मुख्यमंत्री आवास के तिलस्म को नहीं तोड़ पाये हरीश रावत

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कहते हैं कि उगते सूरज को सब सलाम करते हैं। ये बात राजनीति में सौ फीसदी फिट बैठती है। राज्य में चुनावों में मिली करारी हार के बाद कुछ दिन पहले तक लोगों और समर्थकों की बीड़ से गुलज़ार रहने वाले मुख्यमंत्री हरीश रावत का सरकारी आवास बीजपुर गेस्ट हाउस आज लोगों को तरस रहा है। चुनावी हार के बाद15 मार्च को रावत ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था। नी सरकार के गठन तक राज्सोयपाल ने उनसे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा। शुक्रवार को हरीश रावत का बतौर मुख्यमंत्री आधिकारिक तौर पर आकिरी दिन होगा। शनिवार को प्रचंड बहुमत से राज्य में जीती बीजेपी की नई सरकार के मुख्यमंत्री शपथ लेंगे। बीजापुर गेस्ट हाउस में रह रहे हरीश रावत का यहां से जाने के बारे में अभी किसी को नहीं पता है। उनके पीआरओ से लेकर सुरक्षा अधिकारी तक को इस बारे में कुछ नही पता ।

गौरतलब है कि जब विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था तब रावत ने आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास में रहने से मना कर दिया था। इसके पीछे रावत ने तर्क दिया था कि राज्य में आपदा से विस्थापित हुए सबी लोग अपने घरों में नहीं जाते तब तक वो भी अपने आधिकारिक घर में नहीं जायेंगे। हांलाकि राजनीतिक गलियारों में रावत के इस कदम को ाधिकारिक मुख्यमंत्री आवास से जुड़े अंधविश्वास से भी जोड़ कर देखा गया। कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री देहरादून कैंट में स्थित मुख्यमंत्री आवास में रहने गया है उसने अपना कार्यकाल पूरा नही किया है। चाहे वो भुवन चंद्र खंडूरी हो, रमेश पोखरियाल निशंक या विजय बहुगुणा। और इसी के चलते हरीश रावत ने भी उस घर में न रहने का फैसला किया। लेकिन ऐसा लगता है कि रावत का पीछा मुख्यमंत्री आवास के तिलस्म ने नहीं छोड़ा। न केवल चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा बल्कि खुद हरीस रावत को अपनी दोनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। इतना ही नहीं ये हार हरीश रावत के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी हार और चुनौती के रूप में निकल कर आई है।

हरीश रावत ने गल्जवाड़ी में किराए का एक मकान तलाश लिया है। बीजापुर गेस्ट हाउस से उन्होंने अपना सामान शिफ्ट कराना भी शुरू दिया है। गौरतलब है कि सरकार जाने के बाद सभी मंत्रियों और सीएम को 15 दिन में आवास खाली करने होते हैं। 11 मार्च को नतीजों के बाद सरकार को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ हो गई है। अब 26 मार्च तक मंत्रियों व सीएम को आवास खाली करने हैं। रावत का आशियाना सीएम रहते हुए बीजापुर गेस्ट हाउस ही रहा। उन्होंने गेस्ट हाउस खाली करना शुरू कर दिया है। राजधानी में उन्होंने अपना नया ठिकाना गल्जवाड़ी में तलाशा है। यहां किराए के मकान को लेकर बात पक्की हो चुकी है। जल्द शिफ्टिंग शुरू होगी। फिलहाल उन्होंने बीजापुर गेस्ट हाउस से कुछ सामान अपने किसी नजदीकी के आवास पर शिफ्ट कराया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के लिए आवास की व्यवस्था नहीं है।

राजनीति अनिश्चिताओं का खेल है और ऐसे में हरीश रावत को पूरी तरह खारिज कर देना ठीक नही होगा। लेकिन फिलहाल रावत और कांग्रेस के लिये उत्तराखंड में बहुत कुछ करने को रह नही गया है। अब देखना ये होगा कि रावत देहरादून छोड़ कर अपने घर हल्द्वानी जाएंगे या फिर दिल्ली में अपने राजनितिक सफर को आगे बढ़ाएंगे।