बिल्डरों का रजिस्ट्रेशन नहीं, शिकायतें शुरू

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बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए लागू किए गए रियल एस्टेट (रेगुलेशन एण्ड डेवलपमेंट) एक्ट यानी रेडा को लेकर बिल्डर गंभीर नजर नहीं आ रहे। 1 मई 2017 से एक्ट के प्रभावी हो जाने के बाद भी अब तक किसी भी बिल्डर ने रियल एस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी में अपना पंजीकरण नहीं कराया है जबकि, पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 जुलाई है।

ऐसा नहीं है कि देहरादून में बिल्डरों की मनमानी की शिकायतें नहीं हैं, बल्कि यहां सबसे अधिक मामले फ्लैट अलॉटमेंट को लेकर सामने आते हैं। रेडा की रेगुलेटरी अथॉरिटी उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के अधीक्षण अभियंता एनएस रावत के मुताबिक अभी तक किसी भी बिल्डर ने पंजीकरण भले ही न कराया हो, लेकिन इनके खिलाफ तीन शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। तीनों शिकायत फ्लैट का कब्जा देने में विलंब संबंधी हैं, इन पर 31 जुलाई के बाद कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। उम्मीद है कि इस बीच बड़ी संख्या में बिल्डर अपना पंजीकरण भी करा देंगे।

पंजीकरण में बिल्डरों के रुचि न लेने को देखते हुए उडा ने एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) समेत राज्य के अन्य तीन विकास प्राधिकरणों से उनके यहां कार्य कर रहे बिल्डरों की सूची तलब की है। ताकि पंजीकरण न कराने वाले बिल्डरों पर नियमानुसार कार्रवाई की जा सके, हालांकि अभी तक प्राधिकरणों से सूची प्राप्त नहीं हो पाई है।

रेडा के प्रमुख प्रावधान

  • 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से अधिक व आठ अपार्टमेंट से अधिक वाले प्रोजेक्ट दायरे में।
  • एक मई 2017 तक परियोजनाओं का कार्यपूर्ति प्रमाण पत्र न ले सकने वाले प्रोजेक्ट आएंगे दायरे में।
  • ग्राहकों से ली गई 70 फीसदी राशि अलग खाते में रखने व उसका प्रयोग सिर्फ निर्माण कार्य में किया जाएगा
  • परियोजना संबंधी जानकारी जैसे-प्रोजेक्ट ले-आउय, स्वीकृति, प्रोजेक्ट समाप्त करने की अवधि आदि की जानकारी निवेशकों को देना।
  • पूर्व सूचित समय के भीतर निर्माण पूरा न करने पर बिल्डर का निवेशकों को ब्याज समेत भुगतान का प्रावधान। ब्याज की दर वही होगी, जिस पर बिल्डर ग्राहकों की चूक पर उनसे वसूली करते हैं।
  • रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के आदेश की अव्हेलना पर बिल्डर को तीन वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान।
  • रियल एस्टेट एजेंट या ग्राहक के लिए एक वर्ष की सजा का प्रावधान।