देहरादून। अवैध निर्माण पर 18 जून 1993 को काटे गए चालान के बाद संबंधित निर्माण का क्या हश्र हुआ। उसका सच 24 साल बाद सामने आया। मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने एमडीडीए अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह अवैध निर्माण पर काटे गए चालान के परिणाम से अवगत कराएं। यह बिंदु सूचना मांगने वाले व्यक्ति के आवेदन में भी शामिल नहीं था और उन्होंने सुनवाई के दौरान इसकी जिज्ञासाभर व्यक्त की थी, जिसे आयोग ने जनहित में स्वीकार कर लिया।
नेशविला रोड निवासी सुरेशानंद शर्मा ने एक भवन निर्माण के संबंध में एमडीडीए से सूचना मांगी थी कि संबंधित निर्माण स्वीकृत मानचित्र के अनुरुप किया गया है या नहीं। पहले तो एमडीडीए अधिकारियों ने यह कहकर बात को टाल दिया कि संबंधित पत्रावली मिल नहीं पा रही है, लेकिन जब मामला सूचना आयोग पहुंचा तो गुम पत्रावली भी खोज निकाली गई। आयोग को बताया गया कि स्वीकृति नक्शे से इतर निर्माण होने पर उसका चालान काटा गया था और चालान काटने वाले कार्मिकों का नाम भी बता दिया गया। इस तरह मांगी गई सभी सूचनाएं उपलब्ध करा दी गईं। हालांकि मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह के समक्ष की गई इस सुनवाई में अपीलार्थी ने यह जिज्ञासा व्यक्त की थी कि काटे गए चालान की परिणीति क्या रही होगी। मुख्य सूचना आयुक्त ने पाया कि यह बिंदु आरटीआई के आवेदन में दर्ज नहीं था, लेकिन अवैध निर्माण के खिलाफ वाजिब कार्रवाई की मंशा को देखते हुए उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया। उन्होंने एमडीडीए अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अवैध निर्माण पर की गई कार्रवाई से भी अपीलार्थी को अवगत कराएं। ताकि यह पता चल सके कि अवैध निर्माण पर प्राधिकरण के स्तर पर क्या कार्रवाई की गई है।