रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए विशेषज्ञ और इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों की एक समिति बनाई जाएगी। अगले 10 दिनों में इको टास्क फोर्स एफआरआई, एनआईएच (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी), एमडीडीए, जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, जल संस्थान और विभिन्न संस्थाओं के साथ बैठक कर कार्य योजना बनाएगा।
इस बारे में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बुधवार को सचिवालय में संबंधित विभागों, विशेषज्ञों के साथ बैठक की। निर्देश दिए कि इस महत्वपूर्ण कार्य को जन सहभागिता से चलाया जाए। मीडिया, स्कूल, धार्मिक और सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाए। एक ही दिन में एक करोड़ पौधे लगाने की योजना बनाई जाए।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश दिए कि रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की कार्य योजना लागू करने के पहले नगर निगम सफाई अभियान चलाएं। एमडीडीए नदी क्षेत्र में चल रहे अवैध निर्माण कार्य पर प्रभावी रोक लगायें। परमार्थ आश्रम के स्वामी चिदानंद मुनि ने बताया कि पहले ग्रैंड और ग्राउंड प्लान बनाया जाए।
रिस्पना नदी के सूखने से स्वास्थ्य और बाढ़ की हानियों को लोगों को बताया जाए। नदी की गाद को साफ करने के बाद फल, फूल, जड़ वाले अलग-अलग तरह के पौधों को लगाया जाए। ईको टास्क फोर्स के कर्नल एच.आर.एस.राना ने जीरो डिस्चार्ज पालिसी, जीरो गारबेज डम्पिंग, चेक डैम, मछली पालन और जन जागरूकता की जरूरत बताई।
मैड संस्था के अभिजय नेगी ने एनआईएच रूड़की के अध्ययन और जीआरसी विलियम्स के विचारों से अवगत कराया। उन्होंने इस अभियान में सरकार को सहयोग देने का भरोसा दिलाया। एनआईएच के वैज्ञानिक डॉ.आर.पी.पांडे ने भूमि जल प्रबंधन के विकास और हस्तक्षेप का प्रस्तुतीकरण किया। बताया कि इसके लिए डीपीआर बनाई जाए और योजना लागू करने के बाद मूल्यांकन किया जाए।
एमडीडीए के उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव ने वेबकास द्वारा नदी पुनर्जीवन के बारे में किए गए अध्ययन की जानकारी दी। वन संरक्षक शिवालिक मीनाक्षी जोशी ने वन विभाग द्वारा किए गए अध्ययन के बारे में बताया।