उत्तराखंड राज्य में मार्च में भारतीय जनता पार्टी सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य के सीएम को एक और बड़ा झटका मिला है। भारतीय चुनाव आयोग ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्स डिपार्टमेंट से कहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा उनके चुनाव हलफनामे में घोषित अचल संपत्तियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाए।
प्रदेश के पूर्व भाजपा नेता और गढवाल मंडल विकास निगम के पूर्व वाइस चेयरमैन रघुनाथ नेगी ने 30 अक्टूबर 2017 को चुनाव आयोग को एक शिकायती पत्र भेजा था। इस शिकायती पत्र में नेगी ने आरोप लगाया था कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव 2017, 2014 (उप चुनाव) और 2012 के दौरान नामांकन करते समय जो हलफनामा पेश किया उसमें सम्पत्ति और उम्र को लेकर गलत जानकारी दी गयी है । नेगी की शिकायत के अनुसार मुख्यमंत्री ने हलफनामे में आवासीय भूखंडों का जिक्र किया है, जिसकी कीमत करीब 9,56,000 रुपये दखाई गयी है। नेगी के अनुसार यह जनाकारी गलत है क्योंकि संबंधित भूखंड दिखाई गयी कीमत से कई गुणा अधिक की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपनी उम्र 54 साल दिखायी है जो गलत है। इस तरह नेगी के शिकायतीपत्र में सीएम पर आयोग और प्रदेश की जनता से सच्चाई छिपाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की गयी थी।
चुनाव आयोग ने इस पत्र का संज्ञान लिया है और सीएम की संबंधित सम्पत्ति के पुनर्मूल्यांकन का निर्णय लिया है ।इसके लिये केन्द्रीय चुनाव आयोग में अंडर सेक्रेट्री संतोष कुमार की ओर से केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को पत्र लिखा गया है और जांच के लिये कहा गया है। बता दें कि चुनाव आयोग के शपथपत्र में गलत सूचना देने पर इसे जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 125ए का उल्लंघन समझा जाता है। इसके लिए छह माह की कैद और अर्थदंड का प्रावधान है।
दूसरी तरफ, सीएम के मींडिया कोऑर्डनिटेर दर्शन सिंह रावत का कहना है कि ”अगर किसी ने सीएम के खिलाफ नोटिस दायर किया है तो उसपर आयोग अपना काम करेगा।रही बात आरोपों की तो सीएम आज से चुनाव नहीं लड़ रहे और वह हर साल अपना लिखित हलफनामा देते हैं, रही बात गलत सूचना देने की यह तो वक्त ही बताएगा।रावत ने कहा कि, “सीएम ने अपने हलफनामा में किसी तरह की कोई भी जानकारी गलत नहीं दी गई है और उनपर लगाये गये सभी आरोप निराधार है।”