे कमरे का किराया भरना है, किसी को गैस भरवाना है तो किसी का बटुआ खाली है।

सुभाष नगर रोड स्थित विजया एटीएम बैंक का हाल भी कुछ ऐसा ही था कैश के लिए लंबी लाईन और नंबर आने तक कैश खत्म, और अब तो लाईन में लगे लोग एक दूसरे को पहचानने लगे हैं। आज लाईन में लगी प्रेरणा ने बताया कि “कल उन्हें आईडीबीआई बैंक कि लाईन में सिया नाम की लड़की ने पीने का पानी दिया था और आज फिर वो दुबारा उन्हें लाईन में मिली।”  इस नोटबंदी से और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन लोग अपने घरों से निकल रहे हैं, एक दूसरे से मिल रहे और कैश के इंतजार में एक दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। जहां लोगों के पास पहले समय भी नहीं होता था कि वो किसी से हाय बाय भी करे आज एटीएम की लाइन में लगे लोग एक दूसरे से गुफ्तगू करते नजर आ रहे हैं।

पिछले महीने भर में नोटबंदी को लेकर काफी असमंजस के हालात बने हुये हैं। इस मुद्दे पर राजनीति से लेकर सड़कों पर परेशान होते लोग नोटबंदी की तस्वीर बन गये हैं। सरकार ने लगातार नोटबंदी के दौरान खाते आॅपरेट करने की नियम व शर्तें बदली। विपक्ष ने इसे सरकार की अधूरी तैयारी कहा तो सरकार ने इसे काले घन के मालिकों को हर कदम पर राकने के लिये उठाये गये कदम बतया। इस दौरान सरकार ने लोगों से कहा कि शादियों के मौसम में लोग 2.5 लाख रुपये में शादियां निपटा लें, खातों से पैसे निकालने की सीमा समय समय पर बदली, नोटबंदी से जुड़े नियमों में भी कई बार फेरबदल किया गया।  सरकार का तर्क ये है कि नोटबंदी आज़ाद भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। इससे एक साथ कालेधन, आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। दावे चाहे जो भी नोटबंदी से इन मसलों पर कितनी मदद मिली है ये तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री के जनता से मांगे परेशानियों के 50 दिनों में से 30 दिन गुज़र गये हैं और लोगों की मुश्किलें खत्म होती दिख नही रही हैं।