बैठकों में बिना तैयारी के पहुंचे अधिकारियों पर बरसे मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के बीच परिसम्पत्तियों के बंटवारे के मामलों की समीक्षा की।बैठक में कुछ विभागों के अधिकारियों द्वारा बिना तैयारी के आने पर सीएण नाराज हुए और अधिकारियों को अपने काम करने का तरीका सुधारने की वाॅर्निंग दी। उन्होंने कहा कि अगली बार ऐसी लापरवाही पर सीधे निलंबन की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि अगले 15 दिनों के अंदर सभी विभागों के मामलों की पड़ताल कर ली जाये। मुख्यमंत्री खुद 15 दिन बाद सभी मसलों पर फिर से समीक्षा करेंगे।इससे पहले मदन कौशिक भी परिसम्पत्तियों के लम्बित मामलों की समीक्षा करेंगे। 

गौरतलब है लकि राज्य बनने के बाद से ही उत्तर प्रदेस औऱ उत्तराखंड के बीच संपत्तियों और खर्चों के बंटवारे को लेकर मतभेद चले आ रहे हैं। इनमें मुख्य हैं

  • सिंचाई विभाग के कुल 1313 आवासीय इमारतों का मामला। उत्तराखण्ड ने इनमे से 1013 इमारतों की माग की है जबकि उत्तर प्रदेश ने अबतक मात्र 278 इमारतों पर ही हामी भरी है।
  • हरिद्वार में सिंचाई विभाग के अधीन कुम्भ क्षेत्र सहित प्रदेश में कुल 4230 हेक्टेयर भूमि पर सहमति बनायी जानी है। 
  • ऊर्जा विभाग ने मनेरी भाली हाईड्रो प्लांट के लिये एलआईसी से लिये 353 करोड़ के लोन की भुगतान का जिम्मा भी उत्तर प्रदेश पर डाला है।

इनके अलावा बैठक में परिवहन, आवास, सहकारिता, गन्ना-चीनी, पेयजल एवं स्वच्छता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, पशुपालन, सूचना एवं लोक सम्पर्क, पर्यटन विभाग के अधीन होटल अलकनंदा, रेशम, गृह, प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा, वन, ग्राम्य विकास, माध्यमिक शिक्षा, औद्योगिक विकास विभागों की परिसम्पत्तियों के लम्बित प्रकरणों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। सभी विभागों को उत्तर प्रदेश द्वारा उठाये गये तथ्यों के सापेक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखने के निर्देश दिये गये।

मुख्यमंत्री लगातार सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने काम करने क ेतरीकों में बदलाव और तेज़ी लाने की बात करते रहे हैं। अब देखना ये होगा कि मुख्यमंत्री के कड़े तेवरों का इन सुस्त अधिकारियों पर कोई असर पड़ता है या नहीं।