डीपीआर के लिए बजट की राह खुली

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देहरादून। नमामि गंगे के तहत वर्ष 2014 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती के निर्देश पर करीब 2200 करोड़ रुपये की जो डीपीआर वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) ने तैयार की थी, उसकी बजट की राह अब खुल गई है। देहरादून स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आइजीएनएफए) पहुंचे केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि वह इस राशि को जारी कराकर परियोजना को आगे बढ़ाएंगे। दरअसल, उमा भारती से जल संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी हट जाने के बाद मंत्रालय ने डीपीआर से किनारा कर लिया था और एफआरआइ के केंद्रीय वन मंत्रालय के अधीन होने पर यह डीपीआर इस मंत्रालय के गले आ पड़ी थी।

इस संबंध में शनिवार को केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि डीपीआर को लेकर वह अधिकारियों के साथ कई बार गंभीर मंथन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह भी जब वह एफआरआइ परिसर में मॉर्निंग वॉक कर रहे थे तो महानिदेशक वन के साथ इसी डीपीआर को लेकर चर्चा की गई। गंगा स्वच्छता व संरक्षण की दिशा में यह डीपीआर अभूतपूर्व भागीदारी निभा सकती है, लिहाजा वन मंत्रालय इसे व्यर्थ नहीं जाने देगा। जल्द ही डीपीआर पर काम शुरू करने के लिए बजट जारी किया जाएगा। डीपीआर में उत्तराखंड समेत, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल में गंगा किनारे वनीकरण व गंगा स्वच्छता की दिशा में तमाम अन्य कार्य किए जाने का ब्योरा है।

42 हजार करोड़ जारी करने की राह जनवरी तक खुलेगी
कैंपा में वनीकरण के करीब 42 हजार करोड़ की राशि के दिसंबर माह के अंत या जनवरी माह तक जारी किए जाने की पूरी उम्मीद है। देश के वन महानिदेशक वन सिद्धांत दास के मुताबिक यह मामला अभी वित्त मंत्रालय के पास है और उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में सारी औपचारिकताएं पूरी कर दी जाएंगी। इस राशि में से उत्तराखंड के हिस्से करीब 1500 करोड़ रुपये आएंगे।