सितारगंज में पांच हजार करोड़ के चीनी निवेश में रोड़ा

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(रुद्रपुर/ऊधमसिंहनगर)  डोकलाम विवाद के कारण जनपद में होने वाला पांच हजार करोड़ का चीनी निवेश अटक गया है। इस मामले में गृह मंत्रालय ने आपत्ति लगाई है। अब यह निवेश खतरे में फंसता दिख रहा है।
बीते दिनों से भारत व चीन के बीच जारी डोकलाम तनाव भले ही अब समाप्त हो गया हो, लेकिन इसका असर उत्तराखंड में चीनी निवेश पर जरूर पड़ा है। डोकलाम विवाद से पूर्व चीन की नामचीन टैक्सटाइल कंपनियों ने ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज सिडकुल फेज-टू में टैक्सटाइल हब बनाने के लिए पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश पर सहमति जताई थी, लेकिन अब इस पर गृह मंत्रालय ने आपत्ति लगा दी है। सितारगंज सिड़कुल फेज-टू को विकसित करने के प्रयास में जुटी प्रदेश सरकार को बीते जून माह में बड़ी सफलता हाथ लगी थी। चीन की लगभग एक दर्जन नामचीन टैक्सटाइल व अन्य क्षेत्रों जुड़ी कंपनियों शंघाई फ्यूमैन होटल ग्रुप, शंघाई तिआन हुई इंवेस्टमेंट कंपनी, शंघाई लूआंग बिजनेस इंवेस्टमेंट एसोसिएशन, शंघाई लटिंग लावर फर्म, शंघाई हुकांग वाइन कंपनी, शंघाई ङ्क्षजतोनगी इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी आदि के अधिकारियों ने उत्तराखंड में विकसित किए जा रहे औद्योगिक आस्थानों का भ्रमण किया था। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मिलकर प्रतिनिधिमंडल ने सिडकुल सितारगंज फेज-टू में तकरीबन 250 एकड़ क्षेत्र में टैक्सटाइल हब विकसित करने पर सहमति जताई थी। इन कंपनियों ने प्रदेश सरकार को सितारगंज में टैक्सटाइल क्षेत्र में लगभग पांच हजार करोड़ के निवेश व दस हजार से अधिक लोगों को रोजगार की बात कही थी। इस बीच भारत व चीन में डोकलाम क्षेत्र में सीमा विवाद गहरा जाने के बाद यह मामला गृह मंत्रालय की अनुमति के लिए हस्तांतरित हो गया, जिस पर गृह मंत्रालय ने अभी सहमति नहीं दी है। राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडकुल) के महाप्रबंधक एसएल सेमवाल ने बताया कि भारत-चीन के बीच सीमा विवाद के बाद गृह मंत्रालय की आपत्ति के चलते चीनी कंपनियों से सहमति के आगे बढ़ाने की पहल नहीं की गई। चीन की कंपनियां आज भी सितारगंज में उद्योग लगाने को तैयार हैं। गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ही इस दिशा में फिर प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सितारगंज में टैक्सटाइल हब बनाने की योजना को आने वाले ग्रुप की ही एक चाइनीज टैक्सटाइल कंपनी यो-यो-गो ने यहां 20 एकड़ में अपनी इकाई लगा दी है। यहां अगले कुछ माह में ही कंबल बनाने का काम शुरू कर देगी। कंपनी ने यहां 335 करोड़ का निवेश किया है। कंपनी का दो हजार लोगों को रोजगार देने का दावा है।