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मोदी राज में पहली बार गरीब के पीछे अमीर भाग रहा है: रविशंकर प्रसाद

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नरेंद्र मोदी सरकार की नोटबंदी के पक्ष में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में हमेशा से गरीब आदमी ही अमीरों के पीछे भागता था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी कर के न केवल करप्शन और काले धन पर ब्रेक लगाई है बल्कि पहली बार देश के गरीबों के पीछे अमीर भाग रहे हैं। प्रसाद का इशारा करोड़ों जनधन खातों में जमा हो रहे पैसे और हाल में इस पर चुनावी रैली में मोदी के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। मोदी ने कहा था कि जिन लोगों के जनधन खातों में दूसरों ने अपना पैसा जमा कराया है वो लोग उस पैसे को न निकाले । सरकार उस पैसे को खाताधारक का ही करने का रास्ता तलाश रही है।

यह चुटकी रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को नैनीताल में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा में शामिल होते वक्त ली। प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर सवाल उठाने वालों के लिये प्रसाद ने कहा कि इन्हीं यात्राओं का नतीजा है कि आज भारत विश्व मंच पर एक नई ताकत की तरह उभरा है जिसके चलते पाकिस्तान के हिमायती मुल्क चीन को भी दबे सुर में ही सही लेकिन आतंकवाद का विरोध करना पड़रहा है।

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उत्तराखंड और सेना के रिश्तों को ध्यान में रखते हुए प्रसाद ने कहा कि देश के सैनिकों के साथ, उनकी वीरता के साथ नरेंद्र मोदी खड़े हैं, बीजेपी खड़ी है और भारत का हर शख्स खड़ा है। उन्होने कहा कि जब सेना का एक अफसर शहीद होता है तो चाहे उसकी पत्नी हो, माता हो, बहन हो, पिता हो वो टी.वी पर बोलते है, मेरा एक ही बेटा हैं काश दुसरा होता तो उसको भी भेजतें, ये है भारत और खासतौर पर उत्तराखंड की परंपरा।

राज्य की हरीश रावत सरकार पर हमला बोलते हुए प्रसाद ने कहा कि राज्य भ्रष्टाचार का अड्डा बन कर रह गया है और विकास सिर्फ सपना बन गया है। उन्होने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि राज्य के पूर्ण विकास के लिये ज़रूरी है कि यहां भी केंद्र की ही तरह बीजेपी सरकार बने।

खिलाड़ियों को पूरी तरह तैयार रखना हमारी ज़िम्मेदारी है: हरीश रावत

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सोमवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत पुलिस लाईन में आयोजित 14वीं उत्तराखण्ड प्रादेशिक पुलिस एथलेटिक्स प्रतियोगिता-2016 के समापन समारोह में शामिल हुए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों, प्रतिभागियों एवं प्रतियोगिता के आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि मनुष्य में प्रतिस्पर्धा की प्रवृत्ति होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खेलों के विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। पुलिस विभाग से इसमें भागीदारी की उन्हे बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने के प्रयास करना होगा। इसके लिए अधिकारियों को विशेष ध्यान देना होगा। जिलों में कप्तान स्वयं इस बात का ख्याल रखें। हमारे खिलाड़ियों को परफैक्ट रखना हमारी जिम्मेदारी है।   

इस अवसर पर विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने 4 गुणा 100 रिले दौड़ के दौरान गिरकर चोटिल हुई टिहरी की महिला खिलाड़ी प्रभा को खेलभावना का सम्मान करने के लिए विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया। साथ ही राज्य के सभी जिलों से आए खिलाड़ियों व अन्य टीमों द्वारा किये गए मार्च पास्ट की सलामी ली। उन्होंने पुलिस विभाग द्वारा आगामी 11 दिसम्बर, 2016 को आयोजित होने वाली पुलिस मैराथन के लिए पुलिस विभाग को शुभकामनाएं दी। 

कार्यक्रम के दौरान विधायक एवं संसदीय सचिव राजकुमार, पुलिस महानिदेशक एम.ए.गणपति, एडीजी अशोक कुमार, जिलाधिकारी देहरादून रविनाथ रमन सहित पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूज थे।

राज्य सरकार और उसके मुखिया खेल और खिलाड़ियों की मदद के लिये कदम उठाने की बातें तो काफी कर रहे हैं लेकिन इन बातों का सार्थक अर्थ तभी निकलेगा जब देहरादून के गलियारों से निकल कर ये वादे अमली जामा पहन कर राज्य के दूरदराज़ इलाकों तक पहुंच सकें। राज्य में हर खेल और स्तर पर प्रतिभऐं मौजूद हैं लेकिन ज़रूरत है कि उन खिलाड़ियों को अपने टैलेंट को निखारने का भरपूर मौका मिले न कि कोरे आशवासन

थाना स्तर पर काम करने के तरीकों में सुधार की ज़रूरत: डीजीपी

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पुलिस मुख्यालय में सोमवार से शुरु हुई दो दिन की पुलिस आफिसर्स कान्फ्रेंस के पहले दिन पुलिस की कार्य प्रणाली में  के सम्बन्ध में कार्ययोजनाओं पर बोलते हुए पुलिस महानिदेशक एम. ए. गणपति ने कहा कि जब तक थाना और चौकी स्तर की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं होगा तब तक राज्य में एक अच्छी पुलिस व्यवस्था स्थापित नहीं हो पायेगी। उन्होने कहा कि युवाओं के साथ पुलिस विभाग की संवादहीनता में सुधार करते हुए युवाओं के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने का प्रयास करना चहिऐ, यह राज्य में अपराध एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने में भी सहायक होगा। उन्होने कहा कि हर पुलिसकर्मी को चहिए कि वह उसको कानूनी अधिकारों का प्रयोग करने के साथ साथ अपने क्षेत्र के संरक्षक के रूप में भी कार्य करें।

 डीजीपी ने कहा कि उत्तराखण्ड पुलिस के पास पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तथा आधुनिक साधन/संसाधन उपलब्ध है, राज्य गठन से अबतक पुलिस विभाग को अच्छा नेतृत्व मिला है। वीडियो कान्फ्रेंस से इस कान्फ्रेंस में पुलिस में सुधारों को लेकर विचार-विमर्श किया गया जिसमें सभी परिक्षेत्र प्रभारी, जनपद प्रभारी, सेनानायक व जनपदों के राजपत्रित अधिकारी, थाना प्रभारियों द्वारा हिस्सा लिया गया। बैठक के दौरान थाना स्तर पर पुलिस कार्यप्रणाली में एकरूपता एवं पारदर्शिता लाते हुए बेसिक सर्विस डिलिवरी में सुधार के लिये कार्ययोजना पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पौड़ी, टिहरी, पुलिस अधीक्षक चमोली तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, पुलिस अधीक्षक पिथौरागढ़ ने संयुक्त रूप से प्रसेनटेशन दी, जबकि विभाग में आरक्षी स्तर पर क्षमता बढ़ाने के लिये कार्य योजना पर श्री पंकज गैरोला, पुलिस उपाधीक्षक, देहरादून, निरीक्षक प्रमोद शाह, ऊधमसिंहनगर ने तथा पुलिस कार्यप्रणाली में युवावर्ग को अधिक से अधिक जोड़े जाने पर तृप्ति भट्ट, सहायक पुलिस अधीक्षक,देहरादून एवं रिधिम अग्रवाल, सेनानायक 31वींवाहिनी पीएसी, ने प्रसेंटेशन की।

इसके बाद वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े सभी जनपदों, वाहिनियों के राजपत्रित अधिकारियों, थानाध्यक्षों से चर्चा कर सुझाव भी मांगे गये जिसमें बड़ी संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने विचार दिये। 

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी घरों पर कब्जा़ पड़ा मंहगा, हई कोर्ट ने दिये बंगले खाली करने के निर्देश

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उत्तराखंड हाी कोर्ट ने सोमवार को सरकारी बंगलों पर कब्ज़ा करे पूर्व नुख्यमंत्रियों को झटका दिया। कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने के निर्देश दिये। बंगले खाली करने के लिये कोर्ट ने सभी को 15 फरवरी २०१७ तक का समय दिया है।

घौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी बंगलों के इस्तेमाल कर रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों को किराया जमा कराने के लिये किराये की रकम का ऐलान भी किया है। लिविंग एरिया पर फ्लैट रेंट के मुताबिक तय किए गए किराए में पूर्व मुख्यमंत्रियों पर रियायत बरतते हुए बाजार भाव को तरजीह नहीं दी गई।

इस फैसले के चलते

  • भगत सिंह कोश्यारी को 14 वर्ष आठ माह चार दिन के लिए 1,76,132 रुपये अदा करना होगा।
  • नारायणदत्त तिवारी को नौ वर्ष आठ माह एक दिन के लिए 1,39,240 रुपये
  •  भुवनचंद्र खंडूड़ी को 1200 रुपये प्रतिमाह की दर से 1,52,880 रुपये
  • डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को पांच वर्ष एक माह 18 दिन की अवधि के लिए 67,443 रुपये
  • विजय बहुगुणा को 39,440 रुपये सरकारी कोष में जमा कराने होंगे।

सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास का किराया बाजार भाव पर तय नहीं किया है। बाजार भाव पर किराया लिया जाता तो किराया राशि कई गुना ज्यादा हो सकती थी। हांलाकि जिन सरकारी बंगलों में ये राजनेता रह रहे हैं उनका किराया इस किरायों की दरों से काफी ज्यादा है लेकिन फिर भी अदालत की सख्ती के चलते सरकारी संपत्ति का दुर्उपयोग पर रोक लगेगी। अब देखना ये होगा कि सरकार कितनी सख्ती और जल्दी किराये वसूलने के काम को अंजाम देती है।

नोटबंदी के चलते जंगल और नहर में मिले 500 और हजार के नोट

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देश में नोटबंदी के चलते जहां एक तरफ लोग अपना कैश को कन्वर्ट कराने में जुट गये हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने कैश को कन्वर्ट कराने के जुगाड़ नही ढूंढ पा रहे हैं। इन लोगों के पास अपने कैश को डिस्पोस करने के अलावा कोई रास्ता नही बचा है। ऐसा ही कुछ मामला उत्तराखंड के काठगोदाम और हरिव्दार में सामने आया जहां काठगोदाम से कटघरिया जाने वाली नहर में 1000 और 500 रुपए के नोट बहते पाये गये।  ये खबर लगते ही इलाके में हलचल मच गई। अपनी किस्मत को चमकता देथ स्थानिय निवासियों ने नहर में कूदकर जालों की मदद से नोटों को निकालना शुरू कर दिया। मामले की जानकारी पुलिस को दे दी गई और पुलिस अब मामले की छानबीन में जुट गई है।

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वहीं हरिद्वार जिले में सिडकुल से सटे रोशनाबाद की गांव की महिलाओं को जंगल में पुराने पांच सौ एक हजार के नोटों की गड्डियां मिली। जंगल में पुराने नोट मिलने की सूचना पर पहुंची पुलिस ने महिलाओं से नगदी रिकवर की। पुलिस का कहना है चार लाख, 58 हजार, 500 की रकम महिलाओं से मिली है।

जानकारी अनुसार रविवार को रोशनाबाद गांव की महिलाएं रोज की तरह जंगल में लकड़ी बीनने गई थी। लकड़ी बीनते समय उन्हें पांच सौ और एक हजार के पुराने नोटों की गड्डियां मिली। पुलिस ने एक एक कर जंगल से लकड़ी बीनकर आई महिलाओं से नोट रिकवर किए। इसकी वीडियोग्राफी कराई जाती रही। थानाध्यक्ष ऋतुराज सिंह रावत ने बताया कि महिलाओं से मिले नोटों की गिनती की गई तो कुल रकम चार लाख, 58 हजार, 500 निकली। 

अपनी मिट्टी से दूर तुर्की के इस्तानबुल में बसा भारत

तुर्की का नाम सुनते ही कानों में कुछ घंटी सी नहीं बजीं, जब हमें यह पता लगा कि हमारा अगला पड़ाव इस्तानबुल, तुर्की है और कुछ साल के लिए ये हमारा घरौंदा बनने वाला हैं। साउथ अफ्रीका में रहने के बाद इस्तानबुल थोड़ा फीका लगा, और यहां मैं प्राकृतिक सुंदरता के बारे में बात कर रही हूँ। खैर, इस्तानबुल में आते एक बात तो त़य थी कि दिल्ली की याद इतनी नहीं आएगी क्योंकि यहां का ट्रैफिक दिल्ली के ट्रैफिक के टक्कर का है। सड़कें हमेशा खचां-खचां भरी रहती हैं और ट्रैफिक सेन्स भी कुछ भारतवासियों के जैसा ही है।

दिन बीतते गये और हमें इस्तानबुल भाने लगा। धीरे-धीरे यहां पर रह रहे भारतीयों के बारे में पता लगा। इस्तानबुल में तकरीबन ढ़ाई सौ हिन्दुस्तानी परिवार रहते हैं। ये आकड़े हमें इंडियन एंबेसी से प्राप्त हुए। यहां पर कई भारतीय परिवार बस गए हैं। कुछ 30 साल से तो कुछ 10 साल से यहीं बसे हुए हैं। मिस्टर फ्रांसीस और उनका परिवार पिछले 30 साल से इस्तानबुल में रह रहें हैं। मुंबई में इनका बचपन और जवानी बीती और कुछ काम के सिलसिले में ये भारत से बाहर निकले और कई देशों में घुमने के बाद इस्तानबुल में परिवार समेत बस गए हैं, इसी तरह मिस्टर वेंकेट उनकी पत्नी और उनके दो बच्चे 11 साल से इस्तानबुल में रह रहें हैं। मिस्टर वेंकेट इस्तानबुल के एक इंटरनेशनल स्कूल में कंम्प्यूटर टीचर हैं। उनकी बेटी ग्रेजुएशन खत्म करके अब एक अच्छी कंम्पनी में नौकरी कर रही है । मिस्टर वेंकेट का एक बेटा भी है जो इस्तानबुल में ही इंजनियरिंग पढ़ रहा हैं उनके दोनों बच्चे तुर्कीश भाषा अच्छी तरह से बोलते हैं और इस्तानबुल को ही अपना घर मानते हैं। रजनी को शुरुआत में इस्तानबुल में बिना मिर्च के खानें में थोड़ी परेशानी जरुर हुई लेकिन धीरे-धीरे उन्हें तुर्कीश खाना पसन्द आने लगा। 

इसी तरह दिया और अनिरुद्ध भी इस्तानबुल में 8 साल से रह रहे हैं और उनके मुताबिक 8 सालों में इस्तानबुल में काफी कुछ बदल गया है। दिया को इस्तानबुल के बारे में कुछ खास पता नहीं था शुरुआत में उन्हें अपने परिवार की याद आती थी लेकिन समय के साथ उन्हें यहां अच्छा लगने लगा और उनका मानना है कि इस्तानबुल का इंन्फ्रास्ट्रक्चर काफी विकसित हुआ है, मेट्रों बस,माॅल्स अभी कुछ आठ साल में ही बने हैं। लेकिन पुणे की कंचन जो कि ज़ुंबा और योगा टीचर हैं और इस्तानबुल में दो साल से हैं उनका मानना है कि इस शहर को घर बनाया जा सकता है। उन्हें इस्तानबुल भा गया है और उनका मानना है कि यहां के लोग भारतीयों को पसंद करतें हैं। उन्हें ऐसा तब लगा जब उन्हें एक तुर्कीश परिवार से शादी का रिश्ता आया, लेकिन जब तुर्कीश परिवार को पता चला कि कंचन शादी-शुदा है तो उन्हें काफी निराशा हुई। कंचन इस्तानबुल में तुर्कीश लोगों को योगा सिखाती हैं और इस्तानबुल में काफी खुश हैं।img_4972 कंचन की तरह ही मुंबई की शिवा हाथों में मेंहदीं लगाने में माहिर हैं उनकी इस्तानबुल में मेंहदीं डिजाइन्स की बहुत मांग है। शिवा के पति तुर्कीश हैं।

 

इस्तानबुल दो भागो में बंटा हुआ है एक है एशियन साईड और एक है यूरोपियन साईड। दोनो तरफ ही भारतीय बसे हुए हैं। हर महींनें भारतीय महिलाएं एक दूसरे से मिलती जरुर हैं। इसी बहाने भारतीय खाने पीने का स्वाद भी मिलता है और भारतीयों को मिलने का मौका भी।   

हर साल इस्तानबुल में दिवाली मेला जरुर लगता है। इस मेले में भारतीय खाना और भारतीय कपड़ों के स्टाॅल लगते हैं। स्टेज पर्फामेंस होते हैं जिसमें बालीवुड नंबर पर नाच-गाना होता है। ये तरीका है एक दूसरे भारतियों को जानने और मिलने का। इसी तरह हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त मनाया जाता है। इस्तानबुल में बालीवुड भी पीछे नही है। तुर्कीश जनता बाॅलीवुड गानों की और बाॅलीवुड स्टाईल डांस की बहुत दिवानी हैं। इस डांस की इतनी मांग हैं कि भारत के राजेश रापका और उनकी तुर्कीश बीवी दोनों मिलकर बालीवुड डांस इस्तानबुल में सिखातें हैं, साथ ही मुंबई की कृतिका भी भरतनाट्यम सिखाती हैं। कृतिका पिछले दो साल से इस्तानबुल में हैं और उन्हें इस्तानबुल बहुत पसंद है।img_4978-1

इसी तरह इस्तानबुल में रह रहे भारतीयो का आना जाना लगा रहता है।अपने देश से हजारों किलोमीटर दूर रहने के बाद भी इस्तानबुल में रह रहे भारतीयों को घर जैसा लगने लगा है ये शहर।

कुहु गर्ग ने टाटा ओपन में मिक्सड डब्लस में जीता सिलवर

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मुंबई मै चल रहे टाटा ओपन इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज 2016 मै कुहू गर्ग मिक्कासड डब्लस के फाइनल में तो हार गई लेकिन पूरे टूर्नामेंट में अपने शानदार फार्म से कुहु ने उत्तराखंड का नाम ऊंचा किया। मिश्रित युगल के फाइनल मे कुहू ने अपने जोड़ीदार विग्नेश देवलकर के साथ खेलते हुए कड़ी टक्कर दी। मैच का स्कोर रहा 4-11, 10-12, 11-4, 11-6, 8-11।

भारत ने अपने जबरदस्त प्रदर्शन से छठे वुमेन एशिया कप में पाकिस्तान को हरा कर कप किया अपने नाम

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रविवार को फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 17 रन से हराकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एसीसी महिला ट्वेंटी -20 एशिया कप, 2016 पर क़ब्ज़ा बरकरार रखा। एशियाई संस्थान प्रौद्योगिकी ग्राउंड, बैंकॉक में टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए मिताली राज ने 65 गेंद में नाबाद 73 बनाकर भारत को चैम्पियन ट्राफी तक पहुँचाया।
121 रन के कुल स्कोर का बचाव करते हुए स्पिनरों ने पाकिस्तान को सिर्फ 104/6 के स्कोर पर रोक दिया, जिसकी मदद से भारत ने टूर्नामेंट में नाबाद जीत हासिल की।

भारत के लिए मिताली ने पारी का आगाज किया, और पारी को एक साथ जोड़ते हुए एक 121 रन के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। जबकि असमाविया इकबाल ने एक ओवर में 12 वाइड गेंदें फेंकी और ओपनर ने उनकी इन गेंदों को चौकें जड़नें में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह ड्राइव और पंच के रूप में गेंदबाज के छक्के छुड़ातीं रहीं और अपना 10 वां अर्धशतक खेल के छोटे प्रारूप में पुरा किया।

आसान नही होगा देश को कैशलेस इकाॅनमी बनाना

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उत्तराखंड की राजधानी में जहां नोटबन्दी से परेशान होकर रेहड़ी-ठेले वालों ने इस समस्या का समाधान कैशलेस औऱ डिजिटल माध्यमों में ढूंढ लिया है वहीं यहां की जनता अभी पूरी तरह से कैशलेस होने के लिए तैयार नहीं दिखती। कई शहरों में रेहड़ी व ठेली लगा कर अपने परिवार की गुजर बसर करने वाले लोगो ने पेटीएम, मोबीक्विक आदि डीजिटल पेमैंट प्लेटफाॅर्मों का सहारा लेकर नगदी के अभाव में पटरी से उतर गयी जिंदगी को दोबारा ढर्रे पर लाने की कवायद शुरू कर दी है ।

कई सालों से देहरादुन के चकराता रोड पर चाउमिन व मोमो बेचने का काम कर रहे ऋषभ की दुकानदारी प्रधानमंत्री की नोटबंदी के आदेश के चलते ठप्प ही हो गयी थी । पिछले दस दिनों में ऋषभ की दुकानदारी कुछ यूँ गिरती चली गई कि उसे अपने परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया। ऐसे में उसने टीवी में कई दिनों से चल रहे एक एड को देखकर देहरादुन में पेटीएम के प्रतिनिधि से सम्पर्क साधा जिसके बाद उसकी दुकान पर ग्राहकों की आवाजाही शुरू हुई । ऋषभ ने पेटीएम से पेमेन्ट लेना क्या शुरू किया उसके साथ साथ ग्राहकों की भी चल निकली ।

लेकिन जहां कुछ दुकानदारों को इस पहल से फायदा हुआ वहीं कुछ लोग अभी तक ग्राहकों की बाट जोह रहें। परेड ग्राउन्ड में चकराता निवासी तुषार की हैंण्डलूम के स्टाॅल में पेटीएम मशीन तो लगी हुई है लेकिन पिछले पाँच दिनों में एक भी कस्टमर ने पेटीएम से पेमेन्ट नहीं करवाया है। इसकी वजह पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शायद अभी तक लोग इसको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतार नहीं पाएं हैं, उन्होंनो बताया कि “उनकी दुकान में पेटीएम के साथ साथ स्वैप मशीन भी है और लोग पेटीएम से अच्छा विकल्प कार्ड स्वैप कराने को मान रहे है”। उन्होंने कहा “शायद लोग इसके फायदे समझ नहीं पाएं है, इससे पेमेन्ट करने से कैशबैक मिलता है जिसमें उनका फायदा होगा और यह आसान भी है।”इन लोगों की इस कोशिश से इनकी ठप्प पड़ गयी दुकानदारी तो दोबारा चल ही निकली है ऋषभ जैसे कई रेहड़ी पटरी वाले अब नगदी के अभाव में डिजिटल पेमैंट की राह पर चल निकले है , हालांकि अभी बहुत से दुकानदार ग्राहको की बाट जोह रहे लेकिन उन्हें आशा है कि जल्द ही लोग इसके फायदे समझेंगे और इसे इस्तेमाल करेंगें।

नगदी जेब में न होने के बावजूद डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर आप अपना रोजमर्रा का काम चला सकते हैं । वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिनको ये डिजीटल तरीका बिल्कुल समझ नहीं आ रहा और डिडिटल प्लेटफार्मों से पेमेन्ट करने से घबरा रहे। नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाना मोदी सरकार का बड़ा और महत्वकांशी सपना है लेकिन जब तक देश के सभी हिस्सों में और खास तौर पर दूर दराज़ के इलाकों में लोगों के बीच डिजिटल इकाॅनमी को लेकर सही जानकारी नही पहुंचेगी तब तक ये सपना केवल सपना भर ही रहेगा।

 

अल्मोड़ा के डा. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में किया उत्तराखंड का नाम रोशन

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अमेरिका में हुई 76 वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता में अल्मोड़ा जिले के निवासी वैज्ञानिक-उद्यमी डॉ. शैलेश उप्रेती की कंपनी चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) ने 5 लाख डॉलर (करीब 34.2 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता है।

न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। शैलेश की कंपनी चार्ज सीसीसीवी, न्यूयार्क को यह पुरस्कार 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली बैटरी बनाने पर दिया गया है।

यह तकनीक अगली पीढ़ी के लिए ऐसी बैटरी तैयार करती है, जिससे सौर ऊर्जा को स्टोर करने के साथ ही बिजली से चलने वाली कारों, ट्रकों और बसों को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसी बैटरी के निर्माण के लिए न्यूयार्क और विश्व स्तर पर कई कंपनियों को इस तकनीक का लाइसेंस दिया गया है। कंपनी ने एक ऐसी तकनीक को पेटेंट कराया है, जो न केवल लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।

डॉ. शैलेश उप्रेती भारत में भी उन्नत लिथियम ऑयन बैटरी के निर्माण की योजना पर काम कर रहे हैं। स्वच्छ भारत के बाद अगला मकसद हरित भारत हो सकता है, जिसमें देश की बिजली और परिवहन आवश्यकताओं को हरित ऊर्जा के विकल्पों में बदला जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में बैटरी डीजल और पेट्रोल की जगह लेकर रहेंगे। 

डॉ. उप्रेती को पहाड़ से काफी लगाव है और उन्होंने बेड़ूपाको डॉट काम नाम से वेबसाइट भी बनाई है, जो उनके पहाड़ के प्रति प्रेम को दर्शाता है।