तीर्थनगरी में चाइनीज राखियों का हो रहा विरोध

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रक्षाबंधन पर्व की तैयारियों को लेकर हरिद्वार एवं ज्वालापुर के विभिन्न बाजारों में तरह-तरह की फैन्सी राखियां सजने का क्रम जारी है। बड़ी संख्या में दुकानों पर राखी की जमकर खरीदारी भी हो रही है। चाइनीज राखियों की बिक्री बाजारों में कम ही हो रही है। स्थानीय लोग परम्परागत राखियों को खरीदना अधिक पसन्द करते हैं। बच्चों की पसन्दीदा डोरीमोन, छोटा भीम, मोटू पतलू, स्पाइडमैन, जैसी राखियां दुकानों पर सजी हुई हैं। जबकि चाइनीज राखियों की बिक्री बाजारों में कम हो रही है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में अपनी भागीदारी निभाता चला आ रहा है। ऐसे में हमें भी चाइनीज उत्पाद का विरोध करना चाहिए। चाइनीज राखियों को कतई भी नहीं खरीदना चाहिए। व्यापारी विपिन गुप्ता का कहना है कि बाजारों में भारतीय परम्पराओं की राखियों का विशेष महत्व होता है। भगवान की प्रतिमाओं वाली राखियां काफी प्रचलित हैं। चंदनवाली राखियों की भी बिक्री रक्षाबंधन पर्व के दौरान होती है। विपिन गुप्ता ने कहा कि बाजार में अधिकांश भारत में निर्मित राखियों की बिक्री ज्यादा है। चाइनीज राखियों की बिक्री इस बार बाजार में आंशिक रूप से ही हो रही है।

रक्षा बंधन पर्व के लिए बहनें अपने भाइयों की कलाई पर तरह-तरह की राखियां बांधती है। बहनें विशेष तैयारियों में जुटी हुई है। बाजारों में जगह-जगह राखियां सज चुकी है। बाजारों में खरीदारी भी प्रारंभ हो चुकी है। वह बहनें भी राखियां खरीद रही हैं, जिनके भाई काफी दूर दराज के क्षेत्रों में रहते हैं साथ ही अन्य राज्यों मेें निवास करते हैं। जिनको बहनें डाक, कोरियर के माध्यम से राखियों को भेजकर अपना स्नेह प्रेम बहनें दिखाती हैं। फेसबुक इंटरनेट, व्हाट्अप, टयूटर आदि के माध्यम से रक्षा बंधन पर्व की बधाइयों का क्रम जारी है। आस्था की नगरी हरिद्वार में बाजार सजे हुए हैं, जहां-तहां देखों दुकानों पर विभिन्न प्रकार की राखियां सजी हुई हैं। बड़ी संख्या बहने अपने भाइयों की कलाई पर बांधने के लिए राखियों की खरीदारी कर रही है।