(उधमसिंह नगर) बारावपात के मौके पर राजनैतिक पारा चढ़ते ही एक बड़ी अनहोनी को किसी तरह से टाल दिया गया, चिंगारी भड़की जरुर मगर पुलिस ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ इस चिंगारी को बुझाया। इस चिंगारी की जलने के पीछे पुलिस की अपनी खुफिया एजेन्सी की भी बड़ी लापरवाही देखी गयी। जी हां शनिवार को रुद्रपुर में सियासी चक्रव्यूह का कुछ लोगों ने ऐसा ताना बाना बुनने का प्रयास किया कि अगर पुलिस ने हल्की भी चूक कर दी होती तो शहर की फिजां में एक बार फिर जहर घुल जाता।
रुद्रपुर दंगों की याद अभी सभी के जहन में ताजा है, वहीं फिर से इस फिजा बिगाड़ने वालों ने पुरी कोशिश की थी, लेकिन किसी तरह से इस विवाद को थामा गया। पीस कमेटी की मीटिंग में स्पष्ट आदेशों के बावजूद एक वर्ग विशेष के कुछ लोगों ने पुरानी परंपराओं से हटकर नई परंपरा डालने की कोशिश की। इसकी भनक जब दूसरे वर्ग के लोगों को हुई तो वहां सैकड़ों लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। शहर विधायक से इसकी शिकायत की गई। शहर विधायक ने सभी को मौके से हटाकर कोतवाली में बुलवा लिया। हिंदूवादी संगठन के लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। आक्रोशित लोगों ने बताया कि पिछली बार छह गेट बनवाए गए थे जबकि इस बार सातवां गेट बना दिया गया है। अवैध रूप से बने सातवें गेट को तुरंत हटाने और गेट का निर्माण करने वाले कुछ शरारती तत्वों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की जाने लगी। अगर पुलिस इस बात को मानती तो निश्चित ही बड़ी घटना के आसार प्रबल हो जाते चूंकि वाराबफात पर वहां सैकड़ों की तादात में वर्ग विशेष के लोग एकत्र थे वहां खासा बखेड़ा खड़ा हो सकता था। सांप्रदायिक फिजां बिगड़ सकती थी। लिहाजा पुलिस ने विधायक का गुस्सा और उनकी खरी खरी को हंस कर टाल दिया और मौके पर गेट न हटाकर किसी भी तरह का विवाद होने से बचा लिया।