आयोग ने लिया मसूरी वॉल्वो न चढ़ पाने का संज्ञान

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देहरादून, मानवाधिकार आयोग ने 15.63 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च किए जाने के बाद भी वॉल्वो बसों के मसूरी न चढ़ पाने का मामला संज्ञान लिया है। आयोग ने इसको लेकर प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया तो आयोग को गोलमोल जवाब थमा दिया गया। आयोग अध्यक्ष जगदीश भल्ला व सदस्य डॉ. हेमलता ढौंडियाल की खंडपीठ ने जवाब को खारिज करते हुए अब मुख्य अभियंता को मूल पत्रावलियों के साथ व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष पेश होने को कहा है। मामले में सुनवाई की अगली तिथि चार नवंबर तय की गई।

मसूरी रोड के अंधे मोड़ों व हेयर क्लिप बैंड को दुरुस्त करने के नाम पर जो 15.63 करोड़ रुपये खर्च किए, उसके बाद भी वॉल्वो बसें मसूरी नहीं चढ़ पा रही हैं। जबकि अब अधिकारियों ने वॉल्वो को मसूरी चढ़ाने के लिए 44.72 करोड़ रुपये का नया इस्टीमेट तैयार किया है।

वहीं, जब लोनिवि ने उत्तराखंड परिवहन निगम अधिकारियों की मौजूदगी में वॉल्वों बसों का ट्रायल के रूप में संचालन कराया तो पता चला कि मार्ग अभी भी वॉल्वो बसों के लिए उपयुक्त नहीं है। पता चला कि 34 और स्थलों पर चौड़ीकरण की जरूरत है। आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए लोनिवि प्रांतीय खंड से जवाब मांगा था और खंड के अधिशासी अभियंता ने जवाब दिया कि मसूरी रोड पर कार्य करने से पहले वाहनों की औसत स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे थी, जबकि अब 40 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है। इस तरह उन्होंने यह भी बताने का प्रयास किया कि मोड़ों को दुरुस्त करने में अब तक खर्च की गई राशि निरर्थक साबित नहीं हुई। आयोग ने इसी जवाब को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि, अधिकारी वास्तविक स्थिति पर पर्दा डाल रहे हैं, देखने वाली बात यह है कि चार नवंबर को होने वाली व्यक्तिगत सुनवाई में लोनिवि के मुख्य अभियंता क्या जवाब दाखिल करते हैं।