नवजात बेटी के साथ सेल्फी लाओ और सरकारी फायदे पाओ

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राज्य में बाल लिंग अनुपात की संख्या में सुधार करने के लिए, उत्तराखंड सरकार ने नवजात शिशु लड़की के माता-पिता को ईनाम देने का फैसला किया है,जो अपनी पैदा हुई बेटी के साथ सेल्फी लेकर उसे जमा करेगा। 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड में लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों में 890 महिलाओं की है।

नवजात बेटियों के माता-पिता एक टोल फ्री नंबर पर फोन कर सकते हैं जो महिला और बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य की तरफ से एक बधाई संदेश देगी। 24 घंटे के भीतर, स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल कल्याण विभाग की एक टीम परिवार तक पहुंच जाएगी, यह टीम माता पिता द्वारा खींची गई सेल्फी जिले के नोडल अधिकारी के पास जमा करेगी।

इसके बाद नवजात बेटी के माता पिता को जो उपहार मिलेगा उसका नाम होगा ‘वैष्णवी किट’।वैष्णवी किट में वैष्णवी कार्ड शामिल होगा जो नवजात शिशु के लिए एक विशेष स्वास्थ्य बीमा कार्ड है, कार्ड के लाभार्थियों को राज्य सरकार के किसी भी पैनल में अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सकता है।

महिला एवं बाल कल्याण विभाग की मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि, “किट में बच्चे के लिए अन्य सामान भी होंगे जैसे कपड़े और टॉयलेटरीज़, यह कदम माता-पिता को बताना है कि उन्होंने श्रृष्टि के निर्माता को जन्म दिया है इसलिए विभाग उन्हें एक छोटे से धन्यवाद स्वरुप टोकन दे रहा है।” यह पहल राज्य में लड़की के जन्म के आंकड़ों को बराबर लाने में भी मदद करेगी।स्वास्थ्य विभाग द्वारा लड़कियों के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र में चलने वाली योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी जाएगी।इसके अलावा एक टीकाकरण कार्ड जिसमें बताया जाएगा कि किस उम्र में कौन से टीका लगवाना आवश्यक है, यह भी सूचना दी जाएगी।

वहीं महिला एंव बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने टीम न्यूज़पोस्ट से बातचीत में कहा कि, ”यह शुरुआत समाज में बसी मानसिकता को बदलने के लिए हैं जिसमें मां-बाप बेटी को बोझ समझते हैं।हालांकि उन्होंने माना की समाज में भ्रूण हत्या पर रोक लगाना ज्यादा बड़ी चुनौती है लेकिन सरकार और विभाग उसपर भी काम कर रहे हैं”।

आपको बतादेंकि वैष्णवी किट जैसी पहल कहीं ना कहीं समाज में फैसी सोच को कम करने में मदद करेगा। लेकिन उससे भी बड़ी चुनौती है भ्रूण हत्या को रोकना जिसके लिए ना केवल महिला एंव बाल विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को जागरुक होने की जरुरत है बल्कि सभी विभागों को इसपर सोचने और काम करने की जरुरत हैं।