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विधानसभा चुनाव की अधिसूचना हो सकती 23 दिसंबर के बाद

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उत्तरारखंड में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो गई है। निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी का पूरा रोडमैप बना चुका है। अब प्रदेश में चुनाव की तारीख को लेकर कवायद चल रही है प्रदेश के सियासी गलियारों में अब इस बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि आखिर विधान सभा चुनाव के तारीख की घोषणा कब होगी। यानी प्रदेश में चुनाव आचार संहिता कब लागू होगी। निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि 23 दिसम्बर के बाद प्रदेश में कभी भी चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है।

राधा रतूड़ी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। प्रदेश अब चुनावी जंग के मुहाने पर पहुंचने जा रहा है। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि जिन दलों या निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमनी है। उनके पास अभी चुनावी रणनीति बनाने का करीब 20 दिन का वक्त है।

दरअसल 2012 के विधानसभी चुनाव की अधिसचूना 24 दिसम्बर को जारी हुई थी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी का भी कहना है कि चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। ऐसे में राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की धड़कनों का बढ़ना भी लाजिमी है।

फिलहाल प्रदेश के 10 हजार 854 पोलिंग बूथ पर मतदान होना है। इस बार चार विधानसभा क्षेत्रों में वीवी पैट मशीन का इस्तेमाल होगा। इससे मतदाता देख सकेंगे कि उन्होंने किस प्रत्याशी को अपना मत दिया है। वीवी पैट मशीन का इस्तेमाल दून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर के जिलों में की जायेगी।इस बार पार्टियां निर्वाचन आयोग से स्टार प्रचारकों, जनसभाओं और रैलियां के लिए ऑन लाइन परमिशन ले सकती है। वही मतदाता भी आयोग से ऑन लाइन अपनी शिकायतें को भी दर्ज करा सकते हैं।

फिलहाल जिस तरह से निर्वाचन आयोग की तैयारी चल रही है इससे साफ है कि प्रदेश अब चुनावी जंग के लिए तैयार हो चुका है। अब पूरे प्रदेश की नज़रे निर्वाचन आयोग पर टिंकी है कि आयोग प्रदेश में चौथे विधान सभा चुनाव की तारीख का कब ऐलान करता है।

 

दीवाली के एक महीने बाद पहाड़ो में मनाई जाती है “बुग्वाल” दीवाली

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जब सारी दुनिया क्रिसमस की तैयारियों में जुटी होती है,तब उत्तराखंड के जौनसार के पहाड़ों में और गढ़वाल के जौनपुर में, एक दिवाली मनाी जाती है। जी हां ये जानकार शायद आपको यकीन नही होगा लेकिन दिवाली के ठीक एक महीने बाद मनाई जाने वाी इस दिवाली को यहां के लोग इसे बुग्वाल, बग्वाली कहते हैं और बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

जौनपुर के कैम्प्टी गांव जिसमें तकरीबन एक हजार परिवार हैं उन 700 गांवों मे से है जो जौनसार और जौनपुर बेल्ट में फैला हुआ है। यहां के लोग इस दिवाली को मनाते हैं जिसें वहां की भाषा में बुग्वाल/बग्वाली कहतें हैं। यहां मनाये जाने वाला ये चार-पाँच दिन का उत्सव महिलाओं के दिल के बहुत करीब है और इसकी खास जगह है इनकी जिंदगी में, क्योंकि उनके लिए यह एक सलाना उत्सव होता है जिसमें वो पुरी ठाठ-बाट से हिस्सा लेती हैं। प्यारो देवी जो कि क्यारी गांव से है कहती हैं कि “इस त्योहार का हमारे दिल में खास स्थान है, हम सब अपने गांव-घर वापस आते हैं ताकि अपने परिवार के साथ थोड़ा समय बिता सके, हम गाने बजाने के साथ ऩृत्य भी करते हैं और लोगों से मिलते जुलते हैं। हम बेसब्री से बुग्वाल का इंतज़ार करते हैं।”

जबकि सारी महिलाएं उन सभी कामें में व्यस्त होती हैं जो उन्हें सबसे अच्छे से आता है, वो तरह तरह के पकवान बनाती हैं और उनको गांवों में बांटती हैं। खुले आसमान के नीचे आदमियों का जत्था कतार बना कर घर के बाहर खड़ा होकर ढोल बजाता है और साथ में गाता भी है।समय के साथ साथ सालों पुरानी इस परंपरा का प्रचलन भी बदल रहा है। पहाड़ों से हो रहा पलायन इसका एक बड़ा कारण है। गांव के बड़े-बूढों के लिए इस त्योहार के मायने बदल गए हैं, टिकाराम बदरी कहते हैं कि “यहां का युवा वर्ग पहाड़ों को छोड़कर आस-पास के शहरों में लुभावनी नौकरी के लिए बस गए हैं, जिसमें से बहुत तो त्योहारें में भी वापस नहीं आते” वो बताते हैं कि जब हम जवान थे यहां बहुत कुछ होता था जैसे कि पंडाल लगते थे, रोशनी होती थी लेकिन धीरे-धीरे हमारी परंपरा अपनी पहचान खो रही है।

 यह त्योहार लगभग 45 दिन तक चलता है। मान्यता ये है कि ये त्योहार योद्धा माधो सिंह भंडारी की वीरता के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, भंडारी वो योध्दा हैं जिन्होने गढ़वाल और तिब्बत की सीमाओं को सील किया था यही सीमा को आज की मैक मोहन लाइन के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन समय बदल रहा और बड़े-बूढ़ों को यह डर है कि कहीं उनका गांव भी इस परंपरा को भूल ना जाए।

मेलों पर पड़ी नोटबंदी की मार, जेब खाली स्टाॅल खाली

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मोदी सरकार की नोटबंदी से जहां लोगों को परेशानी और बैंकों और एटीएमों के बाहर लंबी लाइनें लगानी पड़ रही है वहीं अब इस नोटबंदी का असर मेलों में अपनी दुकाने लगाकर कमाई करने वाले दुकानदारों पर भी पड़ता दिख रहा है। देहरादून के परेड ग्राउंड में हर साल गांधी आश्रम खादी भवन का वार्षिक मेला लगता है जहां हस्त कला व उत्तराखण्ड के अलग-अलग जिलों के स्टाॅल लगाए जाते हैं। साल के अंत में लगने वाला यह मेला लोगों में आकर्षण का केंद्र होता है। इस मेले में अलग-अलग तरह जैसे की अचार, मसाला, सजावट का सामान,कपड़े,चप्पल जूते,चादर,कंबल,रजाई आदि के स्टाल्स लगाए जाते हैं। ये माला राज्य के अलग अलग जिलों और अन्य दूरदराज़ इलाकों के दुकानदारों के लिये कमाई का बेहतर मौका होता है। एक छत के नीचे ये लोग राजधानी के ग्राहकों को अपना सामान बेच पाते हैं। वहीं राजधानी में रह रहे लोगों के लिये भी सीधे पहाड़ के सभी इलाकों के सामान को खरीदने का ये सुनहरा मौका रहता है।

हर साल की तरह इस साल भी अलग-अलग शहरों से लोग अपना सामान लेकर आए लेकिन इस बार न तो पहले जैसी भीड़ है न पहले जितने ग्राहक। पूछने पर दुकानदार बताते हैं कि इस साल ने पिछले कई सालों का रिकाॅर्ड तोड़ दिया है। कपड़ों की दुकान लगाने वाले छोटू बताते हैं कि पहले दिन में ही ग्राहकों की भीड़ हो जाती थी अब थोड़े बहुत लोग शाम को आते हैं, जहां पहले दिन का 10-11 हजार रुपये का माल आराम से बिक जाता था अब 3-4 हजार भी मुश्किल से मिलता है।

इसी मेले में उत्तरकाशी के डूंडा (बीरपुर) के सुंदर सिंह अपनी दो बाई तीन की दुकान में आंखे लगाये ग्राहकों के इंतज़ार में बैठे हैं। सुंदर बताते हैं कि धुकान का किराया जो कि तीन हजार है उन्हें मेला शुरु होने से पहले देना पड़ता है। वो कहते हैं कि पिछले साल तक बहुत पब्लिक आती थी और अच्छा खासा सामान बिक जाता था लेकिन नोटबंदी की वजह से न तो पब्लिक आ रही न हमारी बिक्री हो रही। जो थोड़े बहुत ग्राक आ रहे हैं उनके पास भी खुले पैसे की दिक्कत हो रही है।साल में एक बार लगना वाले मेले में ये दुकानदार अच्छी कमाई कर लिये करते थे लेकिन इस बार खाली पड़े पंडाल और इनके माथे पर चिंत्ता की लकीरें ये साफ कर रही हैं कि आने वाला समय इनके लिये भी मुश्किलों भरा रहेगा।

केंद्र और राज्य सरकारें नोटबंदी के चलते सारी अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन फिर वही सवाल खड़ा होता है कि बिना लोगों को कैशलेस इकाॅनमी के बारे मे जागरूक करे ये जमीनी सच्चाई कब और कैसे बन सकेगा।

 

एक जनवरी से बिना आधार कार्ड राशन मिलने में होगी परेशानी

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नये साल के शुरू होते ही राज्य में पीडीएस सिस्टम से मिलने वालालराशन आधार कार्ड पर ही मिल सकेगा। शासन ने प्रदेश के सभी जिला पूर्ति अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दे दिए हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में पारदर्शिता लाने के लिए शासन ने यह कदम उठाया है। हालांकि, आपूर्ति विभाग पहले से ही नए राशन कार्ड बनवाते समय उपभोक्ताओं से आधार कार्ड मांगता रहा है। लेकिन, अब शासन ने आधार कार्ड को जरूरी कर दिया है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की ही बात करें तो यहां राशन कार्डधारक करीब पांच लाख परिवारों में डेढ़ लाख ऐसे हैं, जिनके मुखिया ने अब तक आधार जमा नहीं किया। ऐसे लोगों के लिए अब सिर्फ दिसंबर की ही रियायत है।

शासन से निर्देश मिलने के बाद जिला पूर्ति अधिकारियों ने आधार एकत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी है।

  • 31 मार्च तक शासन ने परिवार के मुखिया के साथ अन्य सदस्यों के भी आधार कार्ड जमा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए विभाग को मार्च 2017 तक का समय दिया गया है। ऐसा न करने पर भी उपभोक्ताओं को राशन से वंचित रहना पड़ेगा।
  • डीलर के जरिए आधार कार्ड जमा कराने से रह गए उपभोक्ता स्वयं जिला पूर्ति कार्यालय में इन्हें जमा करा सकते हैं।
  • जो लोग कार्यालय पहुंचने में अक्षम हैं, उनके लिए राशन डीलर के माध्यम से जमा कराने की भी व्यवस्था की गई है।

खाद्य उपायुक्त पीएस पांगती ने अनुसार सभी पूर्ति निरीक्षकों को मॉनीटरिंग के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं। परिवार के मुखिया 31 दिसंबर और अन्य सदस्य 31 मार्च तक आधार कार्ड जमा कराएंगे।

चुनावी मौसम में देहरादून को मिलेगा एक और फ्लाइओवर और स्टेडियम का तोह्फ़ा

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आखिरकार लंबे इंतज़ार के बाद आईएसबीटी फ्लाईओवर बनने के कगार पर पहुँच गया है। आगामी 11 दिसंबर से इस फ्लाईओवर पर वाहन दौड़ पाएंगे। फ्लाईओवर का लोकार्पण सीएम हरीश रावत करेंगे। इसके निर्माण में 50.39 करोड़ का खर्चा आया है। कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने बताया कि आईएसबीटी फ्लाईओवर का लोकार्पण 11 दिसंबर को किया जाएगा। ये दून का पहला फोर लेन फ्लाईओवर होगा और इसका काम लगभग पूरा हो गया है। बस साज सज्जा का काम चल रहा है। फ्लाईओवर बनने से आईएसबीटी के पास जाम की समस्या दूर हो जाएगी। दून से दिल्ली जाने वाले लोग बिना जाम के आवागमन कर सकेंगे।

रायपुर स्टेडियम का उद्घाटन भी इसी माह। इसी माह रायपुर स्टेडियम का उद्घाटन भी हो जाएगा। खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल ने बताया कि रायपुर स्टेडियम के लिए दिसंबर 15 व 18 तारीख तय की है। इन दोनों में से एक तारीख में सीएम हरीश रावत स्टेडियम का लोकार्पण करेंगे। उन्होंने बताया कि संभवत 20 दिसंबर पको हल्दनी स्टेडियम का भी लोकार्पण कर दिया जाएगा।

बल्लीवाला फ्लाईओवर से सबक लेते हुए लोनिवि ने आईएसबीटी के मामले में पूरी तैयारी के साथ लोकार्पण की तिथि तय की। आईएसबीटी फ्लाईओवर के लिए स्ट्रीट लाइन का कनेक्शन लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। लोकार्पण से पहले फ्लाईओवर में स्ट्रीट लाइटें जलती हुए मिलेगी। बल्लीवाला फ्लाईओवर में आज तक स्ट्रीट लाइट का कनेक्शन नहीं मिल पाया है। जिस कारण लाइटें बंद रहती है।

गौरतलब है कि देहरादून में पुलों के निर्माण को लेकर सरकार को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था। शहर में बन रहे सभी निर्माणाधीन पुलों के पूरा होने में कापी देरी हो चुकी है। ऐसे में इलाके के विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक को लोगों के गुस्से से कई बार रूबरू होना पड़ा। अब चुनाव सर पर हैं और इन निर्माण कार्यों को पूरा कर सरकार कितने वोटरों को अपनी तरफ कर पायेगी ये तो चुनाव के नतीजे ही बता पायेंगे।

भारत सरकार के कैबिनेट सचिव ने नोटबंदी पर जानकारी ली

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कैबिनेट सचिव भारत सरकार प्रदीप कुमार सिन्हा ने मुद्रा विमुद्रीकरण से संबंधित समीक्षा बैठक सभीसमस्त राज्यों के मुख्य सचिवों से विडियों कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से की गई।

 उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव ने बताया कि:

  • सभी जिलों के जिलाधिकारियों द्वारा जिला स्तरीय बैंकर्स समिति के माध्यम से 635 शिविर लगाकर 12,740 नये बैंक खाते खोले गये, ये खाते असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के खोले जा रहे है, ताकि किसी भी श्रमिक/मजदूर को कोई दिक्कत न आयेे।
  •  शिविर आयोजन का काम आगे भी चलता रहेगा, जब तक असंगठित क्षेत्र के शत-प्रतिशत श्रमिकों के खाते न खुल जायें। 
  •  उत्तराखण्ड में 2215 बैंक शाखाएं है, जिनमें से 1108 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्र, 670 अर्द्धसरकारी क्षेत्र तथा 437 शहरी क्षेत्र में स्थित है।
  • सभी बैंको को निर्देश दिये गये है, कि वे अपने बैंक में खुले खातों में यह सुनिश्चित कर लें, कि यदि किसी खाते के लिए ए.टी.एम.(ATM) कार्ड जारी न किया गया हो, तो तत्काल जारी करा दें। 
  • बैंको में नकदी लेने की कतारों को कम करने के लिए रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया से अनुरोध किया गया है, कि प्रदेश में शीघ्रातिशीघ्र नेशनल पेमेन्ट्स काॅरपोरेशन आॅॅफ इंडिया, निजी कम्पनियों, जो कि मोबाईल वाॅलेट के माध्यम से पैसे का लेन-देन हेतु विशेषज्ञ है, को बुलाकर बैंक व मोबाईल वैलेट कम्पनी के सहयोग से भारतीय उद्योग संघ उत्तराखण्ड, सी.आई.आई.ए. चैप्टर उत्तराखण्ड व्यापार संघ किराना मर्चेन्ट के साथ समन्वय कर कैशलेश ट्रांजिक्शन आर्किटैक्चर स्थापना में मदद कराये 
  • प्रदेश में 4000 सिटीजन सर्विस सेन्टर है, जिनके माध्यम से आगामी 10-15 दिन में जिला, विकास खण्ड स्तर में डिजीटल भुगतान व वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
  •  उन्होने बताया प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी इलाको में नेटवर्क की समस्या है, जिसके लिए 914 वी.सेट लगाने के आदेश दियेे गये हैं, जो बैंको द्वारा स्थापित किये जाने है, जिनमें से एस.बी.आई द्वारा 18 लगा दिये गये है।
  • प्रदेश में नगदी लेन-देन हेतु बिजनेस करसपोन्डेन्ट की सुविधा उपलब्ध है, जहां किसी भी बैंक के डेबिट कार्ड से नकदी मिल जाती है,

विडियो कांफ्रेन्सिंग में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, सचिव आई.टी. दीपक गैरोला ,क्षेत्रीय निदेशक आर.बी.आई. सुब्रत राय, डीजीएम एस.बी.आई. सुबीर कुमार मुखर्जी, ए.जी.एम रमेश पंत आदि उपस्थित थे। 

राज्य में खिलाड़ियों के लिये “स्काई इज़ द लिमिट”; छात्रों की खेल संसद में बोले मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि खेलों के प्रति हमें पुरानी धारणा में बदलाव लाना होगा। ‘‘पढ़ोगे लिखोगे के साथ ही खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब’’ की सोच लानी होगी। प्रदेश में खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले दो वर्षों में काफी कुछ किया गया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत शुक्रवार को आयोजित ‘खेल-छात्र संसद’ में छात्र-छात्राओं के सवालों के जवाब दे रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेलों में ‘स्काई इज द लिमिट’ है। हम शिक्षा के साथ ही खेलों के स्तर में भी सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में खेलों में बजट की राशि को बढ़ाया जाएगा। खेल संसद में दर्जनों स्कूलों के बच्चों ने अपने प्रश्न पूछने के साथ ही खेलों के विकास के लिए बहुत से सुझाव दिए। मुख्यमंत्री ने न केवल इन प्रश्नों व सुझावों को गौर से सुना बल्कि बहुत से सुझावों पर अमल के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित भी किया।
यह बताए जाने पर कि सरकार द्वारा आयोजित स्कूली खेलों में प्राईवेट स्कूलों की भागीदारी नहीं होती है, मुख्यमंत्री श्री रावत ने खेल विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि भविष्य में स्कूली खेल प्रतियोगिताओं में प्राईवेट स्कूलों व केंद्रीय विद्यालयों को भी शामिल किया जाए।
राज्य में खेल सुविधाएं विकसित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में दो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम लगभग तैयार किए जा चुके हैं, 6 राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बन चुके हैं। पौड़ी के रांसी में हाई एल्टीट्यूड स्टेडियम बनाया जा चुका है, एक ऐसा ही स्टेडियम पिथौरागढ़ में बनाया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाओं के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे पास 3890 खेल के मैदान हैं, जिनका उपयोग किया जा रहा है, वर्ष 2017 तक इनकी संख्या 5000 करने का प्रयास किया जाएगा।
फुटबाल व हाॅकी को प्रोत्साहित करने के लिए कहे जाने पर मुख्यमंत्री रावत ने फुटबाल प्रशिक्षकों की संख्या को बढ़ाने के निर्देश दिए।
देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कालेज के एक छात्र द्वारा स्विमिंग पूल की मांग किए जाने पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने इसकी स्वीकृति देते हुए टोकन मनी के तौर पर 5 लाख रूपए दिए जाने की भी घोषणा की।
खेलों में लड़कियों की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हल्द्वानी में गल्र्स स्पोर्ट्स कालेज कार्यरत हैं। हर जिले में एक गल्र्स हाॅस्टल स्थापित किया जाएगा। अगले वर्ष औली व मुन्स्यारी के लिए स्कूली बच्चों के ट्रेकिंग अभियान आयेाजित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो व्यक्ति, संस्थाएं राज्य में खेल सुविधाएं विकसित करने में आगे आते हैं उन्हें राज्य सरकार 50 लाख रूपए तक की सहायता देती है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओ में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का प्राविधान खेल नीति में किया गया है। परम्परागत खेलों को भी बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। निर्धन बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए योजना तैयार की जाएगी।
रावत ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि छात्र संसद में बच्चों द्वारा बहु स्तरीय प्रश्न पूछे गए और उम्दा सुझाव दिए गए। इनके अनुसार खेल नीति में परिवर्तन किए जाएंगे। कार्यक्रम में खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल, विधायक राजकुमार व खेल विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

स्वीटी अग्रवाल बनी देहरादून की एसएसपी, दात्ते गये पुलिस मुख्यालय

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गुरुवार को स्वीटी अग्रवाल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून का कार्यभार ग्रहण कर लिया। स्वीटी अग्रवाल वर्ष 2006 बैच की भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस) अधिकारी हैं। प्रारम्भिक शिक्षा सेंट मैरी कॉन्वेन्ट स्कूल इलाहाबाद से हुई, उसके पश्चात डी0पी0एस0 आर0के0पुरम दिल्ली से इण्टर के बाद आई0आई0टी0 रुड़की से उच्च शिक्षा।  साल 2006 में भारतीय पुलिस सेवा में चयन के पश्चात यह ए0एस0पी0 देहरादून, ए0एस0पी0 हरीद्वार, एस0पी0 ट्रैफिक देहरादून, एस0पी0 रुद्रप्रयाग, एस0एस0पी0 हरिद्वार, एस0एस0पी0 नैनीताल के चार्ज मे रहीं।

वहीं मौजूदा एसएसपी सदानंद दात्ते को पुलिस मुख्यालय में तैनात करा गया है।

नशे और भ्रष्टाचार के खिलाफ पेंटिंग प्रतियोगिताओं में स्कालर्स होम और आर्मी पब्लिक स्कूल (बीरपुर) रहे संयुक्त विजेता

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देहरादून में 11 दिसंबर को होने वाली हाफ मैराथन “रन अगेंस्ट ड्रग्स, रन अगेंस्ट करप्शन” से पहले गुरूवार को पुलिस लाइन में स्लोगन राइटिंग और पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता रखी गई। इसमें स्कालर्स होम और आर्मी पब्लिक स्कूल (बीरपुर) संयुक्त विजेता रहे।  प्रतियोगिता में शहर के प्रतिष्ठित 80 स्कूलों के करीब 1500 छात्रों ने हिस्सा लिया। स्लोगन और पेंटिंग में अपनी कल्पना के आधार पर बच्चों ने अपनी प्रतिभा दिखाई। संत कबीर एकेडमी तीसरे स्थान पर रहा जबकि के.वि. अपरकैंप ने चौथा स्थान हासिल किया। पांचवें स्थाने पर एस.जी.आर.आर.आई.टी.एस ने अपना कब्जा किया।

अभी तक सात हज़ार से अधिक लोगों ने मैराथन का रजिस्ट्रेशन करा है। प्रतियोगिता की मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक की पत्नी संध्या गणपति ने प्रतियोगिता के जज की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि दून के छात्रों में बहुत टैलेंट है और उत्तराखंड पुलिस ने स्कूली छात्रों को अपना टैलेंट दिखाने के लिये एक बेहतर मंच दिया है। उन्होंने सभी छात्रों से अपील की है कि वो 11 दिसंबर को होने वाली मैराथन दौड़ में हिस्सा लें और अपनी शारीरिक स्वस्थता का परिचय दें। उत्तराखंड स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड के सचिव एडीजी अशोक कुमार ने बताया कि विजेताओं को 11 दिसंबर को मुख्मंत्री हरीश रावत पुरस्कार देकर सम्मानित करेंगे। इस मौके पर संजय गुंज्याल आई0जी0 गढ़वाल रेंज,डा.अलकनंदा, एसएसपी डा.सदानंद दाते, जया बलूनी, तृप्ति भट्ट, मनीषा नेगी आदि मौजूद रहे।

जनवरी तक खुले में शौच से मुक्त हो जायेगा उत्तराखंड: हरीश रावत

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आगामी 26 जनवरी तक पूरे उत्तराखण्ड को खुले में शौच से मुक्त करा लिया जाएगा। प्रसार प्रशिक्षण केंद्र शंकरपुर में स्वजल पाठशाला भवन का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि स्वच्छता के क्षेत्र में बड़ी यात्रा तय की गई है। राज्य के 4331 गांव, 48 ब्लाक व 5 जिले ओपन डीफीकेशन फ्री (ओडीएफ) हो चुके हैं। उन्होंने इसके लिए मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी, संबंधित अधिकारियों, कार्मिकों, जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 दिसम्बर को ओडीएफ अभियान में सराहनीय काम करने वालों का सम्मान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे प्रदेश को ओडीएफ बनाना एक बड़ा मिशन है जो कि सभी के सहयोग से ही सम्भव है। 

मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने कहा कि ओडीएफ में उत्तराखण्ड चौथे स्थान पर है और पूरा विश्वास है कि 26 जनवरी तक पूरे प्रदेश को ओडीएफ कर लिया जाएगा।

स्वजल पाठशाला का उद्देश्य पेयजल व स्वच्छता सुविधाओं के दीर्घकालिक स्थायित्व को बनाए रखने के लिए कार्यदायी संस्थाओं से जुड़े कार्मिकों व त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों का क्षमता विकास है।